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बधस्थान
वद्धन ) मिट्टी या धातु का टोंटीदार लोटा । बधस्थान - संज्ञा, पु० (सं०) जीवों के मारे जाने की जगह । बधाई - संज्ञा, खो० दे० (सं० वद्धन ) बढ़ती, मंगलाचार शुभ समय पर गाना-बजाना उत्सव, शुभावसर पर आनंद या प्रपन्नता सूचक बचन । ' श्राजु नंद घर बजत बधाई री " सूर० ।
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१०- उच्छम बत्राव ।
बधाया वधावा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० बधाई ) बधाव, बधाई संबंधियों या मित्रों के यहाँ से मंगलोरसव पर आई भेंट या वस्तु | यौ० - बधिक संज्ञा, पु० दे० (सं० बधक ) हत्यारा, व्याधा, बहेलिया जल्लाद | "बधिक बध्यो मृग बान तें लोहू दियो बताय -तु० । बधिया - संज्ञा, पु० दे० (सं० वध ) चाखता, खस्सी, अंडकोष हीन पंढ बैल यादि पशु । बधियाना - अ० क्रि० दे० (हि० वध, बधिया)
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बधना, बधिया करना ।
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बधिर - संज्ञा, पु० (सं०) बहरा, श्रवण-शक्तिहीन | संज्ञा, स्त्री० - धिरता । गुरु सिख ग्रंध बधिर कर लेखा" - रामा० | बधू संज्ञा स्त्री० (सं० वधू) पतोहू, भार्या, स्त्री, बहू (दे० ) ।
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वधूटी - संज्ञा, पु० दे० (सं० बधूटी ) पतोहू, सुहागिन स्त्री, नवीन बहू, स्त्री । " करहिं बघू मंगल गाना रामा० । यौ० देववधूटी--अप्सरा, स्वर्ग-वधूटी | बधूरा संज्ञा, पु० दे० ( हि० बहुधूर ) एक बवंडर, बगूला. वायु-चक्र | बध्य - वि० (सं०) बध के योग्य । बन - संज्ञा, पु० दे० (सं० वन ) कानन, जंगल, पानी, बाग, कपास का पौधा, . बड़भागी बन श्रवध प्रभागी "रामा० । पाहन तें बन वाहन काठ को कोमल है जल खाय रहा है ” – कवि० । " सब को ढंकन होत है जैसे बन को सूत" - नीति |
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बनजी
बनकंडा - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० बनस्कंदन ) जंगली उपले ।
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बनक* - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० बनना ) भेष, सजावट, बाना, सजधज, बानक । बन कर - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वनकर ) जंगली उपज का महसूल ।
बनखंड - संज्ञा, पु० दे० ( सं० वनखंड ) जंगली प्रदेश ।
बनखंडी - पंज्ञा, स्त्रो० यौ० ( हि० + खंड ) छोटा बन बन का कोई भाग | संज्ञा, पु० बनवासी, वन में रहने वाला । नत्र बनेर
संज्ञा, पु० दे० (सं० वनेचर) बन का पशु, जंगली
'युधिष्ठिरं
बन में रहने वाला जीव या आदमी, वन- मानुस | 46 द्वैप वने वनेचरः " - किरात० । बनवारी - वि० यौ० (सं० वनचारिन्) बन में घूमने या रहने वाला, बानर । स्त्री० वनचारिणी ।
बनज संज्ञा, पु० दे० ( सं० वनज ) जल से उत्पन्न पदार्थ, कमल, मोती, बन में होने वाली वस्तु । ' जय रघुवंश बनज बनभानू "
रामा० | संज्ञा, पु० (दे०) वाणिज्य (सं०) व्यापार बनिज (दे०)
बनजर -- संज्ञा, पु० (दे० ) पड़ती या ऊसर भूमि बंजर ( ग्रा० ) ।
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बनजात – संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वनजात्त) कमल, जल या वन में उत्पन्न । बनजारा, बंगरा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० For + हारा) बैलों पर माल ले जाने या लेने वाला व्यापारी, इंडिया (प्रांती० ) । "सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा -- स्फु० । स्त्री० बनजारिन । बनजारो संज्ञा, स्त्री० ( हि० बनजारा ) बन - जारा की स्त्री, बनजारा की वस्तु । बनजी - संज्ञा, पु० दे० ( सं० वाणिज्य ) व्यापार, व्यापारी । " कोउ खेती कोउ बनी लागै कोउ श्रास हथियार की "सुन्दर० ।
बनजारा
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