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अमृतांशु
अमौना अमृतांशु - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सुधांशु, “अति अमोघ रघुपति के बाना "सुधाकर, चन्द्रमा, निशाकर ।
रामा०। अमृता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गुढीची, अमोघवीर्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) गिलोय, गुरिच, दूर्वा, तुलसी, मदिरा, अखंड तेज. अव्यर्थ प्रताप, अव्यर्थवीर्य । आमलकी होती, पिपली।
अमोघास्त्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) " अमृतातिविषा सुरराजयवः "- अचूक अस्त्र, वज्र, यम-दंड, बरुण-पाश, वैद्यजी० ।
त्रिशूल, पाशुपत, सुदर्शन चक्र, ब्रह्मास्त्र । वि० स्त्री. ( सं०) जो मरी न हो, न मरने | श्रमोधन-वि० (सं.) जो न छूटे, न छूटने वाली ।
वाला। अमृती-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लुटिया, प्रमोद-संज्ञा, पु० दे० (सं० आमोद ) मिठाई विशेष, एक प्रकार की जलेबी।।
श्रानंद, प्रपन्नता। अमृषा-संज्ञा, स्त्रो० (सं० ) असत्य जो न
संज्ञा. पु० दे० (सं० अ+मोद ) अप्रसन्नता. हो, सत्य । प्रमष्य-वि० (सं० ) असह्य, अत नव्य । वि० दे० अमोदक -( सं० आमोदक ) अजग* -- स० क्रि० (फा० आमेजन) आनन्दकारी। मिलाना, मिलावट करना।
वि० दे० अमोदित-(सं० आमोदित ) अमेधा-वि० (सं० ) मूर्ख, मूढ़, अबोध ।। आनन्दित । अमेध्य-वि० (सं० ) अपवित्र, अशुद्ध, अमोरीws --संज्ञा, स्त्री० (दे०) छोटा दुष्ट, जो वस्तु यज्ञ में काम न दे सके, आम, अँबिया, प्रामड़ा। जैसे मसूर, उर्द, कुत्ता प्रादि, जो यज्ञ
अमोल* ~~श्रमोलक-वि० दे० (अ+ कराने योग्य न हो , अपवित्र ।
मोल ) अमूल्य, कीमती,बहुमूल्य, अनमोल । संज्ञा, पु० (सं० ) विष्ठा, मलमूत्रादि,
" लै श्रमोल मन मानिक मेरो, प्यारे बिन अशुचि पदार्थ।
ही मोल"--रसाल। अमेठना*-प्रमैटना-२० त्रि.० ( दे० )। " लछिमन-राम मिले अब मोकों दोउ मरोडना, उमेठना, घुमाना।
अमोलक मोती"-सूर० । अमेष-- वि० (सं०) अपरिमाण. असीम. अमोला-संज्ञा. पु. (सं० आम्र हि० आम ) बेहद, जो जाना न जा सके. अज्ञेय । श्राम का नया निकला हुआ पौधा । अमेयात्मा- संज्ञा. पु० यौ० (सं० ) जिपकी वि० (दे० ) अमोल।
आत्मा अज्ञेय हो, परमात्मा, ईश्वर। मोही-वि० (सं० अमोह ) निर्मोही, श्रमेन-संज्ञा, पु० (दे० ) मेल या मैत्री से कठोर, निष्ठुर, विरक्त ।
रहित, मनमुटाव, विरोध, अनमेल, बेमेल । अमौथा-संडा, पु० दे० (हि. श्राम+ अमेनी-वि० (दे० ) मेल न करने या | औग्रा प्रत्य० ) ) श्राम के सूखे रप का रखने वाला. असम्बद्ध अनाप-सनाप, बेमेल । सा रंग, जो कई प्रकार का होता हैअमेष-वि० (दे० ) अमेय. असीम, पीला, सुनहरा, मूंगिया श्रादि, इसी रंग का अज्ञेय. जो नाना न जा सके।
एक कपड़ा। अमोघ--वि० (सं०) निष्फल न जाने " कतकी का मेला किया, लिया अमौत्रा या होनेवाला, अव्यर्थ, अचूक ।
छींट"-सरसः ।
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