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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अलिनि अलूप " अली कलीही मैं रम्यौ "-वि०। स्त्री. अलीना। " इहि श्रासा अटके रहो, अलि गुलाब के अलीपित-वि० दे० (सं० अलिप्त ) मूल”-वि०। जो लिप्त न हो, जो लीपा न गया हो। संज्ञा, स्त्रो० (दे०) अली, पाली, सखी। " रहत अलीपित तोय तैं, जैसे पंकजस्त्री० अलिनी। पात', --दीन। " राधा-माधव अलिबो, अलि को अलि अलील-वि० (अ०) बीमार, रुग्ण, प्रति बैन'-दीन । रोगी। अलिनि-संज्ञा, स्त्री० (सं० अलि ) भ्रमरी, अलीह-वि० दे० (सं० अलीक) मिथ्या, मधुकुरी, अलिनी, भौरी। __ असत्य, झूठ, अनुचित, अनुपयुक्त, अनृत । अलिक-संज्ञा, पु० (३०) ललाट, माथा, “एक कहहिं यह बात अलीहा "मस्तक। रामा०। " लटकै अलिक, अलक चीकनी"-1 | अलुक-संज्ञा, पु० (सं०) समास का वह अलिपक-संज्ञा, पु० (सं० ) कोयल, शहद | भेद जिसमें दो शब्दों के बीच की विभक्ति की मक्खी, कुत्ता, स्वान । का लोप नहीं होता, ( व्याक० ) जैसे, अली-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० आली ) सरसिज, मनसिज। सखी, सहेली, पंक्ति या क़तार, अवली, | अलुंज-वि० ( दे० ) जो लंज न हो, जो अवलि । लँगड़ा न हो। संज्ञा, पु० दे० (सं० अलि ) भौंरा। अलुझना- अ. कि० दे० (हि. अरुअलीक-वि० (सं० ) मिथ्या, झूठ, झना ) अरुझना, उलझना, फँसना, भिड़ना, मर्यादा-रहित, अप्रतिष्ठित, अरुचिकर, | लड़ना, अटकना। असार, अलीका (दे०)। अलुटना-अ० कि० (सं० अ---लुट" लीन्ही मैं अलीक लीक, लोकनि तें लोटना) लड़खड़ाना, लोटना, गिरनान्यारी हौं, (भा वि. ) देव । पड़ना। " वचन तुम्हार न होइ अलीका - स० क्रि० (दे० ) उलटना, उलटा करना। रामा। अल्लुप्त-वि. (सं० श्र+लुप्त ) जो लोप संज्ञा, पु० दे० (अ+ लीक ) लीक या रास्ता न हो, प्रगट, व्यक्त, प्रकाशित, जो छिपा न से-रहित, मार्ग-विहीन, कुमार्ग, अप्रतिष्ठा, | हो, अलोप। अमर्यादा। अलुमीनम--संज्ञा, पु० दे० (अ. एलुमोअलीजा-वि० (दे० ) बहुतसा, प्रचुर, नियम ) एक प्रकार की हलकी धातु जो अधिक। नीलापन लिए हुए सफ़ेद होती है, और अलीन-संज्ञा, पु० दे० (सं० आलीन ) द्वार जिसके बरतन बनाये जाते हैं। के चौखट की खड़ी लंबी लकड़ी, साह, अलून-वि० दे० (सं० अलौन, अलवण ) बाजू, दालान या बरामदे के किनारे का | अलौन, बिना नमक का, नमक-रहित, खंभा जो दीवाल से सटा होता है। अलोन, लावण्य-रहित, (सं० अ+लावण्य)। संज्ञा, पु० घ० ब० (अली)। वि० (सं० अ-+लू =छेदने ) बिना छेदा वि० (सं० अ--- नहीं - लीन----रत) अग्राह्य, हुआ, बिना काटा हुआ। अनुपयुक्त, अनुचित, बेजा, जो लीन न हो, । अलूप--वि० दे० (सं० लुप्त ) लुप्त, लोप, विरत। | छिपा हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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