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स्वाद
स्वाद संज्ञा, पु० (सं०) मज़ा, जायका, रसानुभूति, किसी वस्तु के खाने या पीने से रसना को होने वाला अनुभव या धानंद, सवाद (दे० ) । मुहा० - स्वाद ( मज़ा ) चखाना ( चखना) - किसी को किसी अपराध का यथावत दण्ड देना ( पाना ) | वांछा, चाह, श्राकांक्षा, कामना, इच्छा । मुहा० - स्वाद (न) जानना - किसी वस्तु का आनंद (न) जानना, अनुभूति रखना । स्वाद मिलना ( पाना ) - रसानुभूति होना, बुरे काम का बुरा फल मिलना ( व्यंग्य ० ) । जीभ स्वाद के कारने ". स्फु० ।
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स्वादक - संज्ञा, पु० (सं० स्वाद ) स्वाद जानने वाला, स्वादु-विवेकी, वह व्यक्ति जो भोजन के तैयार होने पर उसे पहले चख कर जाँचता है।
स्वादन - संज्ञा, पु० (सं०) स्वाद लेना, घना, मजा या श्रानंद लेना । वि० - स्वादनीय, स्वादित |
स्वादिष्ट (दे०), स्वादिष्ट - वि० (सं०) अच्छे स्वाद वाला, सुस्वादु, जायकेदार, मज़ेदार । स्वादी- वि० ( सं० स्त्रादिन् ) स्वाद लेने या चखने वाला, रसिक, मज़ा लेने वाला, सवादी (दे०) । स्वादिलो, स्वादीला - वि० दे० (सं० स्वादिष्ठ ) स्वादिष्ठ, मजेदार, सवादिल । स्वादु - संज्ञा, पु० (सं०) मधुरता, मधुराई, मीठा रस, दूध, गुड़, मिठास, स्वाद, जायका, मज़ा । वि० - मीठा, मिष्ठ, मधुर, स्वादिष्ट, जायकेदार, सुंदर ।
स्वाद्य - वि० (सं०) स्वाद लेने के योग्य । स्वाधीन - वि० यौ० (सं०) जो परतंत्र या पराधीन न हो, स्वतंत्र, स्वच्छंद, मनमानी करने वाला, भाजाद, निरंकुश | संज्ञा, पु० -- समर्पण, सुपुर्द, हवाला, स्वाधीनता । " सुख जग में स्वाधीन " - बुं० । भा० श० को० - २३२
स्वामित्व
स्वाधीनता - संज्ञा, स्त्रो० (सं०) स्वच्छंदता, स्वतंत्रता, श्राज्ञादी । "सुख जानो स्वाधीनता, पराधीनता कष्ट - स्फु० ।
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स्वाधीन पतिका - संज्ञा, त्रो० यौ० (सं०) वह नायिका जिसका पति उसके वश में हो। स्वाधीनप्रिया – संज्ञा, पु० (सं०) वह पुरुष जिसकी प्यारी उसके वशीभूत हो । स्वाधीनभर्तृका - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) स्वाधीन पतिका, वह नायिका जिसका पति उसके वश में हो । स्वाधीनी - संज्ञा, त्रो० (दे०) स्वाधीनता । स्वाध्याय-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नियमपूर्वक निरंतर वेदाध्ययन, वेद पढ़ना, यन, पढ़ना, अनुशीलन | तपस्वाध्याय निरतः वाल्मीकिर्वाग्विदांवरः । " वि० स्वाध्यायी |
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स्वान:- संज्ञा, पु० दे० (सं० श्वान ) कुत्ता, सुवर्ण ।
स्वाना | - स० क्रि० दे० ( हि० सुलाना ) सोवना, सुलाना |
स्वापन - संज्ञा, पु० (सं०) शत्रुओं को निद्रित करने वाला एकत्र (प्राचीन ० ) । वि० नींद लाने वाला, निद्राकारी । स्वाभाविक - वि० (सं०) स्वभाव- सिद्ध, नैसर्गिक, प्राकृतिक, जो स्वतः हो, कुदरती । "स्वाभाविक सुन्दरता हो तो फिर सिंगार का काम नहीं " - शि० गो० । स्वाभाविकी—वि० (सं०) प्राकृतिक, नैस - गिक, स्वभाव-सिद्ध, कुदरती । "स्वाभाविकीज्ञानत्रक्रिया च - उप० । स्वामि – संज्ञा, पु० दे० (सं० स्वामी ) प्रभु, स्वामी, नाथ, पति, ईश्वर | संज्ञा, स्त्री० (३०) स्वामिता | स्वामिकार्त्तिक- संज्ञा, पु० (सं०) शिवसुत, स्कंद, षड़ानन, कार्त्तिकेय । स्वामिता - संज्ञा, स्त्री० स्वामिव । स्वामित्व - संज्ञा, पु० (सं०) प्रभुत्व, स्वामिता स्वामी का भाव ।
(सं० ) प्रभुता,
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