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बददुश्रा १२२७
बदलना बददुश्रा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (फा० बद+ म०+ई०-प्रत्य० ) दुष्टता, दुष्कर्म, दुआ-अ०) शाप, साप, सराप (दे०)। व्यभिचार, पाजीपन, बदमासी (दे०)। बदन-संज्ञा, पु० ( फा० ) देह, गात | संज्ञा, बदमिज़ाज-वि० यौ० (फा० ) बुरे स्वभाव
पु० दे० ( सं० बदन ) मुख । | वाला । संज्ञा, स्त्री०-बदमिज़ाजी । बदनसीब-वि० यौ० ( फा० बद+नसीब- बदरंग-वि० यौ० ( फ़ा० ) विवर्ण, भद्दे या
अ.) प्रभागा, मंद-भाग्य । संज्ञा, स्त्री० बुरे रंग का, निसका रंग बिगड़ गया हो। बदनसीबी।
बदर-संज्ञा, पु० (सं०) बेर का वृक्ष या बदना-स० क्रि० दे० (सं० वद = कहना)
फल । स्त्री० बदरी, यो० बदरी-फल । वादा ( प्रतिज्ञा ) करना, कहना, धचन
"विश्व बदर जिमि तुम्हरे हाथा"-रामा० । देना, बखान या वर्णन करना, नियत या
बदरा -संज्ञा, पु० दे० ( हि० ) बादल, मेघ, स्वीकार करना, ठहराना, निश्चित करना,
बादर । " बदरा ही बड़ी बदरा ही करें।" मान लेना। " मंदिर परध अवधि हरि बदराह-वि० यौ० ( फा० ) दुष्ट, कुमार्गी । बदिगे"। महा०-बदा होना--भाग्य में संज्ञा, स्त्री०- बदराही-~-दुष्टता, बुराई । -(लिखा ) होना। बदकर करना- बदरि-संज्ञा, पु० (सं०) बेर का पौधा या जान-बूझ कर, ललकार कर, हठ पूर्वक बाजी फल, बदरी (दे०) । " धात्री फलं सदा या शर्त लगाना, कुछ समझना, बड़ा या पथ्यं कुपथ्यं बदरीफलं "। महत्व पूर्ण मानना । " जब हिरदै ते बदरिकाश्रम-संज्ञा, पु० यौ० (सं०)हिमालय जाइहौ, मर्द बदौंगो तोहिं '-सूर०। पर बद्रीनाथ का तीर्थ विशेष, जहाँ नरमुहा०—किसी को कुछ (ल) बदना। नारायण तथा व्यास का पाश्रम है। बदनाम-वि० यौ० (फा० ) निंदित, कलं. बदरियाज-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० बादल ) कित । लो०-'बद अच्छा बदनाम बुरा"। बदली, छोटा बादल । " हम नाम के तालिब हैं हमें नेक से क्या | बदरी-संज्ञा, 'पु० (सं०) बेर का वृक्ष या फल काम । बदनाम जो होवेंगे तो क्या नाम बदर । संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. बादल ) न होगा।"
बदली, बादल का टुकड़ा। बदनामी-संज्ञा, स्त्री० ( फा०) लोक-निंदा, बदरीनाथ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बदूरी अपयश, अकीति ।
नारायण, बद्रीनाथ (दे०)। बदनीयत-वि० यौ० (फा० बदनीयत- बदरी-नारायणा-संज्ञा, पु. (सं०) बद्रीअ०) जिसकी इच्छा बुरी हो, धोखेबाज । नारायन (दे०) बदरी नाथ । संज्ञा, स्त्री० बदनीयती।
| बदरोबी-संज्ञा, स्त्री० यो० (फा०) अप्रतिष्ठा । बदबू-संज्ञा, पु. यौ० ( फा० ) बदबोय बदरौहाँ-वि० दे० (फा. बद+रौंहा(प्रा०) दुगंध, बुरी महक । वि० बदबूदार- चाल ) बदचलन, कुमार्गी । -संज्ञा, पु. बदबोयदार ( दे०-बेनी कवि )। दे० (हि. पादर---प्रौहां--प्रत्य० ) बदली बदमाश-वि० ( फा० बद+प्र. मनाश- का आभास या सूचक । जीविका ) बद्मास (दे०) दुष्ट, दुवृत्त, बदल-संज्ञा, पु. (प्र०) परिवर्तन, एवज पाजी, दुराचारी, लुच्चा, कुकी , दुष्कर्मोप- (अ.) हेर-फेर, प्रतिकार, पलटा । जीवी, बुरे काम से जीविका पैदा करने वाला। बदलना-कि० अ० ( स० बदल+ ना.बदमाशी-संज्ञा, स्त्रो० ( फा० बद + ममश प्रत्य० ) प्रतीकार करना, एक के स्थान पर
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