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सजीउ
१६८८ सजीउ* --वि० दे० (सं० सजीव ) जीवन- सज्ज ----संज्ञा, पु० दे० ( हि० साज ) साज़, युक्त, जीता हुआ। "सजीउ करी बख़शे साज-सामान, श्रमबाब, चीज़, वस्तु । हैं "-भूष।
। सजन--- संज्ञा, पु. (सं० सत्+जन) सुजन सजीला--वि० दे० (हि० सजाना-1-ईला-- (दे०), भलामानुम, अच्छा श्रादमी, आय, प्रत्य० ) छैला. सुन्दर, गीला, मनेाहर, __श्रेष्ठ पुरुष, शरीफ़, प्रियतम, प्रिय । "हृदय हर्षि रसीला, सजधज से रहने वाला, पानी या कपि सज्जन चीन्हा''- रामा० । संज्ञा, पु. कांति से यक्त । स्त्री० सज ली।
(सं०) सजाने की क्रिया या भाव । सजीव-वि० (स.) जिसमें जीव या जान ! सजनता--- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) भलमंसी, हो, फुरतीला, तेज, स्फूर्तिवान् , प्रोजवान, भलमसाहत, सौजन्य, सुजनता (दे०)। जीवन-युक्त, जीवित । संज्ञा, स्त्री० ( सं० )।
सजनताई *- ---संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सज्जनता) सजीवता।
भलमसी, भलम पाहत, सौजन्य, सुजनता
(दे०) । " वारेहि ते अस सज्जनताई." सजीवन-संज्ञा, पु० दे० । सं० संजीवनी)
- स्फुट०। एक विख्यात औषधि जिपर मृत व्यक्ति भी जी उठता है, संजीवन । वि० ( सं० )
| सजा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मजाने का भाव
या क्रिया, सजावट, वेष-भूषा : संज्ञा, स्त्री० जीवन-युक्त ।
दे० ( स० शय्या ) शय्या, पलँग, खटिया, सजीवनमूल, सजीवन भूमि --संज्ञा, स्त्री०
चारपाई, सज्जादान, शय्यादान (मृतकदे० (सं० संजीवनी -- मूल ) एक औषधि
सस्कार में ) (दे०)। जिनसे मरा शादमी भी जी उठता है,
सजिन---वि० (सं.) अलंकृत, सजा हुआ, अमृत मूल, अमियमूरि (६०) । " जग में
श्रावश्यक पदार्थों से युक्त, सँवारा हुआ । राम सजीवनमूला".--स्फुर
" भरी सुपज्जित वीर खब, चली अनी सजीवनीमंत्र-संज्ञा, (० दे० यौ० सं०
चतुरंग'-कुं० वि०।। संजीवन+मंत्र) मृतक को भी जिलाने वाला
सजी --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सर्जिका ) एक मंत्र, सजीवन मंत्र।
प्रकार का जार ( औप०)। सजुग---वि० दे० ( हि० सजग ) सचेत
सन्जीबार----संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० सर्जिका सतर्क, सावधान, होशियार चौकन्ना, चौकस ।
+क्षार ) सज्जी नमक । “सजुग होय रोको सब घाटा''-- रामा० ।
सन्ता - संज्ञा, स्त्री. द. (सं० संयुता ) सजुता--संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० संयुता)
१० ( स० सयुता ) संयुता छंद (पि.।। संयुता नामक छंद ( पिं०)।
सज्ञान-वि० (सं०) ज्ञानी, ज्ञान युक्त, सजूरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक मिठाई। सयान, सग्यान (दे०)। बुद्धिमान, चतुर, सजोना, संजोना--स० क्रि० दे० ( हि० सावधान, सजग, सचेत, सुजान (दे०)। सजाना ) सजाना, अलंकृत करना, सँजोना, 'जा तिरिया की सुधरई लखि मोहैं सज्ञान" रक्षित तथा एकत्रित रखना स० रूप०- -पद्मा० । संजोवना।
सध्या----संज्ञा, स्त्री० द० ( सं० शय्या ) शव्या सजोयल--वि० दे० ( हि. संजोयल ) पलँग, खाट, सजा (दे०) । " सुन्यो सुसजित, तैय्यार । " सजा सजोयल रोकहु कुवर रन-सज्या सोयो'"--छत्र। घाटा"--- रामा० । एकत्रित तथा रक्षित सटक --- संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० सट से ) किया हुआ।
सटकने की क्रिया, चुपके से खिसक जाना,
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