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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बिचकना श्रधो- श्राध, (?) बीच। यौ० विच-बिच । " बिच-बिच गुच्छा कुसुम - कली के " - १२६६ रामा० । बिचकना - ० क्रि० (अनु० ) भड़कना, चौकना, चिदना, सतर्क होना, भड़कना, मुँह बनाना या टेदा करना । ( स० रूपबिचकाना, प्रे० रूप- चिचकवाना) । बिचकन्ना - वि० दे० ( हि० बिचकना ) बिचकनेवाला, सावधान, सतर्क । बिचच्छन - वि० दे० (सं० विचक्षण ) पंडित, चतुर, निपुण, प्रवीण, विद्वान, बुद्धिमान | संज्ञा, स्त्रो० विचच्छनता । बिचरना - अ० क्रि० दे० (सं० विचरण ) भ्रमण करना, चलना-फिरना, घूमना, यात्रा या सफ़र करना । "कौन हेतु बन बिचरहु स्वामी ". - रामा० । बिचलना - अ० क्रि० दे० (सं० विचलन ) इधर-उधर हटना, हिम्मत हारना, डिगना, हिलना, कह कर इन्कार करना, मुकरना, बिचलित होना, तितर-बितर होना, भगना । "निज दल विचल सुना जब काना" - रामा०: स० रूप-बिचलाना, प्रे० रूप–विचल - वाना । बिचला - वि० दे० ( हि० बीच + ला प्रत्य० ) बीच का, मध्यवाला । स्त्री० विचली । बिचलित - वि० (दे०) इटा हुधा, घबराया, विकल, व्याकुल । ० बित्रवान, बिचवानी - संज्ञा, पु० दे० (हि बीच + वान ) मध्यस्थ, मध्यवर्ती, बीचबचाव करने वाला, मिलाने वाला । बिहुत - संज्ञा, पु० दे० ( हि० बीच ) अंतर, संदेह, दुविधा, भेद । बिचार – संज्ञा, पु० (दे०) विचार, भाव, सोच, ध्यान, इरादा । विचारना - प्र० क्रि० दे० (सं० विचार + ना - प्रत्य० ) सोचना, समझना, गौर करना, पूछना | " देखु बिचारि त्यागि मदमोहा " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिछलन ------ - रामा० । स० रूप-बिचराना, प्रे० रूपबिचरवाना | वि० विचारनीय | विचारमान - वि० ( हि० विचार ) विचारने योग्य, विचार करने वाला | विचारवान - वि० (दे०) विचारवान, बुद्धिमान, असेोची, दूरदर्शी । बिचारा - वि० दे० ( फा० बेचारा ) दुखिया, विवश, बापुरा । विचारित - वि० दे० ( सं० विचारित) सोचा या निश्चय किया हुआ । विचारी - संज्ञा, पु० सं० विचारिन् ) विचार करने वाला | वि० स्त्री० (हि० बेचारा ) दुखिया । ' ज्यों दसनन महँ जीभ बिचारी " - रामा० । विचाल - संज्ञा, पु० दे० (सं० विचाल ) थलग करना, अंतर । विचाली - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) पुत्राल, सूखी घास, चटाई । विचेत For Private and Personal Use Only - वि० दे० (सं० विचेतस् ) श्रचेत, मूच्छित बेहोश । बिचौनिया-बिच्चोनिया - संज्ञा, पु० स्त्री० विच्छित्ति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) शृंगार रस के ( हि० बीच ) मध्यस्थ, बिचवाई, बिचवानी । ११ दावों में से एक जिसमें कुछ श्रृंगार ही से पुरुष के वश में करने का वर्णन हो, aatक्ति वैचिव्य, चमत्कार ( काव्य ) । बिच्छी, बिच्छू - संज्ञा, पु० दे० (सं० वृश्चिक) एक विषैले डंक वाला छोटा कीड़ा, एक विषैली घास, बीकी, बीछू (ग्रा० ) ! विच्छेप- संज्ञा, पु० दे० (सं० विक्षेप ) फेंकना, चित्त की चंचलता, बिघ्न, बाधा, रोक । चिकना - अ० कि० दे० (सं० विस्तरण ) बिछाया जाना, फैलना, पसरना । स० रूपविवाना, बिछावना, प्रे० रूप-बिछवाना । विकलता - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० विचलता ) रपट, फिसलना, बिलन (ग्रा० ) । बिकलन - संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) फिसलन, fasts (ग्रा० ) ।
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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