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माढा, मढ़ा
मात्रा
माढा, मढ़ा*1- संसा, पु० दे० (सं० मातम--संज्ञा, पु० (अ०) किसी के मरने पर मंडप) अटारी पर का बंगला या चौबारा। रोना-पीटना. रंज, शोक, अफ़सोस, दुख, माढी*-संज्ञा, स्त्रो दे० (सं० मंडप) कंदन । मदी, कोठरी, छोटा मठ।
मातमपुर्मी - संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) मृत के माणवक-- संज्ञा, पु० सं०) वटु, विद्यार्थी, । सम्बन्धियों को सांत्वना या धैर्य देना । सोलह वर्ष का युवा, नोच या निदित मातमी--वि० (फा० शोक-सूचक । व्यक्ति।
मानलि-संसा, पु० (सं०) इन्द्र का सारथी । माणिक, मानिक-संज्ञा. पु. द. ( सं० मातलिसन----संज्ञा, पु. यौ० (सं०) इन्द्र । मागिाक्य ) लाल रंग का एक रत्न, चुन्नी । माहत-वि. (अ.) किसी की अधीनता पद्मराग, लाल । विसबसे बढ़कर में काम करने वाला। संज्ञा, स्त्री० मातहती। सर्व-श्रेष्ठ, अति प्रादरणीय । "मोती पाना--संज्ञा, स्त्री. ( सं० मातृ ) जननी, माणिक, कुलिश, पिरोजा" - रामा। जन्मदात्री, पूज्या या बड़ी स्त्री, गौ, पृथ्वी, माणिक्य-संज्ञा, पु. (सं०) एक लाल रत्न, लघमी, शीतला, चेचक । वि० ( सं० मत्त) लाल, चुनी, पारा । वि० ---सर्व-श्रेष्ठ, प्रमत्त, मतवाला । स्त्री० माती। पादरणीय।
मातामह---संज्ञा, पु. (सं०) नाना, माता मातंग---संज्ञा, पु० (सं.) चांडाल, श्वपच, का बाप या पिता : स्त्री० मातामही। हाथी, शवरी के गुरु एक ऋषि, अश्वत्थ, मातु* --- संज्ञ, स्त्री० दे० ( सं० मातृ ) माँ, पीपल ।
माता, जननो, स्त्री। " पूछेउ मातु मलिन मातंगी-- संज्ञा, स्त्री० (मं०) दश महा विद्याओं मन देखी"-रामा० ।।
में से हवीं महा विद्या या देवी (तंत्र०)। मानुल --- संज्ञा, पु० (सं०) मामा, माता का मात-संज्ञा, खो० दे० सं० मातृ ) मात, भाई, धतूरा । स्त्री०-मातुला, मातुलानी। माता। संज्ञा, खी. (०) हार, पराजय, | मातुली- संक्षा, स्त्री० (सं०) मामी, माई, शतरंज में शाह के मोहरे का चारों ओर मामा की स्त्रो, भाँग, मातुलानी।। से घिर कर चल न सकने की दशा । वि० मातृ -- संज्ञा, स्त्री० (सं०) माता, साँ, अम्बा। (अ०) पराजित । *वि० दे० (सं० मत ) मातृक--वि० (सं०) माता-संबंधी, माता का। माता, मतवाला, उन्मत्त ।
मातृका--संक्षा, सी० (सं०) धाय, दाई, मातदिल-वि० दे० (अ० मोअतदिल ) । धायी, जननी, माता. ब्राह्मी, माहेश्वरी. जो न तो बहुत ठंढा हो हो और न अति |
कौमारी, वैद्यावी, बाराही, इन्द्राणी और गर्म ही हो।
चामुंडा सात देवियाँ (तांत्रि०)। मातना--प्र. क्रि० दे० (सं० मत ) मातृपूजा---ज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० मातृमतवाला या मस्त होग, नशे से उन्मत पूजन ) पितरों को पुत्रों से पूजने की एक होना । “जो अँचवत माते नृप तेई "- रीति (व्याह.), मातृका पूजन । मा० ।
मातृभाषा-ज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) माता मातबर--- वि० दे० (प्र. मोअतबिर ) की गोद से हो सीखी हुई बोली, मादरी विश्वासी, विश्वासनीय, एतवारी (उ०) जबान (फा०). मदरटंग (अं०)। विश्वस्त ।
मात्र- अव्य० (सं०) केवल, सिर्फ, भर। मातबरी- संज्ञा, स्त्री. (अ०) विश्वास, मात्रा-संज्ञा, स्त्री. (सं०) मिकदार (फा०), विश्वासनीयता, ऐतबारी।
परिमाण, एक बार में खाने योग्य औषधि,
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