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१७६३
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सुभाषित
सुमरनी सीता"..---रामा० । कि० वि० (दे०) स्व- सुमंद्र-संज्ञा, पु. (सं०) अंत में गुरु-लघु भावतः. सहज मैं ! “राउ सुभाव मुकुर के साथ २७ मात्राओं का एक मात्रिक छंद, कर लीन्हा"--रामा ।
सरसी छंद (पिं० )। सुभाषित-वि० (सं०) भली भांति या | सुम-संज्ञा, 'पु० (फा०) घोड़े की टाप, सुम्मा अच्छी तरह कहा हुश्रा, सुन्दर रूप या रीति । (ग्रा० ), चौपायों के खुर । से कहा गया, सुकथित, सुव्यक्त ।
सुमत-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सुमति ) अच्छी सुभाषी-वि० ( सं० सुभाषिन् ) मधुर भाषी, बुद्धि, सुमति । संज्ञा, पु० (सं०) सुन्दर मत प्रिय या मीठा बोलने वाला, अच्छे रूप या या विचार। रोति से बोलने वाला। बी. --सुभाषिणी। सुमति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) राजा सगर की सुमित -संज्ञा, पु. (सं०) सुभिच्छ (दे०), स्त्री, मेल-जोल । “जहाँ सुमति तह संपति मुकाल, ऐसा वर्ष जिसमें अनाज बहुत
नाना"-रामा० । प्रार्थना, सुन्दर या उपजे । विलो०-दुभित ।
अच्छी मति, सुवुद्धि, भक्ति । संज्ञा, पु०सुभी-वि० सी० दे० (सं० शुभ ) कल्याण
राजा जनक के एक बंदीजन । वि. - अच्छी कारिणी शुभकारिणी, शुभी।
बुद्धि वाला, बुद्धिमान् । 'सुमति, विमति उनुभीता-सज्ञा, पु० (दे०) सुविधा, सुयोग.
है नाम, राजन को वर्णन करहिं"-रामा० । सुगमता, सुअवापर, सहूलियत, समायी,
" सर्वस्य द्वं सुमति-कुमतिः संपदापत्ति सामर्थ्य । मुहा० --भीत से ---सुविधा
हेतुः "-कालि। नुसार।
सुमन-संज्ञा, पु० (सं० सुमनस् ) देवता, सुभाटी -संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० शोभा )
विद्वान, पंडित, फूल । "सुमन पाय मुनि शोभा, सुन्दरता।
पूजा कीन्ही ''-रामा० । वि०-दयालु, सुभ्र-वि० दे० ( सं० शुभ्र ) सफेद, धवल, उज्वल । सज्ञा, स्त्री० (दे०) शुभ्रता।
सरस, सहृदय, सुन्दर, अच्छे मन वाला । सुभ्र -वि० (सं०) सुन्दर भौहों वाला।
स्त्री--सुमना। सुभ-वि० स्त्री. (सं०) सुन्दर भौहों वाली सुमनचाप- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कामदेव, स्त्री। "हा पिता कापि हे सुम्र"-भट्टी।
पुष्पधन्वा । सुमंगल-संज्ञा, पु० (सं.) शुभ समय. शुभ,
सुमनस-संज्ञा, पु० दे० (सं० सुमनस् ) कल्याण, कुशल-मंगल समय । “ सुदिन देवता, सुमनस् । “सुपर्वाणः सुमनसनि. सुमंगल तहि नब" - रामा० ।
दिवेशाः दिवौकसाः "-अमर । विद्वान, सुमंगली-संज्ञा, स्त्री. (स.) विवाह में पंडित, फूल । वि०-सहृदय, प्रसन्नचित्त, सप्तपदी पूजन के बाद, पुरोहित की दक्षिणा । सुन्दर मन वाला। या उसका नेग।
सुमनित-वि० दे० (सं० सुमणि+तसुमंत-संज्ञा, पु० दे० । सं० सुमंत्र ) राजा प्रत्य०) श्रेष्ठ मणि जटित । दशरथ के मंत्री। राव सुमंत लीन्ह उर सुमरन, सुमिरन*-संज्ञा, पु० दे० (सं० लाई "-रामा०।
स्मरण ) स्मरगा, ध्यान, याद, जप, भजन । सुमंत्र-संज्ञा, पु. (सं.) राजा दशरथ के सुमरना*-स० कि० दे० (सं० स्मरण ) सारथी और मंत्री " मंत्री सकल सुमंत्र
ध्यान या स्मरण करना, याद करना, जपना,
ध्यान या र बुलाये "-रामा० ।
सुमिरन, प्रे० रूप-सुमराना, समरावना। सुमंथन-संज्ञा, पु. (सं०) भली भाँति सुमरनी*-- संज्ञा, स्त्री. ( हि० सुमरना) मथना, (मंदर पर्वत से सिंधु-मंथन)। स्मरणी, छोटो माला, जप करने की २७ मा० श० को०-२२५
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