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बूझना
ज्ञान, बुद्धि, समझ, अक़्ल, पहेली । वि० बुकवार, बुझत्रैया ।
बूझना - स० क्रि० दे० ( हि० बूझ = बुद्धि ) समझना, जानना, पूछना, ताड़ना । स० रूप बुझाना, बुझवाना । 'जहुँ न बूझ अबूझ - रामा० ।
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बूट - संज्ञा, पु० दे० (सं० विटप, हि० वूटा ) चने का हरा पौधा या दाना, वृत्त, पौधा । संज्ञा, पु० (०) जूता । बूटनिj - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० बहूटी) बीरबहूटी नामक एक बरसाती कीड़ा । बूटा - संज्ञा, पु० दे० (सं० विटप पौधा, छोटा वृक्ष, वस्त्रों या दीवाल यादि पर बनाने के फलों- फूलों, बेलों और वृक्षों के चिन्ह | यौ० - बेल-बूटा | त्रो० अल्पा०- -बूटी । बूटी - संज्ञा, स्त्री० (हि० बूटा) जड़ो, वनस्पति, वनौषधि, भाँग, भंग, वस्त्रादि पर छोटा बूटा, खेलने के ताश की बूँदे या टिपकियाँ । यौ० - जड़ा-यूटी, भाँग-लूटी। बूड़ना । - स० क्रि० दे० (स० बुड़ = डूबना ) निमग्न होना, डूबना, लोन या विलीन होना । बूड़ा-पंज्ञा, पु० दे० ( हि० इवना ) श्रति वृष्टि आदि से पानी की बाद, सैलाब । बूढ़, बूढ़ा - वि० दे० ( ० वृद्ध ) बुड्ढा, वृद्ध, डुक्रा, डोकरा । सज्ञा, पु० (प्रान्ती०) लाल रंग बीरबहूटी |
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बूढ़ी - संज्ञा, त्रो० दे० (सं० वृद्वा ) वृद्धा, बुदिया, डुकरिया, वुड्डी (६०) | बूता - संज्ञा, पु० दे० (सं०दित ) बल, सामर्थ्य, पौरुष, शक्ति, ब्रूत (ग्रा० ) ।
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बूरना* - अ० क्रि० दे० ( हि० वूड़ना ) बैंक-त-संज्ञा, पु० दे० (सं० वेतस् ) एक
डूबना ।
लता । "फूलै फलै न बत, यदपि सुधा बरसहि
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बंदा
वृषध्वज---संज्ञा, पु० दे० (सं० वृषकेतु, वृपध्वज) शिवजी, महादेव जी, वृषकेतु । बृहती --- संज्ञा, त्री० (सं०) भटकटैया, कटैया, माँ, बरहंडा ( प्रान्ती० ), विश्वावसु गंधर्व की वीणा, उपवना, उत्तरीय वस्त्र, ६ वर्णों का एक वर्ण वृत (पिं० ) । ' देवदारु धना शुठी बृहत द्वय पाचनम् " - लोलं० । बृहत् वृहद् - वि० (सं०) विशाल, बहुत ही बड़ा, बलिष्ठ, हद ऊँचा : स्वरादि ) । वृहदारण्यक - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शतपथ ब्राह्मण का एक उपनिषद् | वृहद्रथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) इन्द्र राजा शतधन्वा के पुत्र और जरासंध के पिता का नाम (महा० ) । वृहन्नल - संज्ञा, पु० (सं० ) अर्जुन का एक नाम, जब वे श्रज्ञातवास में विराट के यहाँ स्त्री-प में रह उत्तरा को नाच-गान सिखाते थे (महा० ) ।
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गृहमला - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अर्जुन । बृहस्पति - सज्ञा, पु० (सं०) देवताओं के गुरुदेव जो अंगिरा के पुत्र और भरद्वाज के पिता हैं (वैदिक) देवगुरु, सौर मण्डल का ५ वाँ ग्रह (ज्यो०) महाविद्वान | बंग - संज्ञा, ५० दे० ( सं० भेक ) मेंढक | बंड, बैठ संज्ञा, स्त्री० (दे०) हथियारों में लगा वाठ आदि का दस्ता, मूठ । बड़ा -संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० बेड़ा ) चाँड़,
टेक
बड़ा - वि० दे० (६ि० थाड़ा) घाड़ा, तिरछा, टँदा, क्लिष्ट, कठिन |
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बूरा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० भूरा ) शक्कर, जलद' ' - रामा० । मुहा०त की भूरे रंग की कच्ची चीनी, साफ़ चीनी, चूर्ण । तरह काँपना- भय से थर थर काँपना, बृच्छ* +- संज्ञा, पु० (दे०) वृत्त (स० ) पेड़, बहुत डरना । तन ति-भार पड़ने पर fafta (प्रा० ) । शुक जाना और फिर सीधा खड़ा हो जाना। वृष, वृषभ - संज्ञा, पु० दे० ( सं० वृष ) बैल, बंदा -- सज्ञा, ५० दे० (सं० बिंदु ) टीका, दूसरी राशि ( ज्यो० ) वृषकेतु । बंदी, सिर का एक गहना, टिकली, बिन्दी |
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