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श्रीकाशा
स्मृतिकार १८४१
स्यारपन नीति तथा दर्शनादि की विवेचना-सम्बंधी की रीति । मुहा० -- स्यापा पड़ना-रोनाधर्म-शास्त्र, लो आठरह हैं, अठारह की पीटना पड़ना रोना-चिल्लाना मचना, प्रति संख्या, एक छंद (पिं० ) " श्रुतेरिवार्थम् हानि होना, बिलकुल नाश होना, उनाद स्मृतिरन्वगच्छत् "-रघु०।
या सूना हो जाना। स्मृतिकार -ज्ञा, पु० सं०) धर्म-शास्त्र के स्यावास* - अव्य० दे० (फा० शावास ) कर्ता और ज्ञाता।
किसी छोटे के किसी अच्छे कार्य पर स्मृतिकारक, स्मृतिकारी-वि० (सं०) प्रसन्न हो बड़ों का उसे भशीष और स्मरण कराने वाला।
उत्साह देना, तथा प्रशंसा करना, शाबाश । स्पंदन-सज्ञा, पु० (सं०) पकना, चुना, सज्ञा, स्त्री० (दे०) म्याबासी। रसना, बहना, जाना. गलना, चलना, रथ स्याम-संज्ञा, पु० वि० दे० ( सं० श्याम ) (विशेषत युद्ध का रथ ) वायु । " सुबरन | श्रीकृष्ण जी, श्याम रंग, श्याम रंग वाला। स्पंदन पै सेलजा-सुनंदन लौं"--सरम।। संज्ञा, पु० दे० भारत से पूर्व में एक देश । स्यमंतक-सज्ञा, पु० (सं०) सूर्य-प्रदत्त एक "सूर स्याम को मधुर कौर दै कीन्हें तात मांगलिक मणि जिसकी चोरी का कलंक निहोरे"- सूर। कृष्ण को लगा था, बड़ा हीरा। स्यामक-- संज्ञा, पु० दे० (सं० श्यमक) स्यात् -- अव्य० (सं०) कदाचित्, शायद ।
" स्यादिद्रवज्रा यदि तौ जगौगः । स्याम करन, स्याम-कर्न*-संज्ञा, पु० दे० स्याद्वाद-संज्ञा, पु. (सं०) अनेकांतवाद, ( सं. श्याम -- कर्ण) एक बिलकुल सफ़ेद
जैनों का एक दर्शन, जिसमें स्यात् यह है घोड़" जिसके केवल दोनों कान काले हों। स्यात् वह है ऐसा कहा गया है, संदेहवाद। "स्याम करन अगनित हय जोते"-रामा । स्यान-स्याना--वि० दे० (सं० सज्ञान) स्यामता-स्थामताई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बुद्धिमान, चतुर, प्रवीण, चालाक, धृत, श्यामता) कालापन । ' सोई स्यामता वास" बालिग, वयस्क. वयोवृद्ध,मयान, सयाना | -रामा०। (दे०) । स्त्री०--स्यानी । संज्ञा, पु०-चढ़ा- स्यामल-वि० दे० (सं० श्यामला ) श्याम, बढ़ा, वृद्ध पुरुष, अोझा, जादू-टोना जानने श्यामला "स्यामन गात कसे धनु-भाया" वाला. चिकित्यक, वैद्य।
-रामा०। स्यानता- संज्ञा स्त्री० (दे०) चतुराई, चालाकी स्यामालया-संज्ञा, पु. दे० (सं० श्यामला) सयानता (दे०)।
श्यामला, साँवला, साँवलिया (दे०)। स्यानप, स्यानपन, स्यानपना-संज्ञा, पु० स्यामा*--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्यामा ) दे० (हि० स्याना+ पन-प्रत्य०) बुद्धिमानी, श्यामा, राधिका जी, सोलह वर्ष की स्त्री, चतुरता, चालाकी, धूर्तता, सयानप (दे०)। । एक छोटा काला पक्षी। " स्यामा-स्याम स्थानापन-संज्ञा, पु० दे० (हि० स्याना+पन- हिंडोला झूलत"--सूर० । " स्यामा बाम प्रत्य०) युवावस्था, जवानी, होशियारी, सुतरू पर देखी"--रामा । चतुराई, धूर्तता, चालाकी। "स्थानापन स्यार--संज्ञा, पु० दे० (सं० शृगाल) केहि काम को, जातें होवे हानि".-नीति। शृगाल, सियार, गीदड़ । स्रो०-स्यारनी। स्यापा-संज्ञा, पु. दे० ( फा० स्याह-पोश) स्यारपन-संज्ञा, पु० दे० (हि. सियार + पन किसी के मरने पर कुछ समय तक प्रतिदिन | प्रत्य.) सियार या गीदद का सा स्वभाव नियों के एकन्ना रोने और शोक मनाने | या व्यवहार । भा० श. को०--२३१
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