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शिकन
शिख शिकन-संज्ञा, स्त्रो० (फा०) सिकुड़न, बल, सीखने-मिखाने की क्रिया पढ़ाई, उपदेश,
सिलवट, सिकुड़ने से पड़ी धारी । सिखावन, सीख, मत्र मंत्रणा, तालीम. गुरु शिकम संज्ञा, पु. (फा०) पेट, उदर, एक के समीप विद्याभ्यास, सलाह, ६ वेदांगों में छोटे राज्य का नगर ( बंगाल )।
से वेदों के स्वर, मात्रा, वर्णादि का निरूपक शिकमी काश्तकार-संज्ञा, पु० यौ० एक विधान दबाब, शासन, सबक़, सज़ा, (फा०) जो काश्तकार किसी दूसरे काश्तकार दंड । यौ०-शिक्षा केन्द्र-वह स्थान की भूमि में खेती करे।
जहाँ शिक्षा विभाग तथा प्रधान विद्यालय पाकग-ना. प. (फा०) एक तरह का हो । यौ०-शिक्षा-विभाग। बाज़ पक्षी।
शिक्षाक्षेप-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक शिकवा---संज्ञा, पु० (फ़ा०) शिकायत ।।
अलंकार जिसमें उपदेश द्वारा प्रयाण या शिकस्त - संज्ञा, स्त्री० (फा०) पराजय, हार।
जाना रोका जाता है (केश.)। मुहा०-शिकस्त खाना-- हार जाना।
शिक्षागुरु-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) विद्या
पाढ़ने वाला, श्रध्यापक, गुरु । शिकायत--संज्ञा, स्त्रो० (अ०) उपालंभ,
शिक्षार्थी - संज्ञा, पु. यौ० (सं० शिक्षाथिन् ) उलाहना, चुगुली. निंदा. गिला (फ़ा०),
विद्याभ्यासी, विद्यार्थी ।। बीमारी रोग । यौ०-शिकवा-शिकायत । शिक्षालय-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विद्यालय, शिकार - संज्ञा, पु. (फा०) मुगया, आखेट,
__ स्कूल, (अं०) पाठशाला । अहेर, भचय पशु. मारा हुअा जीव, मांस,
| शिक्षाविभाग - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जनता आहार । असामी. वह व्यक्ति जिसके फँसने
की शिक्षा या तालीम का प्रबंध करने वाला से लाभ हो, सिकार (दे०) लो० (फ़ा०)।
एक सरकारी महकमा। "शिकार कार बेकारा नस्त"। मुहा०-- शिक्षित-वि. पु. (सं०) पढ़ा या सीखा शिकार खेलना-अहेर या 'पाखेट करना। हुआ, उपदेश-प्राप्त, पंडित, विद्वान, पढ़ाकिसी का शिकार होना-किसी के द्वारा लिखा । स्त्री०-शिक्षिता। मारा जाना, वश में श्राना, फॅयना, चंगुल शिखंड-संज्ञा, पु. (सं०) मयूर-पुग्छ, में पाना या फँसना किसी को शिकार । मोर की पूँछ या छोटी, काकपन, काकुल, बनाना--लाभ उठाने को किसी को शिखा, चोटी । स्त्री.----शिखंडिका । फँसाना।
शिखंडिनी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) मोरनी, शिकारगाह-संज्ञा, स्त्री. (फा०) शिकार | मयूरी, द्रुपद नरेश की एक कन्या, जो या आखेट खेलने का स्थान ।।
कुरुक्षेत्र के युद्ध में पुरुष-रूप से लड़ी थी। शिकारी-वि० (फा०) अहेरी, श्राखेट करने | शिखंडी- संज्ञा, पु० (सं० शिखडिन् ) चोटी,
वाला, मृगया में काम आने वाला ! शिखा, मयूर मोर, मुर्गा, विष्णु, वाण, शित्तक-संज्ञा, पु. (सं०) उपदेश देने या शिव, कृषा, शिख डिनी, राजा द्रुपद का समझाने वाला, सिखाने या पढ़ाने वाला, पुत्र जो पूर्व जन्म में स्त्री था, भीष्म की गुरु, अध्यापक. उस्ताद, सिन्छक (दे०) मृत्यु का कारण वही था (महा.)।
"शिक्षक हौ पिगरे जग को "-नरो । " वान न होहिं शिखंडी तोरे"-स. शिक्षण-- संज्ञा, पु. (सं०) पढ़ाई, उपदेश, सिं०। शिक्षा, तालीम, सिखावन, अध्यापन । शिख*---संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिखा ) वि०--शिक्षणीय, शिक्षित ।
शिखा, चोटी, शिक्षा, सीख सिख, (दे०)। शिक्षा-संज्ञा, स्त्री० (सं.) किसी विद्यादि के । “नखशिख मंजु महा छवि छायी"-रामा
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