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लय
१५२४
ललचना
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लय - संज्ञा, पु० (सं०) एक वस्तु का दूसरी तरना* - अ० क्रि० दे० ( हि० लड़ना )
मैं मिलकर उसी के रूपादि का हो जाना लीन होना, मिलना, प्रवेश, विलीनता, मग्नता, ध्यानमग्नता, एकाग्रता, प्रेम, अनुराग, स्नेह, कार्य का फिर कारण के रूप में हो जाना, संसार का नाश, संश्लेष, विनाश, लोप, प्रलय, नृत्य, गीत और बाजों की परस्पर समता ठेका (संगी० ) । संज्ञा, स्त्री० - गाने का ढङ्ग, धुन, गाने में सम (संगी० ) ।
लयन - संज्ञा, पु० (सं०) विश्राम, शरण
लर*+ संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० लड़ ) लड़,
लड़ी। लरकई-लग्काई- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लड़का + ई - प्रत्य० ) लड़कपन, लरिकाई लरिकई (दे० ) । "लरकाई को पैरबों थागे होत सहाय " - तुल०, बहु धनुहीं तोरेंउ लरकाई ' - रामा० । मुहा० - लरकई करना ना समझी करना । लरकना ० क्रि० दे० : हि० लटकना ) लटकना, पीछे पीछे चलना,
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ललकना,
-- रामाः ।
लरिकई- लरिकाई* +- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० लड़कपन ) लड़कपन लड़काई । लरिक सलोरी - संज्ञा, खो० दे० यौ० ( हि० लरिका + लोज़ - चंचल ) लड़कों का खेल, खेलवाड़ |
ग्रहण, प्रलय, तन्मयता ।
लय बालक - संज्ञा, पु० यौ० (दे०) गाद लरिका -- संज्ञा, उ० दे० ( हि० लड़का )
लिया हुआ लड़का |
लड़का । यौ० aftका सयानी-बच्चों के मामले में बड़ों का पड़ना, संज्ञा, स्त्री० लरिकाई ।
लरी - संज्ञा, स्रो० दे० ( हि० लड़ी ) लड़ी। लड़ी-संज्ञा, पु० दे० ( हि० लच्छा ) लच्छा, लच्छी, गुच्छा ।
ललक संज्ञा, खो० दे० ( स० ललन ) बड़ी उत्कट अभिलाषा, गहरी चाह, प्रवलेच्छा | जलकना - ग्र० क्रि० ( ( हि० ललक ) ललचना, श्रभिलाषा या लालसा करना, श्रति इच्छा करना, चाह या उमंग से भरना । भेटे लखन ललकि लघु भाई - रामा० ।
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ललकार -संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि० लेले अनु० + कार ) ललकारने की क्रिया या भाव, प्रचारण ।
ललचना ।
लकिनी, लरिकिनी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० लड़की ) लड़की, बेटी, लड़किनी (दे०) ।
लरखगना- - अ० क्रि० दे० ( हि० लड़खड़ाना) खड़खड़ाना !
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लरजना - अ० क्रि० दे० (फ़ा लरजा = कंप) काँपना, हिलना, दहल जाना, डरना । " लरजि गई ती फेरि लरजनि लागी री - " पद्मा । स० रूप० लरजाना, प्रे० रूप०लरजवाना ।
लग्झरी- वि० दे० ( हि० लड़ - + झड़ना) बहुत अधिक ज़्यादा, प्रचुर ।
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लड़ना ।
लरनिः संज्ञा, ख े० दे० ( हि० लड़ना ) लड़ना, लड़ाई ।
लराई – संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० लड़ाई ) लड़ाई | सहस्रबाहु सन परी खराई
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ललकारना - स० क्रि० (हि० ललकार ) प्रचारना लड़ने को ज़ोर से बुलाना या श्राह्नान करना लड़ने या प्रतिद्वंद्विता के हेतु उसकाना या बढ़ावा देना, उत्तेजित
करना ।
ललचना - स० क्रि० दे० ( हि० लालच ) लालच करना लुभा जाना, मोहित होना, मुग्ध और लुब्ध होना, श्रति श्रभिलषित होना, पाने की इच्छा से अधीर होना ।
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