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वचन
वज्रनाभ
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वचन- संज्ञा, पु० (सं०) मानव मुख से धज, बनावट, दशा, प्रणाली, मुजरा, रीति निकला सार्थक शब्द या शब्द-समूह, मिनहा । यो०-वजा-कता। बात, वाक्य, वाणी । " मम इदम् वचनं वजादार- वि० ( अ० वज़ा--दार-फा० शृणु पुस्तकी"- स्फु० । उक्ति, कथन, प्रत्य० ) तरहदार, सुडौल, सुन्दर, अच्छी, एकरव या बहुत्व का सूचक शब्द के बनावट वाला, सुरचित । रूप का विधान (व्या०) हिन्दी में वचन वजीफा - ज्ञा, पु० (अ.) छात्रवृत्ति (सं० के दो भेद हैं (१) एक वचन. (२) मासिक या वार्षिक आर्थिक सहायता या बहुवचन, (द्विवचन-सं० )
वृत्ति जो विद्यार्थियों, विद्वानों श्रादि को दी धचनकारी-वि. ( सं०) श्राज्ञानुवर्ती, जाती है, जप या पाठ ( मुसल०)। आज्ञाकारी।
वजारत - हाज्ञा, स्त्री० (अ०) मंत्री का पद वचन-ललिता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वह या कार्य । परकीया नायिका जिसकी बातों से उसका वज़ोर--संज्ञा, पु० (अ०) अमात्य. मंत्री, प्रेमी ( उपपति ) के प्रति प्रेम प्रगट हो दीवान, शतरंज का एक मुहरा, फरजी। (काव्य०)।
वजीरी--संज्ञा, स्त्री० (अ०) वज़ीर या मंत्री पचन विदग्धा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) का काम या पद, घोड़ों की एक जाति । वह परकीया जो बातों की चतुराई से नायक वज- संज्ञा, पु० (अ० वुज़ ) नमाज़ पढ़ने से की प्रीति प्राप्त कर कार्य सिद्ध कर ले। पहले शौचार्थ हाथ-मुँह धोना (मुसल०)। " वचनन की रचनानि तें, जो साधै निज वजूद-- संज्ञा, पु० अ०) अस्तित्व, शरीर । काज । वचन विदग्धा कहत हैं, कवि गन वज्र--संज्ञा, पु० (सं०) इन्द्र का एक भाला के सर ताज"..- पदक।
जैसा शन्न (पुरा०), कुलिश, पर्व, पवि, पचा- संज्ञा, स्रो० (सं०) वच (औषधि)। बिजली, होरा, बरछा, भाला, फौलाद । "वचाभयासुंठिशतावरीसमा"- भा० प्र० । वि० सं०) बहुत कड़ा या दृढ़, घोर, भीषण, वच्छ* संज्ञा, पु० दे० ( सं० वक्षस् )
दारुण कठिन, कठोर । " वज्र को अखर्व उर, हृदय, छाती । संज्ञा, पु. द० (सं० वत्स)
गर्व गंज्यौ जेहि पर्वतारि"--राम । गाय का बछवा, प्यारा पुत्र । " निरखि वज्रक--संज्ञा, पु० (सं०) हीरा।। वच्छ जनु धेनु लवाई"-रामा० । “बहुरि वज्रक्षार - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक औषधि, बच्छ कहि लाल कहि"-रामा। बज्रखार (दे०)। वच्छनाग-संज्ञा, पु० (दे०) वत्सनाभ (विष)। वज्रतुंड - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मच्छड़, घजन-संज्ञा, पु० (म०) बोझा, भार, गरुड़, गणेश, थूहर । मान, तौल, गौरव, मर्यादा । "वज़न वज्रदंत-संज्ञा, पु. यो० (सं०) सूकर, से कम नहीं तुलता कभी बाज़ार में माल, सुअर, चूहा। -हाली।
| वज्रदंती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक पौधा वज़नी-वि० (अ० वजन -- ई-फा०-प्रत्या०)
विशेष। भारी, बोझिल । वि०-वजनदार। वज्रधर-संज्ञा, पु० (सं०) इन्द्र, देवराज । वजह-संज्ञा, स्त्री० (अ०) सबब, बायसरफ़ा, वज्रनाभ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक दैत्य कारण, हेतु ।
जो सुमेरु के पास वज्रपुर में रहता था वजा-संज्ञा, स्त्री० (अ० वज़म) रचना, सज- (पुरा० )।
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