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फालतू १२०२
फिदधी या छालिया, काटा हुश्रा टुकड़ा, कतरा। कसना-व्यंग्य वाक्य कहना, ताना मारना। संज्ञा, पु० दे० ( सं० प्लव ) फलाँग, डग।। | फिकरना-फेकरना-५० कि० (दे०) स्यार मुहा०-फाल वाँधना-उछल कर का रोदन सा शब्द करना। लाँघना, एक कदम की दूरी, डग ( हिं० ), फिकारना-० कि० (दे०) सिर उघारना पैंड (प्रान्ती०)।
या नगा करना। फ़ालतू-वि० (हि. फाल ---टुकड़ा+तू- फिकिर--संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० फिक) चिंता, प्रत्य० ) जरूरत से ज़्यादा, आवश्यकता से
उपाय, कल्पना। अधिक, व्यर्थ. निकम्मा, अतिरिक्त। फिकैत-संज्ञा, पु० दे० (हिं० फेंकना) गदका, फ़ालसई-वि० (फा० फालसा ) फालसा के रंग का, ललाई लिये हलका ऊदा रंग।
फ़िक-संज्ञा, सी. (अ.)चिंता, खटका, फ़ालमा-संज्ञा, पु. (फा० सं० परूषक) मटर
सोच, विचार, यत्न, उपाय । “ फिक्र रोजी जैसे बैंगनी रंग के खटमीठे फलों का पड़। है तोरोजी का है रज्जाक कुफैल "-जौक । फ़ालिज-संज्ञा, पु. (अ.) पक्षाघात रोग
फिक्रमंद-वि० ( अ० फिक+फा० --मंद ) जिसमें आधा अंग शून्य ( जड़ ) हो
चितित सोच-विचार या खटके में पड़ा हुआ। जाता है।
फिचकुर-संज्ञा, पु० दे० (सं० पिछ = लार) फालूदा-संज्ञा, पु० (फा०) गेहूँ के सत से बनी एक प्रकार की ठंढाई (मुसल०)।
मूर्या में मुंह से निकला फेन । फाल्गुन-संज्ञा, पु० (सं०) फागुन (दे०)।
फिट-अव्य (अनु०) छी २, धिक्, थुड़ी। माध के बाद का चांद्र महीना, अर्जुन का
वि०-(अं० ) ठीक, मूर्छ।
फिटकार-- संज्ञा, स्त्री० (हिं०) लानत, डाँट, एक नाम। फाल्गुनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पूर्वा या उत्तरा
शाप, धिक्कार, कोसना, फटकार । फाल्गुनी नाम के नक्षत्र ( ज्यो०)। वि०
फिटकिरी-फटकरी--संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० फाल्गुन-सम्बन्धी।
स्फटिक ) मिश्री या स्फाटिक सी एक श्वेत फावड़ा, फापरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० फाल)
खानिज वस्तु। मिट्टी खोदने का हथियार। फरुहा (दे०)।
फिटन - संज्ञा, स्त्री० (अं०) चार पहिये वाली
खुली गाड़ी। करसी (प्रान्ती०) । स्त्री. अल्पा.फावड़ी, फावरी ( दे०-फरुही)
फिट्टा-वि० दे० ( हिं० फिट) अपमानित, फ़ाश-वि० (फा०) खुला, प्रगट ।
___ डाँट-फटकार खाया हुश्रा, श्रीहत । फ़ासला-फ़ासिला-संज्ञा, पु. (अ०) अंतर,
फ़ितना-संज्ञा, पु० (अ.) फसाद, झगड़ा, दूरी।
दंगा, एक प्रकार का इन। फाहा-संज्ञा, पु० दे० (सं० फाल ) तेल, घी
| फितरत-संज्ञा, पु. ( अ०) बखेड़ा, यत्न । या और किसी द्रव वस्तु से तर रुई, फाया,
यौ०-हिकमत-फितरत । फीहा (ग्रा०)।
फ़ितूर- संज्ञा, पु० दे० ( अ० फुतूर ) उपद्रव, फ़ाहिशा-वि० सी० (अ०) पुंश्चली, छिनाल झगड़ा, बखेड़ा, ख़राबी, विकार । वि.स्त्री, कुलटा ।
फितूरी, फितूरिया। फ़िकरा-संज्ञा, पु. ( अ०) वाक्य, व्यंग्य, फिदवी-वि० (अ० फिदाई से फ़ा०) श्राज्ञा
ताना, झाँसापट्टी। वि०-फ़िकरेबाज, संज्ञा, । कारी, स्वामि-भक्त । संज्ञा, पु० दास । स्त्री०स्त्रो०-फ़िकरेबाजी । मुहा०—फिकरा । फिदविया ।
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