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हारिल
शब्द के धागे आकर, कर्तव्य, संयोग, धारणादि सूचक एक प्रत्यय, हार । स्त्री०हारी | वि० ( हि० हारना ) पराजित | हारिल - संज्ञा, पु० (दे०) अपने चंगुल में लकड़ी का टुकड़ा लिये रहने वाला एक मझोला पती । मुहा० - हारिल की लकड़ी - सदा पास रहने वाली प्रिय
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वस्तु ।
हारी - वि० (सं० हारिन् ) हरण करने वाला, चुराने वाला, ले जाने या पहुँचाने वाला, नाश या दूर करने वाला, मोहित करने वाला । स्त्री० हारिणी। संज्ञा, पु० - एक तगण और २ गुरु वर्णों का एक वर्णिक छंद ( पिं० ) । सा० क्रि० भू० दे० ( हि० हारना ) हार गयी । " फिरहिं राम सीता मैं हारी "
- रामा० ।
हारीत - संज्ञा, पु० (सं०) लुटेरा, चोर, चोरी, लुटेरापन, कण्वऋषि का एक शिष्य । हारीतकी संज्ञा स्त्री० (सं०) हरीतकी, हरड़ | " हारीतकी मनुष्याणां मातेव हितकारिणी " । हार्दिक - वि० (सं०) हृदय-संबंधी, हृदय का, हृदय से निकला, सच्चा, मानसिक, वांतरिक । हाल - संज्ञा, पु० ( प्र०) वृत्तांत, समाचार, संवाद, विवरण, व्योरा, आख्यान, कथा, चरित्र, अवस्था, दशा, माजरा, परिस्थिति, परमेश्वर में तन्मयता, लीनता (मुस० ) । यौ० - ० - हाल-चाल हाल-हवाल । वि० वर्त्तमान, उपस्थित, विद्यमान चलता, मौजूद । यौ० -- फिलहाल -- साम्प्रतं । मुहा० - हाल में - थोड़े ही दिन बीते या हुये। हालका -हाली, ताजा, नया, तुरंत का । अव्य० -- अभी इस समय, शीघ्र, तुरंत | एकै संग हाल नंदलाल और गुलाल दोऊ - पद्मा०| संज्ञा, स्रो० दे० ( हि० हालना ) हिलने की क्रिया या भाव, कंप, पहिये के चारों ओर चढ़ाने का लोहे का बंद |
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हाव
हाल-गोला - संज्ञा, पु० यौ० ( हि० हाल ? + गोला) गेंद, गोलाहाल । "डारि दियो महि गोलाहाल " - राम० । हालडोल - संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० दालना + डोलना ) हलचल, हलकंप, कंप, गति, विस्तर- बंद, होलडोल, भूकंप, हलाडोल (दे०) ।
हालत - संज्ञा, स्त्री० (अ० ) अवस्था, दशा, परिस्थिति, कैफियत, आर्थिक या साम्पत्तिक दशा या स्थिति, संयोग । “सूरत बीं हालत मपुर्स " सादी० । हालना*
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१- प्र० क्रि० दे० ( सं० इल्लान ) हरकत करना, डोलना, हिलना, झूमना, काँपना | केर पास ज्यों बेर निरंतर हालत दुख दै नाय" - भ्रम० । हाल में - क्रि० वि० दे० ( अ० हाल ) अभी, शीघ्र, जल्दी, थोड़ा समय हुए । हालरा - संज्ञा, ५० दे० ( हि० हालना ) लड़कों को भोंका देकर हिलाना- दुलाना लहर, हिलोर, झोंका हालाँकि - 5 -- भव्य (फ़ा० ) गोकि, ऐसा है, फिर भी हालाँकि वह मुँह जोर बड़े
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हैं
यद्यपि, अगचि,
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कमजोर है
-मा०
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शु० ।
हालाहल - संज्ञा, पु० दे० ( सं० हलाहल ) समुद्र से निकला प्रतिती विष, विकट विष, महा विष या गरल ।
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हालिम -- संज्ञा, पु० (दे०) एक पौधा जिसके के काम थाते हैं, चंसुर । हाली - अव्य० ( ० हाल ) हालका, शीघ्र, जल्दी, ताज़ा, इसी समय का, तुरंत का । हालीम - वि० (प्र०) सहन-शील, बुर्दवार । हालों - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हालिम ) चंसुर ।
हाव - संज्ञा, पु० (सं०) नायिका की संयोग समय की वे स्वाभाविक चेष्टायें जो नायक को लुभाती है, ये अनुभावों के अन्तर्गत हैं और संख्या में ११ हैं । “लीला, विनम