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सुरत
सुर-नदी सुरत-संज्ञा, पु. (सं०) मैथुन, संभोग। सुरती-पंज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सूरतनगर ) संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० स्मृति ) सुरति, सुधि, पान के साथ या यों ही खाने की तंबाकू, याद, ध्यान । वि० (सं०) अति लीन, सुनि- खैनी (प्रान्ती०)। मन्न । मुहा०-सुरत बिसारता (विस- सुरतीला-वि० दे० (हि. सुरत + ईला रना)-भूल जाना !
प्रत्य०) स्मरण कर्ता, सावधान, सुचेत, सुरतरंगिनी, सुरतरंगिणी-ज्ञा, स्त्री याददाश्त रखने वाला यौ० (सं०) सुर-नदी, गंगानदी अाकाश- सुरतेन - संज्ञा, स्त्री० (दे०) रखी हुई स्त्री। गंगा, देव-नदी, सुरतटनी, देवाएगा। सुर-त्राण -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देव-रक्षक, सुरतटनी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देव-नदी, सुर-त्राता, विष्णु । गगन-गंगा, सुर-सरिता।
सुरत्राता--संज्ञा, पु. पौ० ( सं० मरवात ) सुरतरु-- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) कल्प वृक्ष ! | इंद्र, देव-रक्षक, कृष्ण सुर त्राण, विष्णु | " सुरतरु-वर-शाखा लेखनी पत्रमुर्वी ''---
“निश्चर-वंश, जन्म सुरवाता"-- रामा० । स्फुट।
सुरथ-संज्ञा, पु० (सं०) दुर्गा जी के एक सुरता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सुर का भाव या
सर्व प्रथम भाराधक चद्रवंशीय राजा (पुरा०), कार्य-देवत्व, देव-वृद, सरत्व । संज्ञा, स्त्री०
सुन्दर रथ, जयद्रथ का एक पुत्र, एक पहाड़ । दे० (हि० सुरत ) स्मरण. याद, ख़याल,
सुरदार--वि० दे० (हि. सुर- दार फा०) ध्यान, चिंता, सुधि, चेत । वि०.-होशियार,
सुस्वर, सुरीला, जिस हा स्वर अच्छा हो । चतुर, सयाना।
संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सुरदारा ) देव-नारी, सुरतान, सुरंतान*-संज्ञा, पु. दे० ( अ०
देव-स्त्री, देव-दारा, सुर-बटी । सुलतान) सुलतान, बादशाह, राजाधिराज । " सुरंतानभट्ट मध्माद इदं "--प्र० रा० ।
सुरदारा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) देव
बधूटी। सुरति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) भोग-विलास,
सुरदीर्घिका - संज्ञा, श्री० (सं०) अाकाश. प्रसंग, संभोग, काम-केलि, मैथुन । संज्ञा,
गंगा। स्त्री० दे० (सं० स्मृति ) स्मरण, सुधि, याद । “सुरति बिसरि जनि जाय"
सुरदोषी, सुरद्रोही--- संज्ञा, पु० दे० यौ० रामा० । संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० सूरत) सूरत,
( सुरद्वेषी ) देवशत्रु, सरद्वेपी। रूप, प्राकृति, सूरति (दे०)। पावरी सुरति
सुरद्रुम----संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सुर-तरु, मैं लगाये है सुरति वह " - सरस।
कल्प वृक्ष. देव-वृक्ष । सुरति-गोपना-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वह सुर-धाम - संज्ञा, पु० यौ० (सं० पुरधामन्) नायिका जो अपनी रति-क्रीड़ा को सखियों स्वर्ग, बैकुंठ, देवलोक । “राम-विरह तनु श्रादि से छिपाती हो, सुरति-संगोपना। परिहरेउ, राव गयो सुर-धाम"-- रामा० सुरतिवंत-वि० दे० (सं०) सुरतिवान्, सुगधिप ---संज्ञा, पु० यो ० (सं०) सुगधिकामातुर।
पति, देवनाथ, इंद्र देवराज । सुरति-विचित्रा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सुरधुनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गंगाजी, देववह मध्य नायिका जिसकी रति क्रिया नदी, सुर-नदी। अनोखी हो ( सा०)।
सुर-धनु-संज्ञा, श्री. यो० (सं०) कामधेनु । सुरतिय--संज्ञा, स्वी० यौ० (सं० सुर+ सुर-नदी--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवापगा, तिय-हि० ) देव-बधूटी।
गंगा जी, देव नदी, श्राकाश गंगा, सुरनद ।
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