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भिगोना
१३२६
भिलावां-भेलवाँ भिगोना-स० कि० दे० (सं० अभ्यंज) भिताना*--स. क्रि० दे० (सं० भीति ) भिगाना, पानी से तर करना, भिगोवना, डरना, डराना। भिजोना (ग्रा.)।
भित्ति-संज्ञा, स्त्री. (सं०) भीत, भीति भिचना- प्र. क्रि० (व.) बंद होना, भीती (दे०) दीवार, दीवाल, भीति, डर, मिचाना, खिंवना।
भय, वह वस्तु जिस पर चित्र बनाया जावे । भिच्छा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० भिक्षा) भिथारना-स० कि० (दे०) भथोरना,
भीख माँगना, माँगा हुआ अन्न श्रादि। ___ भथेलना, कुचलना । अ० रूप मिथुरना । भिच्छु-भिच्छुक-संज्ञा, पु० दे० ( सं० भिक्षु- भिद- संज्ञा, पु० (सं० भिद् ) अंतर, भेद, भिक्षुक ) भिखारी भिखियारी।
भेदन । भिजवना, भिजोवना*-स० कि० दे० मिदना-प्र० कि० दे० (सं० भिद् ) घुस (हि. भिजोना) भिगोने में दूसरे को लगाना, | जाना, प्रविष्ट या पैवस्त होना, छेदा जाना, भिगोना, भिजोना।
घायल होना । स० रूप-निदाना, प्रे० रूपभिजवाना, भेजवाना-स० क्रि० दे० ( हि० भिदवाना । "भिदत नहीं जल ज्यों भेजना का प्रे० रूप ) किसी के यहाँ भेजने | उपदेश"-~के० । में लगाना पठाना, पठवाना। | मिदिर-संज्ञा, पु० दे० (सं०) वज्र, भिदर। भिजाना-२० कि० दे० ( हि० भिगोना ) भिदुर- संज्ञा, पु. ( सं०) वज्र, भिदिर । भिगोना । स० क्रि० (हि. भिजवाना) भिनकना अ० कि० दे० (अनु०) भिन भिन भेजाना, भेजने में लगाना, पठाना, शब्द करना, मक्खियों का शब्द, घृणा होना। पठवाना, पठावना।
भिनभिनाना-अ० कि. ( अनु० ) भिन मिजोना*-स० क्रि० दे० (हि. भिगोना) भिन शब्द करना, भनभनाना। 'मिगोना, भिजोवना ( ग्रा० )। भिनसार-भिनुसार-संज्ञा, पु० दे०(सं० भिक्ष- वि० ( सं०) जानकार, ज्ञाता : विनिशा ) सवेरा, प्रातःकाल । " यहि विधिसंक्षा, स्त्री. विज्ञता।
जलपत भा भिनसारा"-रामा० । भिटनी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) स्तन का अग्र | भिनहीं-क्रि० वि० (दे०) सवेरे, प्रातःकाल ।
माग,फूल के नीचे का भाग। वि. छोटा, लघु। भिन्न वि० (सं० ) अन्य, पृथक, अलग, भिड़-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. बरे) वर्ग, जुदा, अपर, दूपरा, इतर । संज्ञा, पु० इकाई ततैया, बरैया।
से कम संख्या (गणि.)। भिडंत-संज्ञा, पु० (दे०) भिड़ने का भाव, । भिन्नता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अलगाव, भेद, लड़ाई, मल्ल ।
__ अंतर, विलगता, पृथकता। भिडना-अ० कि० दे० (अनु० भड़) लड़ना, भियना*-अ० क्रि० दे० (सं० भीत) उकराना, टकर खाना, बहस करना, झगड़ना। डरना । स० कि० भियाना।। स. रूप-भिडाना, प्रे० रूप-भिडवाना। भिरना*-स० कि० दे० (हि. भिड़ना) भितरियाना-स० कि० दे० (हि. भीतर ) भिड़ना। भीतर करना या होना।
भिरिंग ---संज्ञा, पु० दे० (सं० भृग) भौंरा। भितल्ला-संज्ञा, पु० दे० (हि. भीतर+तल) भिलनी - संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. भील ) पोहरे वस्त्र का भीतरी प्रस्तर या पल्ला । वि. भीलिनी, भोलिन, भिल्लिनी। मीतर या अन्दर का । स्त्री०-भितल्ली। भिलाँवाँ-भेलवा-संज्ञा, पु० दे० (सं० . . . . .
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