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प्रार्थना-पत्र ११८६
प्रेत प्रार्थना पत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) निवेदन । प्रियवादी-संज्ञा, पु. ( सं० प्रियवादिन् )
या विनय-पत्र, अर्जी, सवाल, दस्ति (फा०)। प्रियभाषी, प्यारा बोलने वाला । ( स्त्री. प्रार्थना-समाज-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्रह्म प्रियवादिनी)। समाज सा एक नया संप्रदाय ।
प्रिया--संज्ञा, बी० (सं०) प्रेमिका, प्यारी, प्रार्थित-वि० (सं०) माँगा, जाँचा। स्त्री, नारी, पत्नी, एक वृत्त, मृगी, १६ प्रार्थनीय --वि० (सं०) प्रार्थना करने योग्य । मात्राओं का एक छंद पि०)। प्रार्थी-वि० (सं० प्रार्थिन् ) निवेदन या प्रार्थना प्रीत-वि० (सं०) प्रीति युक्त । *संज्ञा, पु.
करने वाला । (स्त्री० प्रार्थिनी)। (दे०) प्रीति, प्रेम, प्यार, मैत्री। प्रालेय-संज्ञा, पु० (सं०) तुषार, हिम, बर्फ।। प्रीतम-सज्ञा, पु० दे० (सं० प्रियतम ) प्रति प्रावृट-संज्ञा, पु० (सं०) बरतात, वर्षाऋतु । ।
। प्रिय, स्वामी, पति ।। प्राशन-संज्ञा, पु० (सं० ) भोजन, खाना,
प्रीति--संज्ञा, स्रो० (सं० ) प्रेम, तृप्ति, स्नेह, चखना । ( यौ० अन्न-प्राशन )।
मैत्री, हर्ष । "कबहूँ प्रीति न जोरिये"-वृ०। प्राशी-- वि० (सं० प्राशिन् ) भोजन करने या
प्रोतिकर-प्रातिकारक - प्रीतिकारी-वि. खाने वाला। (स्त्री० प्राशिनी)
(सं०) प्रेम-जनक, प्रेमोत्पादक, प्रसन्नता प्रासंगिक-वि० (सं०) प्रसंग से प्राप्त, प्रसंग
करने वाला । स्त्री० प्रीतिकारिणी । संबंधी, प्रसंग का।
प्रातिपात्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रेम करने प्रासाद-संज्ञा, पु. (सं०) राज-सदन, विशाल योग्य । प्रीति-भाजन, प्रेमी। भवन, महल ।
प्रीतिभोज-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) प्रिय मित्रों प्रियंगु-संज्ञा, स्त्री० (सं०) कँगुनी या कैंगनी और बंधुओं का सप्रेम सम्मिलन और भोजन । अनाज, मालकँगुनी (औष०)।
प्रीत्यर्थ---अव्य० यौ० (सं०) प्रेम के हेतु, प्रियंवद-वि० (सं०) प्रियभाषी, प्रिय वचन। प्रपन्नतार्थ, स्नेह के कारण, प्रीति के लिये।
कहने वाला । ( स्त्री० प्रियंवदा)। प्रम-संज्ञा, पु० ( सं०) समुद्र की गहराई प्रिय-संज्ञा, पु० (सं०) पति, स्वामी। वि० नापने का शीशे श्रादि का लटू जैसा यन्त्र । प्यारा, सुन्दर, मनोरम । ( स्त्री प्रिया)।
प्रेषण- संज्ञा, पु० (सं०) भली भाँति झूलना "प्रिय परिवार सुहृद समुदाई"-रामा ।
या हिलना, रूपक के १८ भेदों में से एक । प्रियतम-वि० (सं० ) परम प्रिय, बहत | प्रेक्षक-रांझा, पु० (सं०) दर्शक, देखनेवाला। प्यारा । संज्ञा, पु.--पति, स्वामी। ( स्त्री० प्रेक्षण-संज्ञा, पु० (सं०) नेत्र, आँख, देखना। प्रियतमा)।
वि०प्रेक्षणीय. प्रैक्षित, प्रेक्ष्य । प्रियदर्शन- वि० यौ० (सं०) सुन्दर, मनोहर, प्रेक्षा--संज्ञा, स्त्री. (सं०) नाच-तमाशा
जो देखने में प्यारा लगे ।(स्त्री प्रियदर्शना)। देखना, दृष्टि, बुद्धि, ज्ञान, प्रज्ञा । प्रियदर्शी-वि० यौ० (सं० प्रियदर्शिन्) सब को प्रेक्षागार-प्रेक्षागृह-संज्ञा, पु. यौ० (सं०)
प्यारा देखने वाला, सब से प्रेम करनेवाला। राज-मंत्रणागृह, रंगशाला, नाट्यशाला । प्रियभाषी-वि• यौ० (सं० प्रियभाषिन् ) "देत रंगशालादि, मुनि, प्रेक्षागृह यह नाम"
मधुर और प्यारे वचन बोलने वाला । (स्त्री० -रसाल। प्रियभाषिणी)। " प्रियभाषिणी लिख प्रेत-संज्ञा, पु. ( सं० ) मृतक, मरा मनुष्य, दीन्हेॐ तोही '--रामा० ।
एक देवयोनि मरणोपरान्त प्राप्त कल्पित प्रियपर-वि० (सं०) बहुत प्यारा, अति प्रिय।। शरीर (पुरा०) नरक-निवासी।
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