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विघटिका
१५८१
विचारना विघटिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) समय का एक विचरनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विचरण)
अल्प मान, एक घड़ी का २३वाँ भाग। घूमना-फिरना, चलना, पर्यटन । विघटित - वि० (सं०) जो तोड़ा-फोड़ा विचन--वि० (सं०) अस्थिर, चंचल, स्थान
गया हो, बिगडा या नष्ट किया हुआ। से हटा पा । "निज दल विचल सुना जब विधन-संज्ञा, पु० दे० (सं० विघ्न) विन. काना".-रामा० । 'चलो चलु चलो चल बाधा. अडचन. विधन विधन मनाव िविचलन बीच ही मैं'- पद्मा०। देव कुचालो' -रामा० ।
विचलत-संज्ञा, स्त्री. (सं०) घबराहट, विघातक-संज्ञा, पु० (सं०' बाधक, मारक,
चंचलता, अस्थिरता, मगदर। नाशक, घातक।
विचलन * -- अ० कि० दे० (सं० विचलन) विघानी-- वि० (सं० विघातिन ) घातक,
निज स्थान से हट जाना, चल जाना, घबमारक, विक्षकारी
राना. अधीर होना, प्रण, प्रतिज्ञा या संकल्प विघ्न- संज्ञा, पु. (सं०) बाधा, अडचन ।
पर दृढ़ता से स्थिर न रहना, विचलना "लंबोदर गिरजा-ननय विन-विनाशनहार"
र (दे०) स० रूप-विचलाना, विचलावना, -स्फुट । यौ०---विघ्न-विदारगा।
प्रे० रूप -विचलवाना। विघ्नजित संज्ञा, पु० (सं०) गणेश जी। विचलित -- वि० (सं०) विकलित, चंचल, विघ्नपति- संज्ञा, पु० (सं०) गणेश जी।
अस्थिर. प्रण या संकल्प से हटा हुआ, घबविघ्नविनाशक--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गणेश राया हुआ, व्याकुलित, बेचैन । नी, विघ्न-विदारक।
विचार-संज्ञा, पु० (सं०) भाव, मन का विघ्नविनायक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०)
सोचा, समझा था निश्चित किया हुआ, गणेश जी।
भावना, चित्त में उठी बात, ख़्याल, मुकदमें विघ्नेश--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गगोश जी।
की सुनवाई और फैसला निर्णय, मत, विघ्नहारी-संज्ञा, पु. (सं०) विघ्न-नाशक,
बिचार (दे०)। ।" विचार दृक् चारगप्य गणेश जी, विघ्नहर।
वर्तत"-- नैष । विचक्षण-वि० सं०) प्रकाशित, चतुर. विचारक - संज्ञा, पु. (सं०) विचारने या निपुण, पंडित, पारदर्शी, विद्वान, बुद्धिमान, | सोचने वाला, विचार करने वाला, निर्णय विचन्छन । संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) विच
करने वाला, न्यायाधीश, न्यायकर्ता । स्त्री० क्षणता।
विचरिका! विचन्छन -संज्ञा, पु० दे० (सं० विचक्षण) विचारणा--संज्ञा, स्त्रो० (सं०) विचार करने विद्वान् , बुद्धिमान , चतुर. निपुण ।
की क्रिया या भाव। विचरण-संज्ञा, पु. (सं०' घूमना फिरना, विचारणीय- वि० (सं०) स्त्यि, विचार
चलना, पर्यटन करना, विवरन (दे०)। करने योग्य, चिन्तनीय, सोचनीय, संदिग्ध, वि. विचरगाशील ।।
प्रमाणित करने योग्य । विचरन - संज्ञा, पु. द० सं० विचरण) घूमना- विचार-मूह--वि० यौ० (सं०) मूर्ख, जो
फिरना, चलना, पर्यटन करना ! विचार न कर सके । “विचार-मूढः प्रतिभासि विचरना---अ० कि० दे० (सं० विचरण ) मे त्वम्"--रघु०। घूमना फिरना, चलना, पर्यटन करना, विचारना अ० कि० दे० (सं० विचार--नाविनरना (दे०)। " कौन हेतु बन बिचरहु । प्रत्य०) सोचना, समझना, चिंतवन या विचार स्वामी"-रामा० ।
करना, पता लगाना, पुछना, खोजना,
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