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रुचना
२४१५
रुदराच्छ, रुदराक कबूतर, माला, एक प्रकार का नींबू , रुच्य-वि० (स०) सुंदर, मनोहर, रुचिकर । चौखुटा खंभा, रोचना।
रुच्छ -वि० दे० (हि० रूखा ) रूखा । रुचना---० क्रि० दे० (सं० रुचि +ना-प्रत्य०) संज्ञा, पु० दे० ( हि० रूख ) रूख, पेड़, वृक्ष ।
अच्छा लगना, रुचि के अनुकूल होना, रुज-संज्ञा, पु० (सं०) रोग, बीमारी, कष्ट, भला लगना । मुहा०-रुचरुच-अति __ घाव, भाँग, वेदना । “पिव हे नृपराज रुचि से।
रुजापहरम्'-~~भा० प्र०। रुचा-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० रुचि ) इच्छा, रुजाली-संज्ञा, स्त्री. (सं०) रोगों का चाह, चमक सारिका, मैना ।
समूह, कष्ट-समूह ।। रुचि- संज्ञा, स्त्री. (सं०) चाह, प्रेम, अनु- । रुजीवि० (सं० रुज ) रोगी, बीमार, राग, किरण, प्रवृत्ति, शोभा, स्वाद, भुख, ।
अस्वस्थ । एक अप्सरा । “निज निज रुचि रामहि सब । रुजू-वि० दे० (अ. रुजूम-प्रवृत) प्रवत्ति देखा"-रामा० । वि० (दे०) उचित, | या चित्त का किसी और को झुकाव । योग्य, फबता हुश्रा।
रुझना*-श्र० कि० दे० (सं० रूद्ध) घावादि रुचिकर --- वि० (सं० रुचि उत्पन्न करने का भरना या पूर्ण होना। अ० कि०-उलवाला, रुचिश्द।
झना। रुचिकारक वि० (सं०) रुचिकर, रोचक । रुझान--संज्ञा, स्त्री० (दे०) प्रवृत्ति, झुकाव, स्त्री०-रुचिकारी ।
(चित्त का ), उलझन । रुचित--वि० (सं०) अभिलाषित । रुठ-संज्ञा, पु. दे० (सं० रुष्ट ) क्रोध, रोष, रुचिता- संज्ञा, स्त्री० (सं०) सौंदर्य, प्रेम। कोप । " रुचिर निहारि हारि जाति रुचिता की रुठना-स० कि० (दे०) रूठना । रुचि "---मन्ना।
रुठाना-स० क्रि० दे० (सं० रुष्ट ) अप्रसन्न रुचिर वि० (सं०) रोचक, सुंदर, मीठा, या रुष्ट करना। मनोरम । “रूप-रंग रुचि रुचिर रुचि" । रुणित -वि० (सं०) क्वणित, बजता या - कुं० वि० ।
झनकारता हु'मा । "रुणित, भ्रंग घंटावली" रुचिरता--संज्ञा, स्त्री० (सं०) रुचिराई, सुन्दरता ।
रुत - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० ऋतु ) मौसिम, रुचिरवृत्ति-संज्ञा, स्त्री. (सं.) अस्त्र-संहार फसल, ऋतु । संज्ञा, पु. (सं०) चिड़ियों का एक भेद।
का शब्द या कलरव, ध्वनि । “कुहूरुतायत रुचिरा--संज्ञा, स्त्री० (सं०) केसर, एक वृत्त । चन्द्र-वैरिणी"--नैष । या छंद पि०)।
| रुतबा-संज्ञा, पु. (अ.) पद, श्रोहदा, रुचिराई* -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रुचिर --- प्रतिष्ठा, सम्मान । " रुतबा न इनको पेशए
आई-प्रत्य०) मनोहरता, रुचिरता, सुन्दरता। अरबाबे हिम्मता हो"-सौदा० । " रुचि रुचिराई रुचिता के संग ताके अंग, रुदन-संज्ञा, पु० दे० ( सं० रोदन ) कंदन, श्राई लै अनंग-रंग रुचिर लुनाई है " .. रोदन, रोना। " तव रिपुनारि-रुदन-जलकुं० वि०।
धारा".--रामा०। रुचिवर्द्धक-- वि० यौ० (सं० ) रुचि या रुदराच्छ, सदगछ*/--संज्ञा, पु० दे० (सं०
अभिलाषा बढ़ाने वाला, भूख बढ़ाने वाला। रुद्राक्ष ) रुद्राक्ष, एक बड़ा पेड़ जिसके फलों रुचिष्य-वि० (सं०) अभिलषित |
की गुठिली का माला शैव लोग पहनते हैं ।
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