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सौंज
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१८३० सौंज*-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० शय्या) सौंपना-स० कि० दे० ( सं० समर्पण) सौज, साज-सामान, सामग्री, उपकरण । सिपुर्द करना, सहेजना, हवाले करना । स० . " मातु वचन सुनि मैथली, सकल सौंज लै रूप-सौंपाना, प्रे० रूप.--सौंपवाना। . साथ"-रामा०।
"सौपेहु मोहिं तुमहिं गहि पानी'-रामा०। सौड़, सोडा-संज्ञा, पु. (दे०) श्रोढ़ने का सौंफ-संज्ञा, स्त्री० दे० (१० शतपुष्य । एक बड़ा कपड़ा, सौर, चादर।
विख्यात छोटा पौधा जिसके बीज औषधि सौंडियाना-२० क्रि० (दे०) सभीत, शंकित और मसाले में पड़ते हैं। "मिर्च भौ मसाला या लज्जित होना।
सौंफ़ काशनी मिलाय '-शि० रा.। सौंतुख* --संज्ञा, पु० दे० ( सं० सम्मुख ) सौंफ़िया-सौंफ़ी-संज्ञा, स्त्री० (हि.) सौंफ सम्मुख, सामने । क्रि० वि० ... आँखों के की मदिरा। वि०- सौंफ युक्त । पागे, प्रत्यक्ष । “सोवत, जागत, सपने, सौंभरि--संज्ञा, पु० दे० ( सं० सौभरि ) एक सौंतुख रहि हैं सो पति मानि"-भ्रम || ऋषि । सौंदन-संज्ञा, पु० दे० (हि. दिना) सौर-सौर-संज्ञा, स्त्री० (हि. सौर ) श्रोदने धोबियों का कपड़ों को रेह-मिले पानी का भारी कपड़ा, रजाई लिहाफ़, चादर में भिगोना । स्त्री-सौंदनि।
"तेते पाँव पसारिये, जेती लांबी सौर'सौंदना - स० क्रि० दे० ( सं० संधम् ) वृं० । संज्ञा, स्त्री० (हि. सौरी) जच्चाखाना, सानना, परस्पर मिलाना, श्रोत-प्रोत करना, सौरी, सोवर । कपड़ों को रेह मिले पानी में भिगो कर
सौरई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्यामता रौंदना । स० रूप - सौंदाना, प्र० रूप
हि. साँवरा ) साँवलापन, श्यामता। सौंदवाना ।
सौरना*-स. क्रि० दे० (सं० स्मरण ) सौंदर्ज-संज्ञा, पु० दे० (सं० सौंदर्य )
स्मरण या याद करना, सुमिरना (दे०)। सुन्दरता, सुधरता।
स० रूप-सौराना, प्रे० रूप०-सौरवाना। सौंदर्य-संज्ञा, पु०(सं०) सुधराई. सुन्दरता। सौंदर्यता-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) सौंदर्य,
अ० क्रि० (दे०) सवारना।। सुन्दरता।
सौह-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० सौगंद ) सौंध* --संज्ञा, पु० दे० ( सं० सघ) महल,
कसम शपथ, सौं, सोह, सों। क्रि० वि०, हबेली, प्रासाद । संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं०
। संज्ञा, पु० दे० (सं० सम्मुख) समक्ष, सामने । सुगंधि) सुगंध, सुवास ।
सौहन संज्ञा, पु० दे० (हि. सोहन, सं० सौंधना-स० क्रि० दे० (सं० सुगंध ) सुवा- शोभन ) सुहावना, सुन्दर । सित या सुगंधित करना, वासना । स. सोहाना-अ० कि० (दे०) सीधा करना, रूप-सौंधाना, ० रूप-सौंधवाना।।
सामने जाना। सौंधा-- वि० दे० (हि. सोंधा ) सोंधा, सोही-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक हथियार। रुचिकर अच्छा, सुगंधित । संज्ञा, स्त्री० (दे०) सौ-वि० दे० ( सं० शत) नब्बे और दस, सौंधाई।
शत, पाँच बीस, पचास का दूना । संज्ञा, सौनमक्खी -सौनामाखी--संज्ञा, पु० दे० पु. (दे०) दश के दश धात की संख्या या (हि. सोनामक्खी, सं० स्वर्गा-मानिक) सोना अंक, १००। वि० (दे०) सा, समान । मक्खी ।
मुहा०-सो बात की एक बातसौनी-संज्ञा, पु० दे० (हि० सुनार) सुनार । निचोड़, तत्व, सारांश. तात्पर्य । एक
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