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प्रदान ११७५
प्रपंच प्रदान-संज्ञा, पु० (सं०) दान विवाह, देना चारू संज्ञा, पु०, प्रद्योतक (सं० ). वि० भेंट।
प्रतित. प्रद्योतनीय । प्रायक-संज्ञा, पु. (सं०) देने वाला दानी, प्रधान--वि० सं०) मुख्य । संज्ञा, पु. दाता । स्त्री०-प्रदायिका।
(सं०) बरदार, मुखिया मंत्री, सचिव प्रदायी- संज्ञा, पु० (सं० प्रदायिन् ) प्रदायक, सभापति, माया, प्रकृति, परधान (दे०)।
देनेवाला दाता, दानी । मी०-प्रदायिनो। संज्ञा, पु. प्राधान्य। प्रदाह .... पंज्ञा, पु. (सं० शारीरिक जलन । प्रधानता---संज्ञा, खी० (सं०) प्रधान का प्रदिशा-संज्ञा, स्त्री० (२०) विदिशा कोन भाव, प्रधान का कार्य, धर्म या पद। प्रदाप- संज्ञा, पु० (०) प्रकाश दीपक दिया। प्रधानी.... संज्ञा, खी० दे० । हि० प्रधान-- प्रदीपक-संज्ञा, पु० सं०) प्रकाशक, दीपक । ई-रत्य० ) प्रधान का कार्य या पद ! दिया स्त्री०-प्रदीपिका ।
प्राधि- शा, पु. (सं.) पहिये की धुरी। प्रदीपति-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० प्रदीप्ति) प्रधी-वि० (सं० उत्कृष्ट या श्रेष्ठ बुद्धि युक्त ।
प्रकाश. उजेला. कांति, चमक ज्योति, श्राभा। प्रश्वंस--- झा, पु. ( सं० ) नाश, विनाश, प्रदीपन- संज्ञा, पु० । सं० ) प्रकाश या नष्टभ्रष्ट : चौ-प्रध्यांसाभाव। वि. पु. उजाला ( उज्वल ) करना, चमकाना।
अध्वंसक या प्रध्वंसी, स्त्री. प्रसिका प्रदीप्त- वि० (सं० ) प्रकाशवान. रोशन
या प्रतिको । वि-प्राध्वंसनीय । जगमगाता हुया चमकीला :
प्र*-- शा. पु. (दे०) प्रण, (सं० । प्रदीप्ति--संज्ञा, सो० (सं०) प्रकाश उजेला प्रति*-- संज्ञा, स्त्री० (दे०) प्रति(सं०) ।
चमक, श्राभा. कांति प्रतिभा प्रभा। प्रनमना, नवनी - स० क्रि० दे० (सं० प्रदुमन *---संज्ञा, पु. दे. ( सं. प्रद्युम्न) प्रणमन ) प्राणभना. प्रणाम करना द०)।
प्रद्यन्न, श्री कृष्ण के ज्येष्ठ पुत्र । प्राम -झा, पु० दे० (सं० प्रणाम ) प्रदेय-वि० (सं.) दान देने योग्य । “कि प्रणाम, नमस्कार. परनाम।
वस्तु विद्वन् गुरुवे प्रदेय' ... रघु। प्रनामा--संज्ञा, पु. दे० सं० प्रणामी - प्रदेश -- संज्ञा, पु० सं० ) अपनी पृथक प्रणामिन ) प्रणाम, करने वाला (दे०) । रीति-रस्म, भाषा तथा शासन-विधि वाला संज्ञा स्त्री० दे० (सं० प्रणाम -1 ई.- प्रत्य० ) देश-भाग, सूबा. प्रांत, स्थान, अवयव, अंग: गुरु, विनादि बड़ों को प्रणाम करते समय दी प्रदेशनी-प्रदेशिनी- संज्ञा, स्त्री. (सं० )| गई दक्षिणा । तर्जनी नामक अँगुली ।
प्रनास-संज्ञा, पु० (दे०) प्रणाश (सं०) । प्रदोष-संज्ञा, पु. ( सं०) सूर्यास्त या प्रनासी-वि. द० (सं० प्रणाशी : प्रगाशिन्) सायंकाल, संध्या, त्रयोदशी का व्रत जिसमें नाशवान, नश्वर. अनित्य | " पिता-पढ़ संध्या को शिव-पूजन कर खाते हैं, बड़ा पावन पाप-प्रनानी" --रामः । अपराध या दोष । स्त्री प्रदाया-रात्रि प्रनिपात*--सं० पु० दे० (संप्रणिपात्त ) प्रद्युम्न- संज्ञा, पु० (0) कामदेव, श्री प्रणाम, नमस्कार।
कृष्ण के ज्येष्ठ पुत्र, प्रदुमन (दे०)। प्रपंच- संज्ञा पु० (सं० ) ढोंग आडंबर, प्रद्योत -- संज्ञा, '. (सं.) रश्मि. किरण, भव-जाल, झमेला, झगड़ा. जंजाल. विस्तार दीप्ति, कांति, ग्राभा, प्रभा।
संसार सृष्टि, छल, एरपंच (दे०) । यौ०प्रद्यातन--संज्ञा, पु० (सं० ) सूर्य, दीप्ति, । छल-प्रपंच : “चि प्रपंच भूपहिं अपनाई"
साली ।
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