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वाग्दत्ता
घाचालता वाग्दत्ता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (५०) वह कन्या धर्म और वाचक शब्द का लोप हो (अ. जिसकाव्याह किसी के साथ ठहर चुका हो। पी०)। वाग्दान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वाणी-द्वारा वाचक-लुप्ता- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) उपमा देना, पिता का कन्या का व्याह किसी के अलंकार का वह भेद जिसमें उपमा वाची साथ पक्का कर देना, वादा करना, वचन शब्द लुप्त हो (अ० पी०)। देना।
वाचकापमान-धर्मलुमा-संज्ञा, श्री० यौ० घाग्देव-वाग्देवता-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) । (सं०) उपमा अलंकार का वह भेद जिसमें वाणी का देव या देवता, सरस्वती । स्त्री० केवल उपमेय हो और वाचक शब्द, उपमान वाग्देवी । " वाग्देवता-चरित-चित्रित चित्त- तथा धर्म इन तीनों का लोप हो (अ० पी०) । सद्मः "-गी. गो।
वाचकोपमान-लुप्ता-संज्ञा, स्त्री० यौ. वाग्देवी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सरस्वती, वाणी। (सं०) उपमा अलंकार का वह भेद जिसमें वाग्भट्ट-संज्ञा, पु. (सं०) वैद्यक-शास्त्र के | उपमान और वाचक शब्द का लोप हो. एक विख्यात प्राचार्य जिन्होंने, वाग्भट या (१० पी०)। अष्टांग-हृदय संहिता रचा, भाव-प्रकाश, वाचकोपमेयलुना-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वैद्यक-निंघटु और शास्त्र-दर्पण श्रादि ग्रंथों
एक उपमा अलंकार का वह भेद जिस में उपमेय के कर्ता । " सूत्रस्थाने तु वाग्भट: "
और वाचक शब्द का लोप हो (श्र० पी०) । स्फुट० ।
वाचक्नवी-संज्ञा, स्वी० (सं०) गार्गी, वाच
कूटी। वाग्मी-संज्ञा, पु० (सं० वाक्-मिन्-प्रत्य० ) वाचाल, अच्छा वक्ता, पंडित. वृहस्पति ।
वाचन--संज्ञा, पु. (सं०) बाँचना, पढ़ना, " वाचो-ग्मिन् " - अष्टा० । " वाग्जालं
पठन, प्रतिपादन, कहना, कथन ।
वाचनालय- संज्ञा, पु० यो० (सं०) समाचारवाग्मिनो वृथा''-माध० । वाग्विलास-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) आपस में
पत्रों या पुस्तकों के पढ़ने का स्थान । सानंद वर्तालाप करना।
वाचनिक-वि०(सं०) वचन-संबंधी, कथित। वाङ्मय- वि० (सं०) वचन संबंधी, वचन
वाचसांपति-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वृहस्पति,
__महा विद्वान । द्वारा किया गया। संज्ञा, पु. (सं०) गद्य
वाचस्पति -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वृहस्पति, पद्यात्मक ग्रंथ जो पढ़ने-पढ़ाने का विषय हो,
अति विद्वान । साहित्य ।
वाचा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) वाणी, वाक्य, वाङ्-मुख-संज्ञा, पु० (सं०) एक गद्य-काव्य, ।
शब्द, वचन । “मनुष्य-वाचा मनु-वंश उपन्यास।
केतुम्"--- रघु०। वाच-संज्ञा, पु० (सं०) वाणी, वाचा, गिरा ।
(स०) वाणी, वाचा, गिरा। वाचाबंध-वि० दे० यौ० ( सं० वाचावद्ध ) वाच-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० वान् ) वाणी प्रतिज्ञा या प्रण से बद्ध, संकल्प से बँधा गिरा, वाचा।
हुधा। वाचक-वि० (सं०) सूचक, बताने वाला। वाचाल-वि० सं०) वकवादी, तेज़ बोलने संज्ञा, पु० (सं०) नाम, संज्ञा, संकेत, चिह्न । वाला, वाक्पटु । संज्ञा, स्त्री० वाचालता। " तद् वाचक प्रणवः"-सा० । वि० (सं०) “मूक होहि वाचाल" .. रामा० । बाँचने वाला।
वाचालता-संज्ञा, खो० (सं०) अति वाचक-धर्म-लुप्ता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) बोलना, पाक् कौशल । “ तथापि वाचाल. उपमा अलंकार का एक भेद जिसमें सामान्य | यता युनक्ति माम् "---मावः ।
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