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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अमाय सम्मान के योग्य नहीं, जो माननीय नहीं । माय - वि० दे० (सं० प्र + माया ), माया-रहित । 66 क्रि० सं० ( हि० अमाना ) समाय । 66 श्राध सेर के पात्र में कैसे सेर श्रमाय " । चि० दे० ( हि० अ + माय विहीन | माता ) मातृ श्रमाया - वि० सं०) माया - रहित, निर्लिप्त, निष्कपट, निश्छल, यथार्थ । मन-बच-क्रम मम भगति श्रमाया १३६ अमिया अमावट - संज्ञा, पु० ( हि० ग्राम + आवर्त सं० ) ग्राम के रस का सुखाया हुआ पर्त या तह, अमरस, पहिना जाति की एक मछली । अमावस - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० अमावस्या ) अँधेरी रात । "" रामा० । अमारक - वि० (सं० ) जो मारक या मार डालने वाला न हो, अमृत्युकारक ! श्रमारग - वि० दे० (सं० श्रमार्ग ) कुमार्ग, विपथ, मार्ग - विहीन | अमार्गण–संज्ञा, पु० ( सं० ) न ढूँढना, न खोजना | श्रमार्जन - संज्ञा, पु० (सं० ) मार्जन का अभाव, अशोधन । श्रमार्जित - वि० (सं०) शोधित, जिसका मार्जन न किया गया हो । वि० (सं० ) अमार्जनीय - प्रशोधनीय । अमार्तंड - संज्ञा, पु० (सं० ) सूर्य - रहित, सूर्य के बिना । श्रमादव - संज्ञा, पु० (सं० ) मृदुता रहित, कठोर, कठिन । श्रम - संज्ञा, पु० (सं० ) मर्माभाव, बिना के वि० [मार्मिक - जो मर्म सम्बन्धी न हो । अमाल – संज्ञा, पु० ( ० ) अधिकार रखने वाला, मिल, शासक । 16 लौ मार तलबखां मानहु श्रमाल 75 -भू० । वि० (सं० ) माला - रहित, बिना माला के । प्रभावना - अ० क्रि० दे० ( हि० श्रमाना ) श्रमाना, घटाना, भीतर पैठाना । ( प्रे० - मवाना ) | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री० अमावस्या - श्रमावास्या - संज्ञा, ( सं० ) कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि, कुहू निशि । अमाह - संज्ञा, पु० दे० (सं० श्रमांस ) आँख की पुतली से निकला हुआ लाल मांस, नाखून | अमिउ- संज्ञा, पु० दे० (सं० अमृत ) श्रमृत, सुधा, पीयूष । " "" कीन्हेसि श्रमि जिये जेहि पाई प० । अमिट - वि० दे० ( हि० अ + मिटना ) जो न मिटे, जो नष्ट न हो, स्थायी, अटल, निश्चित, अवश्यंभावी, हद, नित्य । अमित- वि० सं० ) अपरिमित, बेहद, असीम, बहुत अधिक, सीमा-रहित, अत्यधिक अमिताभ - संज्ञा, पु० (सं० यौ० ) बुद्धदेव | अमितौजा- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) असीमशक्तिशाली, सर्वशक्तिमान, ईश्वर । अमित्र - वि० (सं० ) शत्रु, बैरी साथीरहित, रिपु, रि, अमीत - ( दे० ) । अमित्रभूत - वि० (सं० ) विपक्षी, बैरी, ग्रहितकारी । अमिय - संज्ञा, पु० दे० (सं० अमृत ) अमृत, सुधा, पीयूष । श्रमी - (दे० ) । श्रमियमूरि-संज्ञा स्त्री० दे० यौ० (सं० अमृत - मूल ) मृत वृटी, संजीवनी | ● अमिय मूरिमय चूरन चारू -रामा० । " श्रमिय-मूरि-सम जुगवति रहहूँ "" For Private and Personal Use Only " रामा० । अमिया - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० अम्वा ) ग्राम का कच्चा छोटा फल, कच्चा छोटा श्राम, अँबिया - (दे० ) ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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