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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माना बकाउर १२१६ बखसीस बकाउर-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० बकावली) यणी ) साल भर से अधिक की व्यायी एक पौधा जिसके फूल अति सुगंधित दूध देने वाली गाय या भैंस ! ( विलो.होते हैं। लवाई)। बकाना-स० कि० (दे०) बकना का प्रे० बकैयाँ, बकइयाँ-संज्ञा, पु० दे० (सं० वक-+ रूप, रटाना, बकवाद कराना । ऐया-प्रत्य०) बच्चों का घुटनों के बल चलना। बकायन, बकाइन-संज्ञा, स्रो० दे० (हि.. "चलत बकैयाँ नंद-अजिर मैं कान्ह दुलारे" बड़का + नीम । नीम जैसा एक पेड़ । -मन्ना बकाया-- संज्ञा, पु० (१०) बचत, बचा हुआ, बकोट-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रकोष्ट या शेष, बाकी। अभिकोष्ट ) बकोटने की क्रिया या भाव । बकार-संज्ञा, पु० (सं०) ब वर्ण। (फा०) बकोटना--- स० क्रि० दे० (हि. वकोट) कार्यार्थ । जैसे-बकार-सरकार । खरोंचना, नाखूनों से नोचना, निकोटना, बकारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० व, कार या पंजा मारना, खरगोटना। वाक्य ) मनुष्य के मुंह से निकलने वाला बकौरी* -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० बकावली ) बकाउर, गुलबकावली।। बकापर-संज्ञा, पु. (सं.) बकाउर, (दे०) बकम-संज्ञा, पु० दे० (अ० बकम ) एक बकावली (सं.)। कटीला छोटा पेड़ जिससे लाल रंग निकलता बकापली-संज्ञा, स्त्री. (सं०) गुलबकावली, है. पतंग । एक पौधा जिसका फूल श्वेत और सुगंधित बक्कल-संज्ञा, पु० दे० (सं० वल्कल) बकला, होता है। यौ०-बक-पंक्ति । छाल, छिलका। बकासुर-- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० बकासुर) बकाल-- संज्ञा, पु० ( प्र०) बनियाँ । बक रूपी एक दैत्य जिसे कृष्ण ने मारा बकी-वि० दे० ( हि० बकना ) बहुत बकनेथा (भाग०)। वाला, बड़बड़िया, बकवादी। बकुचना* – अ० क्रि० दे० (सं० विकंचन) बक्खर-संज्ञा, पु० (दे०) हल के जोड़ का सिकुड़ना, सिमटना, संकुचित होना। खेत जोतने का एक यंत्र चीनी का शीरा । बकुचा, बकचा- संज्ञा, पु० दे० (हि. बक्स-संज्ञा, पु० दे० ( अं० बाक्स ) संदूक । वकुचना ) छोटी गठरी, बचका । स्त्री०- बक्षोज-संज्ञा, पु० (सं०) उरोज, उरज, बकत्री, बचकी, बकुची (दे०)। स्तन । बकुची-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वाकुची ) एक बखत-संज्ञा, पु० (दे०) वक्त (फा०)। औषधि का पौधा । संज्ञा, स्त्री० (हि० वकुचा) | बखतर, बख्तर-संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा. छोटी गठरी, बकची (ग्रा०)। बक्तर ) कवच, सनाह. बक्तर (दे०)। बकचौहाँ !- वि० दे० (हि. बकुचा- औहाँ बखर- संज्ञा, पु० (दे०) बक्खर, बखार, -प्रत्य०) बकुचे की तरह । स्त्री० बकुचौहीं। बाखर। बकुल्ल-संज्ञा, पु. (सं०) मौलसिरी । बखरा-संज्ञा, पु० दे० (फा० बखरः) हिस्सा, " सेोऽयम् सुगंधिमकुलो बकुलो विभाति" भाग, बाँट, बाखर । -लोलं.। बखरी - संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. बखार ) बकुला-संज्ञा, पु० दे० (हि० बगला) घर, मकान, बखारी (ग्रा०)। बक (सं०), एक जल-पक्षी। बखसीस संज्ञा, स्त्री० दे० (फ़ा० बख़शीश) बकेन-बकेना--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वष्क- पारितोषिक, इनाम, बकमीस, दान । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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