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मुसल्ला १४२६
मुहर्रमी मुसल्ला-संज्ञा, पु. ( अ० ) नमाज पढ़ने मुस्ता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) नागरमोथ
की दरी । संज्ञा, पु० --मुसलमान, मुसहा । (औप.)। मुम्ताभयानाम् जलम्"-लो. (ग्रा०)।
मुस्तैद - वि० दे० (अ० मुस्तअद) तत्पर, मुसखिर -- संज्ञा, पु० अ०) चित्रकार । तैयार, कटिनाद्ध, सन्नद्ध, तेज, चालाक । मुसहर--संज्ञा, पु. दे. हि० मूस --चूहा | मुस्तैदी-संक्षा, स्त्री० दे० ( अ० मुस्तअद :हर-प्रत्य०) एक जंगली जाति जो जड़ी-बूटी ई - प्रत्य० । तत्परता, सन्नद्धता, फुरती, बेचती हैं।
तेजी। मुसहल, मुसहिल-वि० (अ०) दस्तावर, ममतौफी-संज्ञा, पु. (म.) आय-व्ययरेचक । “सहल था मुमहिल वले यह सरन्त निरीक्षक, हि पाब की जाँच करने वाला। मुश्किल आ पड़ी"।
मुहकम-- वि० (अ.) दृढ़, मजबूत. पक्का । मुसाफ़िर--संज्ञा, पु० (अ०) पथिक, यात्री।
मुहकमा--- क्षा, पु० (अ.) सीग़ा, सरिश्ता, मुसाफ़िर खाना-संवा, पु० यौ० ( अ० । विभाग। मुसाफ़िर -। खाना फ़ा० ) यात्रियों के ठहरने
मुहताज - वि० (अ०) कंगाल, दरिद्र, ग़रीब, का स्थान, सराय, होटत अं०', धर्मशाला ।
आकांही, चाइने वाला। मुसाफ़िरत--संज्ञा, सी० [अ०) मुसाफिर हव्यत--संज्ञा, स्त्री. (भ०) प्रेम, स्नेह, होने की दशा, प्रवास, परदेश, यात्री ।
चाह, प्रीति, प्यार, मित्रता, लगन, इश्क, मुसाफ़िरी- संज्ञा, सी० (ग्र०) मुसाफिर लो। " मुहब्बत भी नहीं खाली है कातिल होने की दशा, प्रवास, यात्रा।
की अदावत पे"--जौक । मुसाहब, मुसाहिब- पंज्ञा, पु० (अ०) राजा मुहम्मद-संज्ञा, पु० (अ० मुसलमानी मत या धनी का सहवामी, पार्वती निकटस्थ, के चलाने वाले घरब के एक धर्माचार्य । साथी । “कॅगला जहान के मुसाहिब के महम्मदी--रज्ञा, पु० (अ०) मुसलमान । बंगला में-"।
मुहर-संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ़ा. मोहर ) मुसाहबी- संज्ञा, स्त्री० (अ० मुसाहब : ई- अशरफी, मोहर, ठप्पा, छाप ।
प्रत्य० ) मुसाहब का पद या कार्य । महरा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० मुंह- रामुसीबत -- संज्ञा, स्त्री० अ०) आपत्ति, संकट, प्रत्य०) मोहरा, पागा, सामना, श्रागे या कष्ट, विपत्ति ।
सामने का भाग । “गरुधर मोहरा है मुस्क्यान-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि.. चौड़ा का मंत्री जौन पिथौरा क्यार' - मुसकराहट ) मुसकुराहट, मंद हँसी । अल्हा० । मुहा० -अहरा लेना--मुकाबिला मुस्टंड, मुस्टंडा - वि० दे० । सं० पुष्ट ) या सामना करना ! शतरंज की गोट घोड़े हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताज़ा, गुंडा, बदमाश, के मुँह का एक साज, मुख, प्राकृति, मुचंड, मुचंडा (दे०)।
निशाना, विलका द्वार । मुस्तकिल - वि० (अ. दृढ़ स्थिर, अटल, महरी, मोहरी---- संज्ञा, स्रो० ( हि. मोहरा) मज़बूत, कायम, पक्का ।
छोटा मोहरा, बंदूक का मुँह । मुस्तगीम- संज्ञा, पु० (अ.) इस्तग़ाया या मुहर्र--संज्ञा, पु० (श्र०) अरबी वर्ष का
अभियोग लाने या मुकदमा चलानेवाला। प्रथम मान, इमाम हुसेन के शहीद होने मुस्तशना-वि० (अ.) अपवाद-स्वरूप, का महीना । अलग किया हुआ, मुस्तसना (दे०)। मुहर्रमी-- वि० (८० मुहर्रम + ई-प्रत्य० )
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