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माधुरी १३९७
मानवी माधुरी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मधुरता, मिठास, मानकच-संज्ञा, पु० (दे०)मानकंद (हि.)।
मधुराई, सुन्दरता, शराब, मद्य । मानक्रीड़ा--संज्ञा. स्त्री० (सं०) एक छंदमाधुर्य-संज्ञा, पु० (सं०) माधुरी, मिठाम, भेद (पिं० सूदन०)। सुन्दरता, शोभा, मधुरता, पांचाली रीति ! मानगृह--ज्ञा, पु० यौ० (सं०) कोप-भवन । के काव्य का मनोमोहक एक गुण (काव्य.)। मानचित्र - संज्ञा, पु. यो० (सं०) नकशा। माधैयाक्ष-संज्ञा, पु० दे० (सं० माधव ) मानता --संजा, स्त्री० दे० (हि० मनत) मन्नत। माधव ।
मानदंड---ज्ञा, पु० यौ० (सं०) पैमाना, माधो, माधौ -- संज्ञा, पु० दे० (सं० माधब) । नापने का दंड, राज-चिन्ह । " स्थितः श्रीराम, श्रीकृष्ण, विष्णु । “माधो श्रब के प्रथिव्यामिव मानदंडः ''--कु० सं० । गये कब ऐहो"- सुर० ।
मानना-अ. क्रि० (सं० मानन ) स्वीकार माध्यंदिनी-संज्ञा, स्त्री. (सं०) शुक्ल यजुः या अंगीकार करना, कल्पना या फर्ज़ करना, चैद की एक शाखा ।
समझना, ठीक रास्ते पर पाना, ध्यान में माध्यम---वि० (सं०) बीच का, मध्य का, लाना । स० कि० --- स्वीकृत या मंजूर बीच वाला । संज्ञा, [o-कार्य सिद्धि का करना, पारंगत जानना, थादर-सत्कार या साधन या उपाय ।
प्रतिष्टा करना, पूज्य जानना, धार्मिक भाव माध्यमिक-संज्ञा, पु. (सं०) बौद्धों का एक से श्रद्धा और विश्वास करना, मनता या
भेद, मध्य देश । वि-मध्य का। मन्नत मानना, देवतार्थ भेंट करने का माध्याकर्पण--- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सदा संकल्प करना । सब पदार्थों को अपनी ओर खींचने वाला, माननीय - वे० (२०) सम्मान या सरकार
पृथ्वी के केन्द्र का श्राकर्षण । है वरने योग्य, पूज्य । स्त्री०-माननीया ।। माघ-संज्ञा, पु० सं०) मध्वाचार्य का मानपरेखा--संज्ञा, पु० (दे०) श्राशा, भरोसा। प्रचलित किया हुया चार प्रमुख वैष्णव- मानमंदिर--संज्ञा, पु. यो० (सं०) कोपसंप्रदायों में से एक ।
भवन, ग्रहों के देखने या वेध करने श्रादि माध्वी-संज्ञा, स्त्री० (०) मदिरा, शराब। की सामग्री या तरसम्बन्धी यंत्रों का स्थान, मान-संज्ञा, पु० (सं०) माप, तौल, भार, वेधशाला। नाप श्रादि, मिकदर परिमाण, पैमाना, मानपनौती -संज्ञा, स्त्री० यौ० ( हि०) मनौती, नापने या तौलने का साधन, थभिमान, मन्नत, रूठने और मनाने की क्रिया । गर्व, शेखो, रूठना, सम्मान, प्रतिष्ठा, मानारोग्*--संज्ञा, स्त्री० (दे०) मनसरकार । मुहा०-मान मथना-घमंड मोटाव, बिगाइ, वैमनस्य, मनोमालिन्य । मिटाना । मान रखना-प्रतिष्टा करना। मानमोचन--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) रूठे को यौ-मान महत-श्रादर, सत्कार । मनाना, मान छोड़ना। अपने प्रिय का दोष देखकर पैदा होने वाला मानव-संज्ञा, पु० (सं०) श्रादमी, मनुज, एक मनोविकार ( साहि० ) । मुहा०- मनुष्य, चौदह मात्राओं के छंद (पिं०) । मान मनाना-रूठे हुये को मनाना। संज्ञा, स्त्री०-मानवता। मान मोरना--मान छोड़ देना । शक्ति, : मानवशास्त्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मनुस्मृति, सामथ्र्य, बल।
मनुकृत धर्म शास्त्र । मानकंद- संज्ञा, पु० दे० (सं० माणक ) मानवी-संज्ञ, पु. (सं०) स्त्री, नारी। वि. एक मीठा कंद, सालिय मिस्री। । दे० (सं० मानवीय ) मानव-संबंधी।
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