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बेशकीमत १२९७
बेहना बेशकीमत-वि० (फा०) अमूल्य । संज्ञा, बेसारा- वि० दे० (हि. बैठाना ) स्त्री०, वि० बेशकीमती।
बैठानेवाला, जमाने या रखनेवाला । बेशरम-वि० दे० ( फा० बेशर्म ) निर्लज्ज, बेसाहना-स० क्रि० (दे०) मोल लेना, निलजा, बेहया, बेसरम (दे०), लिहाड़ा खरीदना, जान-बूझ कर अपने पीछे झगड़ा (प्रान्ती०) । संज्ञा, स्त्री० बेशरमी। लगाना । "आनेहु मोल बेसाहि कि बेशी-संज्ञा, स्त्री० (फा०) ज्यादती, अधि
। मोही"- रामा। कता । यौ०-कमी-बेशी।
बेसाहनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. बेसाहना) बेशुमार-वि० (फा०) बेसुम्मार (दे०)
माल मोल लेने का कार्य । असंख्य, अगणित।
बेसाहा-संज्ञा, पु० दे० (हि. बेसाहना) बेश्म-संज्ञा, पु० दे० (सं० वेश्म ) घर,
सौदा, सामग्री, सामान, मोल ली वस्तु । मकान, गृह, मंदिर।
बेसुध-वि० (हि०) बेख़बर, बेहोश, अचेत, बेसंदर, बैसंघर -संज्ञा, पु० दे० (सं०
बेसुधि (दे०)। संज्ञा, स्त्री० बेसुधी। वैश्वानर ) अग्नि, भाग।
| बेसुर-बेसुरा--वि० (हि. बे+स्वर-सं०) बेसँभर, बेसँभार* --वि० दे० (फ़ा० +
नियत स्वर से हीन या अलग, बेताल,
(संगी०), स्वर-रहित, बे मौका । स्त्री०संभाल-हि० ) अचेत, बेहोश, जो निज को | सँभाल न सके, जो सँभाला न जा सके।
बेसुरी।
बेस्वा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वेश्या) वेश्या, बेस-अव्य० (दे०) अच्छा । संज्ञा, पु० (दे०)
रंडी। " बेस्वा केरो पूत ज्यों, कहे कौन को वेष, भेष ।
बाप"-कबी०। बेसन-संज्ञा, पु० (दे०) चने की दाल का
बेहंगम-- वि० दे० (सं० विहंगम ) पक्षी, भाटा, रेहन (प्रान्ती०)। बेसनी संज्ञा, स्त्रो० दे० (हि० वेसन) बेसन
__ भद्दा, भोंड़ा, बेढंगा, विकट, बेढब । की बनी या भरी हुई रोटी या पूड़ी,
बेहँसना* --अ० कि० दे० ( हि० हँसना ) बेसनोटी (ग्रा०)।
(सं०-विहसन ) बड़े जोर से हँसना, ठट्ठा बेसनौटी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. बेसन)
मार कर हँसना बिहँसना (दे०) । " हँसा बेसन की बनी रोटी या पूड़ी।
बहुरि महा अभिमानी"-रामा०।। बेसबरा-वि० दे० (फा० बे+ सब-अ.)
बेह -संज्ञा, पु० दे० (सं० बेध) छिद्र, छेद। असंतोषी, अधीर।
बेहड़--वि० संज्ञा, पु० दे० (सं० विकट) बेसर-संज्ञा, पु. (दे०) खच्चर, घोड़ा, नाक
ऊँचा-नीचा वनखंड, विकट, बीहड़ (दे०)। की नथ या नथुनी।
बेहतर बेहतरीन-वि० (फ़ा०) किसी से बेसरा--वि० दे० ( फा. बे+सरा-घर) बढ़कर, बहुत अच्छा, बहुत ही अच्छा। गृह-हीन श्राश्रय-हीन, बेघर का । संज्ञा, अव्य० स्वीकार-सूचक शब्द, अच्छा। पु० (दे०) एक पक्षी।
बेहतरी- संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) अच्छापन, बेसवा- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वेश्या) वेश्या, भलाई। पतुरिया, रंडी, बेसुवा (ग्रा०)। बेहद- वि० (फ़ा०) असीम, अनंत, अपार बेसास--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वेश्या ) | अपरिमित अधिक, बहुत । वेश्या, पतुरिया रंडी । संज्ञा, पु० दे० ( सं० बेहना-संज्ञा, पु० (दे०) जुलाहों की एक भेष ) भेष, रूप, वेष।
जाति, धुनिया, धुना। भा० श० को०-१६३
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