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कुवड़ा।
पृथिवीश
११७२ पृथिवी-संज्ञा, पु० (सं०) राजा। पृषदश्व-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पृषत् अश्व, पृथु-वि० (सं०) विस्तृत. महान, गैडा. पवन वायु, एक राजा (पुरा०) विशाल, असंख्य. चतुर । संज्ञा, पु० (सं०) पृषादर--वि० पु. यौ० (सं० पृषत् + उदर) विष्णु, अग्नि, शिव, राजा वेणु का पुत्र पृष्ट-वि० (सं०) पूछा हुआ. प्रश्न किया । एक विश्वेदेव । वि. अधिक यशी। पृष्ठ - संज्ञा, पु० (सं०) पीठ (दे०) किसी पृथक-संज्ञा, पु० (सं०) चिउड़ा।
पदार्थ का ऊपरी तल, पीछे का अंग या भाग, पृथुता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चौड़ाई, विस्तार । किताब के पन्ने ( पन्ने ) के एक ओर का पृथुमा-संज्ञा, पु. ( सं० पृथु - रोमन ) तल, सफा, पन्ना, पत्रा। मछली बड़े रोवों वाला। वि० (स०) मोटा, पृष्ठ थि-सज्ञा, पु. चौ० (सं०) कुब्ज, बड़ा. अति विस्तृत । पृथुशिधा--संज्ञा, पु० सं०) लौना वृक्ष । पृष्ठता संज्ञा, स्त्री० (सं०) पीठ की ओर। पृथदक-संज्ञा, पु० (सं०, एक तीर्थ । पृष्ठपोषक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सहायता प्रथदर-संज्ञा, पु. ( सं०), भेड़, भेड़ा। या मदद करने व ला, सहायक, पीठ ठोकने वि० यौ० (सं०) बड़े पेट वाला।
वाला । संज्ञा, पु० (सं०) पष्ठ पोषण । पृथ्वी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) इला. श्रवनि, धरा, | पृष्ठ-भाग-संज्ञा, पु० यौ० सं०' पीठ, पुश्त, सौर जगत में हमारा ग्रह धरती. भूमि, पीछे का खंड या भाग पिछला हिस्सा। गंध गुण प्रधान (रूप रम, गंध, स्पर्श गुण- पृष्ठ-वंश-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पीठ या यक्त पाँच तत्वों में से अंतमि तत्व, भूमि रीढ़ की हड़ी, रीढ़ मेरु-दंड । का मिट्टी-पत्थर वाल ऊपरी ठोस भाग,
| पृष्ठ ब्रण-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पीठ का मिट्टी, १७ वर्णों का एक वृत्त (पिं०) मोडाया पाव मुहा०-देखो - जमीन"।
पुष्ठास्थि- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) पीठ की पृथ्वीका- संज्ञा, स्त्री. (सं०) बड़ी इला
हड्डी, मेरुदंड, रीढ़ यची, स्याह जीरा, कलौंजी।
पेंग, पंग-संज्ञा स्त्री० दे० ( पेटेंग ) झूलते पृथ्वीतल संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धरानल,
समय झूले का इधर-उधर जाना, पोंग (दे०)। भूमि का ऊपरी तल जमीन की सतह,
महा.-पेग मारना-झूले को ज़ोर से संसार, भूमंडल. भूतल ।
चलाना। पृथ्वानाश-संज्ञा, पु. यौ० (सं.) राजा। पृथ्वीपति संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा ।।
पैंग-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पटंग ) फूले पृथ्वीणल, पृथ्वीगतक-संज्ञा, पु० यौ०
का हिलना, एक पक्षी। (सं० राजा।
ऐठ पैंठ-सज्ञा. स्त्री० (दे०) हाट, बाजार, पृथ्वीराज-संज्ञा, पु० यौ० (स०) भारत का मंडी। " लेना हो सो लेय ले, उठी जाति
अंतिम वीर राजपूत राजा (१२ वीं शताब्दी)। है पेंठ"-कबी० । प्रश्न सज्ञा. सी० (सं०) सुपत राजा की पेंडकी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( ( सं. पंडुक ) रानी. चितकबरी गाय , किरण, पिथवन | पंडुक चिड़िया, काख़्ता (फा० ) पंडुकी या पिठवन (औष०)।
सुनारों की फुकनी । लक्षा, स्त्री० (प्रान्ती.) पृषत्-संज्ञा, पु० (सं०) विन्दु. कण, श्वेत । गुझिया । लो. बाप न मारी पेंडुकी विन्दु-युक्त मग, एक राजा (पुरा०)। बेटा तीरंदाज। पृषत्क-संज्ञा, पु० (सं०) वाण तीर शर। । पैदा-संज्ञा, • पुदे० (सं० पिंड ) तला,
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