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रेचन
१५०१
रेवतीरमण रेचन - संज्ञा, पु० (सं०) कोष्ट शुद्धि जुल्लाब. रेफ़-संज्ञा, पु० (सं०) हलन्त, रकार का वह जुलाब, दस्त लाना। ज्वर मुक्ते तु रेचनम्" रूप जो अपने अग्रिम व्यंजन के ऊपर लिखा -भ.प्र.।
जाता है । "अचं दृष्ट्वा त्वधोयाति हलस्यारेचना–स. क्रि० दे० (सं० रेचन ) वायु परि गच्छति ।" "श्रवसाने विसर्गः स्याद्रेफस्य या मल को बाहर करना युक्ति या वायु नियद्गतिः ...- रा० भो० । द्वारा मल निकाला जाना।
रेल-संज्ञा, स्त्री० (अं०) लोहे की पटरियाँ रेजा-संज्ञा, पु० (फा०) सूचमखंड बहुत जिन पर गाड़ी चलती है, रेलगाड़ी वाष्पछोटा टुकड़ा, अदद, थान, नग।
वेग से चलने वाली गाड़ी। संज्ञा, स्त्री० रेणु --- पंज्ञा, पु० (सं०) अत्यंत लघु परिमाणु, (हि. रेलना) अधिकता धाराधक्का, भरमार। धुलि, बालू , कण, कणिका, रेनु (दे०), | रेलटेल - संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( हि. रेलनाएक औषधि । “शठीशंठी रेणू -लो ठेलना • बड़ी भीड़, अधिकता, भरमार।
“गरू सुमेरु रेणु सम ताही" -- रामा० ।। रेलना-स० कि० (दे०) आगे या पीछे की रेणुका--संज्ञा, स्त्री०सं०) बालू , रेत, पृथ्वी, भोर ढकेलना. धक्का देना, घुसेड़ना, अधिक धूलि, रज, परशुराम जी की माता ।।
खाना | प्र. क्रि० (दे०) ठसाठस भरा होना । "वह रेणुका तिय धन्य धरनी मैं भई जग- रेलपेल-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि. रेलना वंदिनी"-राम ।
+पेलना ) भारी भीड़, अधिकता, बाहुल्य, रेत-संज्ञा, पु. ( सं० रेतस् ) शुक्र, वीर्य, .
ज़्यादती, भरमार, धक्कमधक्का । "रहै उसकी पारा, पानी, जल । संज्ञा, पु० दे० (सं०
महफ़िल में नित रेलपेल" -- जौक़ । रेतना ) बालू , बालू का, मरुभूमि, बलुश्रा रेला- संज्ञा, पु० (दे०) पानी का बहाव, मैदान । "रतन लाइ नर रेत मों, काँकर |
प्रवाह, दौड़, धावा, चढ़ाई, धक्कमधक्का, बिन बिन खाय"---कबी०।
अधिकता, बाहुल्य, रेल । रेतना --स० कि० (हि. रेत ) रेती से किसी
रेलारेल-- क्रि० वि० (दे०) अधिकता, धक्कमपदार्थ को रगड़ कर उसके कण अलग
धक्का, कशमकश | संज्ञा, स्त्री० भीड़, बाहुल्य ! करना, रगड़ कर काटना।
रेलापेल संज्ञा, पु० (दे०) धक्कमधक्का । रेतहा-संज्ञा, पु. (प्रा० ) रेत वाला तट, वंद-संज्ञा, पु० (फा०) एक पहाड़ी, बड़ा रेता । वि०-रेतीला । स्त्री०-रेतही।
की जद और लकडी औषधि के रेता--संज्ञा, पु० दे० (हि. रेत ) मिट्टी. काम भाती है और रेवंदचीनी कहाती है । बालुका, बालू , बालुवा मैदान । स्त्री. रेती।
ए। रेवड़-संज्ञा, पु० (दे०) भेड़, बकरियों की रेती- संज्ञा, स्त्री. (हि. रेतना ) लोहे श्रादि नार, झंड, गल्ला, लेहड़ा (प्रान्ती०)। को रेतने का एक लोहे का खुरदुरा यंत्र या रेवडी- संज्ञा, स्त्री० (दे०) चीनी और तिलों लोहा। संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. रेत-+-ई- से बनी एक मिठाई।। प्रत्य० ) नदी या सागर के तट की बलुई। रेवत, रेवतक-संज्ञा, पु. (सं०) बलदेव जी भूमि, बलुबा तट।
के ससुर। रेतीला--वि० ( हि० रेत + ईला-प्रत्य० ) | रेवतक -संज्ञा, पु. (सं०) कबूतर।
बलुबा, बालू वाला । स्त्री० -- रेतीली। रेवती... संज्ञा, स्त्री० (सं०) ३२ तारों से बना रेनु*---संज्ञा, पु० दे० ( सं० रेणु ) बालुका, २७वाँ नक्षत्र, दुर्गा, गाय, राजा रेवतक की बालू, रेत । स्त्री० (दे०) रेनुका-(सं० कन्या और बलराम जी की पत्नी। रेणुका ) । 'पंक न रेनु सोह अस धरनी" रेवतीरमण-- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बलदेव - रामा.1
जी।
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