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REEMPRODA
मालखाना
माली मालखाना- संज्ञा, पु. यौ० (फा०) मालघर, मातादीपक-संझा, पु० यौ० (सं० ) एक
भांडागार, माल असबाब रखने का स्थान। अलंकार जिपमें पहले कही वस्तु को पीछे मालगाडी- संज्ञा, खो. यो० (दि.० केबल कही वस्तु के उत्कर्ष का कारण कहा माल ही लादने की रेलगाड़ी।
जाता है । १० पी०): मालगुजार --संज्ञा, पु० यौ० (फा. माल- शायर -- ज्ञा. पु. ( सं०) १७ वर्णो गुज़ारी देने वाला, नाबरदार।
एक गिक छंद (पिं० )। मालगुजागे-संज्ञा, श्री० (फा०) भूमि का । मालामाल-विक यौ० (फा०) मालामाल
जो ज़मींदार परकार को देना है, लगान। (दे०) बहुत धनी या संपन्न । मालगोदाम--संज्ञा, .. यौ० (हि.. रेल मालाएक-झा. पु० यौ० (सं०) रूपकाके स्टेशन का वह स्थान जहाँ थाने-जाने लंकार का एक भेद ।। वाला माल रखा जाता है. भालगाव मालिक---- संसा, पु० (अ.) स्वामी, अधिपति,
ईश्वर, पति । स्वी० मालिका।। मालती पंज्ञा, सो० सं० ) बड़े वजों पर मालिका--ज्ञा, सी० ( सं० ) माला, हार, फैलने वाली एक सघन लता, ६ वा को मालिन, श्रवानी, पंक्ति। एक वर्ण-वृत्ति, १२ वणों का वर्गिक छंद मालिकाना---ज्ञा, पु. ( फा० ) स्वामित्व, (पिं०), मत्तगयंद पदया । योत्स्ना, स्वामी का स्वत्व या अधिकार, मिलकियत । चंद्रिका, रात्रि, सस
कि० वि० (दे०। स्वामी के समान, मालकाना। मालदार-वि० ( फ़ा धनी. धनवान। लकी संहा, स्त्री० दे० ( फ़ा० मालिक ) मालद्वीप ज्ञा. [ यो मलय. मालिक होने का भाव, मालिक का स्वत्व । द्वीप ) मूंगे के लिये प्रति भारत परिचमालिनी-संहा, स्त्री. ( सं० ) चंपानगरी, की भोर का एक ही
मालिन, गौरीजी. रकद की ७ माताओं में म नपुग्रा-मालपुवा संहा, १०० यौ० से एक माता, एक वर्णिक छंद (पि०) । (सं० पूप) पूरी जैप्पा एक माला पकार " ननमयय यु नेयं, मालिनी भोगि लोके", मालव--- संज्ञा, पु. 10) मानचा देश. सदिरा छंद पिं.)।
भैरव राग ( संगी० ) माल थाना तिन्य-संजा, पु० (सं० ) मलिनता, वि० मालब देश सबंधी, मानवा का :
मैलापन यौर मनोमालिन्य । मालवा-ज्ञा, पु० द० ( पं० सालना
मल्लिमान--- संहा. स्त्री० ( अ ) मोल, मूल्य,
ल यात एक देश !
संपत्ति कीमती चीज़, जायदाद । मालवीय-वि० (१०) पाली (दे०) निमान ----राज्ञा. ३० दे० (सं० माल्यवान्) मालवा ा मालव देश का रहने वाला रावण का नाना. एक राक्षस । “ मालिवान संज्ञा, पु० (दे०) मालया को १ मा प्रति जटर निशाचर''.--रामा। जाति ।
सारिश- सज्ञा, स्रो० (फा०) मलाई, मर्दन, माला--संज्ञा, खी० सं० पौति, पंक्ति मलने का भाव या काम । मालिस (दे०)। अवली, झंड, समूह, पलों आदि का हार, पाली--- पंक्षा, पु. ( सं० मालिन् ) फूलगजरा । " माला परत जुग गया । माला बेचने वाला बागवान, पेड़-पौधे -~-कवी । मुहा०-४ाला फरन..- लगाने या सींचो वाला, ऐसे लोगों की एक जपना, भजना । दूर, उपजाति छंद का एक छोटी जाति । (स्त्रो० मालिन, मालन, भेद (वि.)।
मालिनी)। वे० ( सं० मालिन् ) माला
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