________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
फलयोग
फलोदय जड़। "असन कंद, फल-मूल"-रामा०। फलाफल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) लाभालाभ, फलयोग-संज्ञा, पु० (सं०) नाटक में नायक | हिताहित । के उद्देश्य की सिद्धि या प्रयत्न के फल की फलालीन,फलालेन, फलालैन-संज्ञा, पु. प्राप्ति का स्थान।
दे० ( अ. 'प्लैनेल ) एक ऊनी कपड़ा । फल लक्षणा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) एक फलार्थी-संज्ञा, पु० यो० ( सं० फलार्थिन् ) लक्षणा ( काव्य० )
फलकामी, फल की चाह रखने वाला। फलवान्-वि० (सं० फलवत् ) फलयुक्त,
फलाशन-फत्ताशी-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सफल, सार्थक, फतवंत।
फलाहारी, फल खाने वाला। फलहरो--- संज्ञा, स्त्री० ( सं० फल --हरी-- |
फलास-- संज्ञा, पु. ( दे० ) डग, फलाँग । हि० प्रत्य० ) बनफल, बनमेवा । वि० (दे०) | फताहार-ज्ञा, पु० यौ० (सं०) केवल बिना अन्न की मिठाई. फरहरा (दे०)।
फल ही खाना, फल-भोजन, बिना अन्न का
भोजन, फराहार, फरहार फलहार (दे०)। फलहार-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० फलाहार) केवल फल खा कर रहना और अन्नादि न |
फलाहारी-संज्ञा, पु० यौ० (सं० फलहारिन) खाना, बिना अन्न का भोजन, फरहार
केवल फल खाकर रहने वाला । स्त्री० फला
हारिणी । वि० ( हिं० फलाहार+ई --- (दे०)। फलहारी- वि० दे० यौ० (सं० फलाहारिन्)
प्रत्य० ) केवल फलों से बना पदार्थ, फलाकेवल फल खा कर रहने वाला, फलाहारी।
हार-संबंधी फलहारी, फरहारी, फलहरी,
फरहरी (दे०)। (वि. हि० फलहार --ई-प्रत्य० ) केवल
फलित-वि. (सं०) फला हुआ, पूर्ण, संपन्न फलों से बना हुआ. बिना अन्न का भोजन ।।
फल या परिणाम को प्राप्त । यौ० -- फलित फरहरी, फलहरी (द०)।
ज्योतिष-ज्योतिष का वह भाग जिसमें फला-वि० (फ़ा०) अमुक, फलाना (दे०)
ग्रहों की चाल से अच्छे या बुरे फल का फलान (ग्रा०)।
विचार किया जाता है। फलाँग-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रलंघन )
फलितार्थ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सिद्ध अर्थ, कुदान चौकड़ी, उछाल, फलांग या उछाल सिद्धांत, तात्पर्य्यार्थं । वि०-पूर्ण मनोरथ । की दूरी।
फली-संज्ञा, खो० (हिं. फल+ ई---प्रत्य०) फलांगना-अ. क्रि० दे० (हि. फलाँग--
__ छेमी, छोटे छोटे लंबे बीजदार फल, फलियाँ । ना-प्रत्य० ) कूदना, फाँदना, उछलना, फलीता--संज्ञा, पु. दे. (अ. फतोला) एक स्थान से उछलकर दूसरे पर जाना। वत्ती, पलीता (दे०)। फलांश-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) निष्कर्श, फलीभूत- वि० यौ० (सं०) फलदायक, फल सारांश, तात्पर्य ।
या परिणाम को प्राप्त, जिस का कुछ परिफत्तागम-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) शरदस्तु, णाम या फल हो। फल लगने की ऋतु. नाटकीय कथा में नायक पलूवा-संज्ञा, पु० (दे०) गठीला, झालर। के उद्देश्य की जहाँ सिद्धि हो ( नाव्य०)। फलंदा-संज्ञा, पु० दे० (सं० फलेंद्र ) बढ़िया फलादेश-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) जन्म नामुन, फरेंदा ( प्रान्ती० )।
पत्रानुसार ग्रहों का फल कहना ( ज्यो०)। फलोत्तमा– संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दाख, फ़ताना-संज्ञा, पु० दे ( अ० फलाँ+ना
द्राक्षा, मुनक्का । प्रत्य०) फलाना, फलान (दे०), अमुक, फलोदय-संज्ञा, पु० यौ० (स०) मनोरथ की कोई । ( स्रो०-फलानी)।
सिद्धि, लाभ, प्राप्ति, श्रानन्द ।
For Private and Personal Use Only