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लिगायत
लिपड़ा लिंगायत-संज्ञा, पु० (स०) दक्षिण देश का लिखापढ़ी--संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि० लिखना एक शैव संप्रदाय ।
+पढ़ना) पत्र व्यवहार, चिट्टियों का आनालिंगी-संज्ञा, पु० सं० लिगिन् ) लक्षणयुक्त, जाना, किसी विषय को लिख कर पक्का चिन्ह वाला, चिन्हधारी. प्राडम्बरी, धर्म- या स्थिर करना। ध्वजी। " सवर्ण लिंगी विदितः समाययौ | लिखावट- संज्ञा, स्त्री० (हि० लिखना+प्रावट -किरा०।
। प्रत्य०) लेख, लिपि, लिखने की शैली या लिंगेंद्रिय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पुरुषों की ढंग, लिखाई।।
गुप्तेंद्रिय या मूनेंद्रिय, शिश्न, लांड (दे०)। लिखित--वि० (सं०) लिखा हुश्रा, अंकित, लिए-हिंदी के संप्रदान कारक का चिन्ह चित्रित, चिह्नित । जो अपने शब्द के लिये क्रिया का होना प्रगट लिखितक--संज्ञा, पु० दे० (सं० लिखित) करता है, हेतु. वास्ते, लिये काज (.)। एक भाँति के प्राचीन चौखटे अक्षर । लिक्खाड़ - संज्ञा, पु० दे० (हि. लिखना) लिख्या--- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लिक्षा) बहुत लिखने वाला, लिखैया, बड़ा भारी लीख । लेखक (व्यंग्य)।
लिच्छवि-संज्ञा, पु० (सं०) एक राज वंश लिक्षा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जं का अंडा, लीख, जिसका राज्य कोशल, मगध और नेपाल एक परिमाण (कई भेद)।
में था (इति)। लिखत-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० लिखन) लिझड़ी-६ज्ञा, स्त्री० (दे०) हल, पोतड़ी।
लेख, लिखी बात, दस्तावेज़, तमस्सुक । लिटाना-२० क्रि० (हि० लेटना) किसी दूसरे लिखतंग-संज्ञा, पु. यौ० (दे०) लेख, को लेटने के कार्य में लगाना ।
नियमपत्र, चिट्ठी, निवितांग (सं०)। लिट्ट-संज्ञा, पु० (दे०) मोटी रोटी, बाटी, लिखधार-संज्ञा, द० (हि. लिखना- धार अंगाकड़ी। (स्रो० अल्पा० लिट्टी)। प्रत्य०) लिखने वाला, लेखक, मुंशी, मुहरिर, लिठौर- संज्ञा, पु० (दे०) एक पकवान । क्लर्क (अं०)।
लिडार-संज्ञा, पु० (दे०) सियार, गीदड़। लिखना-स० कि० (सं० लिखन: स्याही या वि० ---डरपोक, कायर, लैंडार (ग्रा०)।
पेंसिल से अक्षरों की श्राकृति या चिन्ह लिथड़ना-प्र० कि० (दे०) धूल धूसरित बनाना, लिखाई करना, चित्रित या अकित । होना, लथड़जाना, अपमानित होना, करना, अतर बना कर किसी विषय की पूर्ति लिथरना। करना, लिपिबद्ध करना, पुस्तक, लेख या लिथाडना-स. क्रि० (हि. लिथड़ना) पछाकाव्य आदि की रचना करना, चित्र बनाना इना, धूल धूपरित या अपमानित करना, लिखा-संज्ञा, पु० ( हि लिखना ) प्रारब्ध, लथाड़ना, डाँटना, फटकारना । होनहार, भाग्य, भवितव्यता।
लिपटना-- अ. क्रि० दे० (सं० लिप्त) चिपलिखाई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लिखना--- टना, सटना, चिमटना, गले लगाना, संलग्न ई-प्रत्य०) लिपि, लेख, लिखने का कार्य, होना, शालिंगन करना, किसी कार्य में लिखने की शैली, या रोति, लिखावट, तन, मन या जी-जान से लग जाना। लिखने की मज़दूरी।
स० रूप-लिपटाना, प्रे० रूप-लिपटवाना। लिखाना-स० कि० दे० (सं० लिखन) लिखने लिपड़ा-संज्ञा, पु० (दे०) कपड़ा, वस्त्र ।
का कार्य किसी दूसरे से कराना, लिखा- वि० दे० (हि० लेप) गीला और चिपचिपा, घना (दे०)। प्रे० रूप-लिखवाना । लिपरा (दे०) । संज्ञा, स्त्री० (दे०) लिबड़ी। भा० श० को०-१९३
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