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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फुलरा १२०६ फुहारा फुलरा-संज्ञा, पु० दे० (हि० फूल +रा प्रत्य०) | फुलौरी-संश, स्री० दे० (हि० फूल+वरी) फंदना, सूत या ऊन का फूल जैसा गुच्छा। बेसन या चने के महीन पादे की पकौरी। फुलवर-संज्ञा, पु० दे० ( हि० फूल-+-वार) फुल्ल-वि० (सं०) विकसित, खिला या बूटीदार एक रेशमी वस्त्र । फूला हुआ। फुलवाई-संज्ञा, स्रो० दे० (सं० पुष्पवाटिका) | फुल्लदाम संज्ञा, स्त्री. (सं० फुल्लदामन्) उद्यान, पुष्पवाटिका, काग़ज के पुष्प-वृक्ष जो | १६ वर्णों की एक वृत्ति ( पि० )। बरात में निकाले जाते हैं फुलधारी। " करत | | फुल्ली -संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० फूल ) आँख प्रकास फिरति फुलवाई"--रामा० । । फुलवार-वि० दे० (हि० फूल ---वारा) प्रसन्न, का जाला, फूली, नाक का एक गहना. प्रफुल । पुल्ली । फुलवाडी-फूलवारी-फुलवारी-संज्ञा, स्त्री. फुल-संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ) धीमा शब्द । दे० ( सं० पुष्पवाटिका ) बाग, पुष्पवाटिका, फुसकारना*-अ० क्रि० ( अनु० ) फूरकार बगीचा, उद्यान, फुलवाई । बरात में काग़ज | छोड़ना, फूक मारना, फुफकारना । के फूल, वृत्त । फुसफुस-संज्ञा, पु० (दे०) फुस्फुस, फेफड़ा। फुलहथा-संज्ञा, पु० (दे०) लाठी की मार । | फुसफुसा-वि० दे० ( हि० फूस, अनु० फुस ) फुलहारा-संज्ञा, पु० दे० ( हि० फूल + हारा | निर्बल, मंदा, जो दबने से टूट या चूर -प्रत्य० ) माली, फूलवाला । खो० फुल- हो जाय । फुसफुस (दे०) फुसफुसहा हारी, फुलहारिन । फुलाना-स. क्रि० (हि० फूलना ) वायु । (ग्रा.) आदि भर कर किसी पदार्थ का विस्तार फुसफुसाना-स० कि० (अनु०) बहुत बढ़ाना। मुहा०-(गाल) मुँह फुलाना- ही धीमे स्वर से बोलना। रूठना, मान करना । पुलकित या हर्षित कर फुसफुसाहट-संज्ञा, स्त्री० (हि० फुसफुसाना) देना, गर्व पैदा करना, विकसित या कुसमित | धीमे स्वर से बोलने का भाव । करना, पुष्पयुक्त करना। अ० कि. (दे०) फुसलाऊ-वि० दे० ( हि० फुसलाना) फूलाना। प्रे० रूप०-फुलावना,फुलवाना। फुसलाने या बहकाने वाला। फुलायल*-संज्ञा, पु० दे० (हि. फुलेल ) फसलाना-स. क्रि० दे० (हि० फिसलाना) फुलेल, सुगंधित तेल। चकमा देना, बहकाना, झाँसा देना, अनुफुलाव-संज्ञा, पु. दे० (हि० फूलना ) फूलने कूल बनाने को मीठी मीठी बात करना । की क्रिया का भाव, सूजन, उभार । फुसलावा-- संज्ञा, पु० दे० ( हि० फुसलाना) फुलासरा--संज्ञा, पु० (दे०) लल्लो-चप्पो, झाँसा, चकमा, बहकावा, भुलावा । चाटुकारी। फुलिंग-फुलिंगा*---संज्ञा, पु० दे० (सं० फुसाहिंदा-वि० (दे०) घिनौना, घृणास्पद, स्फुलिंग ) भाग की चिनगारी। दुर्गधी। फुलिया -- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० स्फोट ) फुस्का-वि० (दे०) दुर्बल, निर्बल, ढीला । फुडिया । संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० फूल ) छोटा संज्ञा, पु० (दे०) छाला, फफोला। फूल, नाक की लौंग. फूल जैसे सिरे वालीकील । फुहार-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० फूत्कार ) सूचम फुलेल-संज्ञा, पु० दे० (हि० फूल--तेल) सुगं- जल-कण, जल के बारीक छींटे, छोटी धित तेल, फुलायल । यौ०–तेलफलेल छोटी बूंदों की झड़ी, झीसी (प्रान्ती०)। फलेहरा-संज्ञा, पु० दे० (हि० फूल - हार) | फुहारा-संज्ञा, पु० ( हि० फुहार ) पानी के रेशम या सूत के बंदनवार । | बारीक छींटे, एक जल यंत्र जिससे दबाव के For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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