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विमुख
वियोजक विमुख-वि० (सं०) मुखहीन, किसी बात से ! लुभा जाना, मोहित होना. बेहोश होना, जिसने मह मोड़ लिया हो, निवृत्त, विरत, धोखा खाना : स० कि० (दे०) लुभाना, बेपरवाह, विरोधी, उदासीन, विरुद्ध, यस.. मोहित या बेसुध करना, भ्रम, या धोखे में फल, अपूर्ण काम, अप्रपन्न, निराश । संज्ञा, टालना। स्त्री० विपुलता। " राम-विपुख सपनेहुँ दिलोहा -- संज्ञा, सी० (सं. विमोहा) सुख नाहीं --रामा० । ' सम्मुख की गति विजोहा छंद (पि.।
और है, विमुख भये कुछ और"... नीति विहित-वि. (सं.) लुब्ध, मुग्ध, विमुग्ध-- वि० (सं०) अज्ञान, भूर्ख, विशेष लुआया हुआ, अचेत, मूच्छित, भ्रमिन । मोहित. उन्मत्त, भ्रांत, विल । राज्ञा, स्त्री० विही-वि. ( विमोहिन ) चित्त विमुग्धता : "विमुग्धशाली मधु मंजु माग लुभाने वाला, सुधि-बुधि भुलाने या मोहित था"-प्रि० प्र०।
करने वाला, अचेत या मूच्छित करने वाला, विमुद-वि० (सं०) उदास, खिन्न । निष्ठुर, निर्दय, भ्रम में डालने वाला। विमढ--वि० (सं०) विशेष रूप से मोहित, सी. विठोहिनी।
अत्यन्त मुग्ध, अमित, भ्रांत, अचेत, बे विमो-संज्ञा, पु. द० (सं० वल्मीक ) समझ, मूर्ख । स्त्री० ---विमूढ़ा । सज्ञा, स्त्री० दीमका का बनाया घर, बाँबी। --विमूढ़ता । “पाहि मोह विमूढ़, जे वियं--संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० विय+ हरि-विमुख न भक्ति-रत''.--रामा०
ग) महादेव. दुपांग, अधांगी। विमूढगर्भ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह गर्भ धियः----वि० दे० (सं० द्वि ) दो, जोड़ा, जिसमें बच्चा मर गया या बेहोश हो तथा दुसरा. युग्म, मिथुन । प्रसव में अति कठिनता हो।
वियुक्त -- वि० सं० , विलग, वियोगी, विमोचन... संज्ञा, पु. (सं.) मुक्त करना, विरही, विछोही, होन, रहित, जुदा पृथक । छोड़ना या छुड़ाना, बंधनादि खोलना, वियो"-----वि० दे० (सं० द्वितीय ) अन्य, फेंकना, रिहाई, बंधन से छुड़ाना । वि... दूसरा, अपर।। विमोच्य, विनोचनीय, विमोचित । वियोग---संज्ञा, पु. ( सं० ) जुदाई, विरह, विमोचना*--स० क्रि० दे० (सं० विमोचन) विछोह, विच्छेद, पृथकता । वि. वियोगी। मुक्त करना, छोड़ना, गाँठ या बंधनादि वियोगांत--वि० यो० (सं०) दुखान्त कथा
खोलना, निकालना, रिहा या बाहर करना। का नाटक या उपन्यास। विलो०-संयोगान्त, विमोह-संज्ञा, पु. (सं०) अज्ञान, भ्रम, सुखान्त। मोह, बेहोशी, मोहित होना, यासक्ति। वियोगिन-वियोगिनी--- संज्ञा, स्त्री० दे० वि०-विमोहक, विमोहित । " तेहि सं० वियोगिनी ) पति या प्रिय से विलग विमोह मो सन चित हारा 'पद्मा। स्त्री, विरहिणी विछोहिनी। “योगिन है विपोहन-- संज्ञा, पु० (सं० ) चिन लुभाना, बैठी है वियो गिनि की अँखियाँ "... देव । मोहित करना, सुधि-बुधि भुलाना कामदेव विगामी-वि० (सं० वियोगिन् ) विरही, के पाँच वाणों में से एक मोह : वि०...- विछोही, जो पत्नी याप्रिया से अलग, वियुक्त विमोहित, विमाही, विनाहनीय। या दूर हो । स्त्री० चियागिनी, वियोगिनि। विमोहनशील-वि० (सं.) मोहित करने वियोजक- संज्ञा, पु.. (सं०) दो मिली हुई
या मोहने वाला, भ्रम में डालने वाला। चीज़ों को भिन्न या अलग करने वाला, वह विमोहना*---अ० क्रि० दे० (सं० विमोहन छोटी संख्या (राशि) जो उसी जाति की
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