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संलग्न
संविद ऐसी व्यंजना जिस वाच्यार्थ से व्यंग्यार्थ | संवर्द्धन-संज्ञा, पु० (सं०) बढ़ना, बढ़ाना.
की प्राप्ति का क्रम सूचित हो ( काव्य० )। पालन पोषण, प्रवर्धन, विवर्धन । वि०संलग्न -- वि० (सं०) संवद्ध, लगा हुआ, संवहनीय, संवर्द्धित, संवृद्ध ।
सटा या मिला हुआ, लड़ाई में गुथा हुश्रा, | संवाद-ज्ञा, पु० (सं०) कथोपकथन, वातमिलित । संज्ञा, स्त्री० (सं०) संलग्नता। चीत, वार्तालाप, समाचार, हाल, चर्चा, संताप-संज्ञा, पु. (सं०) बातचीत, मामला, प्रसंग, मुकदमा । (कर्ता० संवादक) कथोपत्थन, वार्तालाप, धीरता-युक्त होने संवाददाता- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) समाचार वाला संवाद ( नाटक० )। संज्ञा, पु०(सं.)।
या हाल देने या भेजने वाला। संतापन, वि०-संलापक, सलापित, संवादी-वि० ( सं० संवादिन् ) संवाद या संलापनीय।
वार्तालाप करने वाला, अनुकूल या सहमत संवत्--- पंज्ञा, पु. (सं०) साल, वर्ष, राजा होने वाला। स्त्री०-संवादिनी। संज्ञा, शालिवाहन के समय से मानी गई वर्ष पु० - वादी के साथ सब स्वरों के साथ गणना, शाका, सन्, सम्राट विक्रमादित्य के । मिलने और सहायक होने वाला स्वर समय से चली हुई वर्ष-गणना, संख्या
(संगी०)। सूचित वर्ष विशेष ।
संवार--- संज्ञा, पु० (सं०) संगोपन, छिपाना, संवत्सर-संज्ञा, पु० (सं०) वर्ष, साल,
ढाँकना, वर्णोच्चारण का एक बाह्य-प्रयत्न फ़सल ।
जिसमें काठ-संकुचन हो (व्याक० )। संवत्सरी--संज्ञा, स्त्री. (सं०) संवत् का सँवार--संज्ञा, स्त्री० (सं० स्मृति ) समाचार, व्यवहार।
हाल. ख़बर । संज्ञा, स्त्रो० (दे०) -बनावट, संवर--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० स्मृति ) स्मरण, सजावट, रचना, संवारने क्रिया का भाव । याद, ख़बर, हाल, समर ।
सँवारना-स. क्रि० दे० ( सं० संवर्णन ) संवरशा--- संज्ञा, पु० (सं०) पाच्छादित करना,
अलंकृत या व्यवस्थित करना, सजाना, संगोपन, छिपाना छोपना, बंद करना, दूर ठीक या दुरुस्त करना, क्रम से रखना, रखना या करना, हटाना, किली मनोवृत्ति कार्य ठीक करना।" वे पंडित वे धीर-वीर को दबाना या रोकना, निग्रह, चुनना, जे प्रथम संवारत ---रा० वि० भू० । पसंद करना, विवाह के लिये कन्या का पति संघाहन--संज्ञा, पु० (सं०) उठा कर ले जाना, या बर चुनना । वि० संवरगाोय, संव्रत । ले चलना, ढोना, परिचालन, चलाना, पहुँसँवरना---प्र० वि० दे० (सं० संवर्णन ) चाना। 'जीवन-संवाहन तौधर्म ही बतायो सजना, दुरुस्त होना, सुधरना, बनना,
जात”- मन्ना० । वि०-संवाहनीय, संवाअलंकृत होना। * स० कि० दे० (हि० हित, संवाहक, संवाही, संवाह्य । सुमिरना) सुमिरना, स्मरण या याद करना। संविधा वि० (सं०) व्यग्र, आतुर, उद्विग्न, " संवरौं प्रथम श्रादि करतारू"-पद०। घबराया हुआ, व्याकुल । संज्ञा, स्त्री० (सं०) "सब सँवरी बिधि बात बिगारी"-रामा० । संविग्नता। सँवरिया-- वि० दे० (हि० साँवला) साँवला, संविद--संज्ञा, स्त्री० (सं०) समझ, ज्ञानशक्ति, श्याम, सँवलिया, स लिया (दे०)। बुद्धि, बोध, संवेदन, चेतना, महत्तत्व, धनुसंवर्त्त-संज्ञा, पु० (सं०) क ऋषि विशेष । भूति, पूर्व निश्चित मिलन स्थान, संकेतसंवर्द्धक-संज्ञा, पु० (सं०) वृद्धि करने या मंदिर, नाम, युद्ध, लड़ाई, संपत्ति, हाल, बढ़ाने वाला।
वृत्तांत, समाचार, संवाद, जायदाद ।
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