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हलकंप
१८७२
हलदियाइंध चलाना । एक अत्र ( बलराम )। संज्ञा, हलकाई-संज्ञा, स्रो० ( हि० हलका ) पु० (प्र०) गणित करना, हिसाब लगाना, हलकापन, हलुकई, हलुकाई। किसी समस्या का उत्तर निकालना, मिश्रण, हलकान -वि० दे० ( ० हैरान ) हैरान, मिलाना । मुहा०-हल होना ( करना)
परेशान, तंग, हलाकान ।। मिलना, मिलाना।
हलकाना-अ० कि० दे० ( हि० हलकाहलकंप-संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि. हलना,
ना-प्रत्य०) हलका होना, बोझा कम हिलना-कंप = काँपना ) हलचल, हड़कंप,
होना । स० क्रि० (हि. हलकना ) लहराना, सर्वत्र फैली हुई घबराहट । मुहा० हल
हिलोरें देना। स० क्रि० (हि. हिलगना )
हिलगना, उलझना लुटकना ।। कंप मचना ( मचाना)।
हलकापन--संज्ञा, पु. (हि० हलका --पनहलक-संज्ञा, पु० ( अ०) गले की नली,
प्रत्य० ) लघुता नीचता, तुच्छता, श्रोछागला, कंठ। मुहा०-हलक के नीचे
पन, हेठी, अप्रतिष्ठा, हलका होने का भाव । उतरना-- पेट में जाना, ( बात का ) मन | में बैठना।
हलकारा, हरकारा --संज्ञा. पु. दे.
(फा० हरकारः ) पत्र वाहक, हरकारा. हलकई--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० हलका
चिटठीरमाँ, दुत । -ई - प्रत्य०) हलकापन, तुच्छता, ओछा.
हलकोरना-स० कि० (हि. हलकोरा) पन, अप्रतिष्ठा, हेठी, हलुकई (दे०)।
समेटना, बटोरना, हलोरना, हिलाना, हलकना --अ० कि० दे० ( सं० हल्लन )
लहराना, हलकाना। पानी आदि द्रव पदार्थों का हिलना-डोलना
हलकारा --संज्ञा, पु. ( अनु०) लहर, या शब्द करना, लहराना, हिलोरें लेना,
तरंग, झोंका। हिलना, दीपक की लौ का झिलमिलाना,
हलकौवा- संज्ञा, पु. (ग्रा.) कंपन, लहर। लहकना (ग्रा०) । संज्ञा, पु० (दे०) हलका।
हलचल-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि. हलना+ स्रो०-हलकनि।
चलना ) जनता में फैली अधीरता, घबराहट, हलका-वि० दे० (लघुक) तौल में जो भारी
शोरगुल, खलबली, धूम, दौड़-धूप. कंपायन हो, जो गहरा या गादा न हो, जो चट
मान, विचलन, दंगा, उपद्रव । मुहा०कीला न हो, पतला, उथला, जो उपजाऊ
हलचल मचना (मचाना )-हुल्लड़ न हो, हरुघा, थोड़ा, कम, मंद, जो ज़ोर का होना (करना), शोर-गुल हाना (करना)। या ऊँचा न हो (शब्द ), आसान, सुख वि.-हिलता या डगमगाता हुमा, कंपायसाध्य, निश्चित. ताजा, पतला, घटिया, | मान, कंपित । महीन, छंछा, रिक्त, खाली, तुच्छ, नीच, हलद-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हरिद्रा) हलदी। भोला, टुचा स्त्रो --हलकी । मुहा० -- हलद-हात, हलद हाथ-सज्ञा, स्त्री० दे० हलका करना--तुच्छ ठहराना, अपमानित यौ० (हि० हलद + हाथ ) व्याह में हलदी करना । हलके हलके-धीरे धीरे। सज्ञा, से हाथ पीले करने की रीति. हरदहाथ पु० दे० ( अनु० हलहल ) लहर, तरंग। हलका-संज्ञा, पु० (अ.) मंडल, गोला, हलदिया-संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार का वृत्त, परिधि, गोलाई. घेरा, मण्डली, दल- विष. एक रोग जिसे पीलिया (पांडु) कहते वृन्द, झंड, हाथियों का झंड, किसी हैं जिसमें शरीर पीला हो जाता है। कार्यार्थ निर्धारित कई गाँवों या नगरी हदियाइँध, हरदियाइँथ-ज्ञा, सी. का समूह ।
(दे०) हलदी की गंध ।
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