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लछमना
लटकना E लछमना-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लक्ष्मण ) | शर्म, पत, इज्जत, मान-मर्यादा । वि०-- लचमण, श्रीकृष्ण जी की एक पटरानी, साम्व लजित। " कहत सुकीया ताहि को, की पुत्री, सारस की मादा, सारसी, एक लज्जाशील सुभाव" । औषधि विशेष ।
लज्जापाया-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चार प्रकार लछमी-संज्ञा, स्त्री० दे० । सं० लक्ष्मी) ।
की मुग्धा नायिका में से एक (केश०)। लघमी, रमा, लकिमी. लछिमी (दे०)। लज्जानी-संज्ञा, स्त्री० (सं.) लजाल, लज*-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लाज,सं० लज्जा)
छुईमुई. लजवंती (दे०)। लाज, लजा।
लज्जावती-वि. सो. (सं०) शर्माला,
। लजीली । लजना-- अ० क्रि० दे० (हि. लजाना)
लजावान् --वि० (सं० लज्जावत ) लज्जाशील, शर्माना, लजाना।
शर्मीला. लजीला । स्त्री नब्जावती। लजलजा- वि० (दे०) लसदार, चिपचिपा।
नजा-रहित- वि० (सं०) निर्लज, बेशर्म । लजलजाना--अ० कि० (दे०) चिपचिपाना,
लज्जाशीत-- वि० (सं०) लजीला । लसलसाना।
लज्जित-वि० (सं०) शर्माया हुआ। लजवाना-स० क्रि० दे० ( हि० लजाना )
लट-संज्ञा, स्त्रो० द. (सं० लटवा ) अलक, दूसरे को लजित करना, लजावना।
केश पाश,केश-लता, उलझे बालों का गुच्छा, लजाधुर-वि० (सं० लज्जाधर ) लजालू |
बदन सलोनी लट लटकति श्रावै है"--- लजावान्. शर्मीला। संज्ञा, पु०-लजालू ।
रत्ना० । मुहा०--लद छिटकानापौधा।
पिर के बालों को खोलकर इधर-उधर बिखलजाना-अ. क्रि० दे० । सं० लज्जा)
राना । संज्ञा, पु० दे० ( हि० लपट ) लपट, शर्माना, लजित होना । स० कि० ---- लजित | करना, लजावना । प्रे० रूप-लजवाना। लटक--- संज्ञा, स्त्री० ( हि० लटकना) लटकने लजार, लजाल-संज्ञा, पु० दे० (सं० लज्जालु) | का भाव, झुकाव, लचक, शरीर के अंगों एक पौधा जिसकी पत्तियाँ छूने से तत्काल की मनोहर चेष्टा, अंगभंगी। सिकुड़ जाती हैं, लजावती, कई मुई (ग्रा० । लटकन ----संज्ञा, पु० ( हि० लटकना ) लटकने लजावना*-स० क्रि० दे० ( हि० लजाना) वाला पदार्थ, लटक, नाक का एक गहना, लजाना, लजना।
सरपंच या कलँगी में लगे रनों का गुच्छा। लजिवाना*--अ. क्रि० स० दे० (हि. संज्ञा, पु० (दे०) एक पेड़ जिसके बीजों से लजाना ) लजाना, शर्माना ।
गेल्या लाल रंग निकलता है। लजीला--वि० दे० (सं० लजाशील) लजालू लटकना-अ० क्रि० दे० (सं० लटन .: झूलना) लज्जावान । स्त्री० लजीली।।
झूलना, टॅगना, लचकना, किसी खड़ी वस्तु लजुरी- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रज ) का झुकना, बल खाना, किसी कार्य का रस्सी, डोरी, लेजुरी (ग्रा०)।
अपूर्ण पड़ा रहना, बिलंब या देर होना, लजोर*-वि० दे० (सं० लज्जाशील) लजालू, ऊँचे आधार से नीचे की ओर अधर में टिका लजाशील ।
रहना । स० रूप-लटकाना, लटकावना, लजोहाँ, लजौहाँ-वि० दे० ( लज्जावह ) प्रे० रूप-तटकवाना । मुहा०-~लटकती
लजाशील, लजीला । स्त्री० लजौहीं। चाल-बल खाती हुई मनोहर चाल । लज्जत-संज्ञा, स्त्री० (अ.) स्वाद, मज़ा। । लटके रहना--उलझन में रहना, फंसे लज्जा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) झ्या, लाज (दे०), रहना (अपूर्ण कार्यादि में)।
__ लौ, ज्वाला।
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