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पुरोचन ११४४
पुलिस पुरोनन-संज्ञा, पु० (सं०) दुर्योधन का मित्र पुलकालि पुलकावलि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) और सेवक ।
। पुलकावली, प्रेमादि से रोमांचित होना । पुरोडाश-संज्ञा, पु. (सं०) हवि, होम- पुलकित-वि० (सं०) रोमांचित, गद्गद् । सामग्री, यज्ञभाग, सोमरस, खीर, पुरोडास | "पुलकित तनु मुख प्राव न वचना"-रामा०। (दे०), यज्ञाहति के लिये कपाल में पकाई पुलटा-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पलट) यवादि के चूर्ण को टिकिया। "पुरोडास पलट जाना । यौ०-उलट-पुलट । चह रासभ खावा "--रामा०। | पुटिस-संज्ञा, स्त्री० दे० (अं० पोल्टिस ) प्राधा-संज्ञा, पु० (सं० पुरोधस ) पुरोहित । पकाने के लिये फोड़े पर चढ़ाया दवा का पुरोवी -वि० (सं० पुरोवर्तिन्) अग्रगामी।। गादा लेप । गहत-संज्ञा, पु० (सं०) यज्ञादि गृह-धर्म पुलपुला-वि० दे० ( अनु० ) जो दबाने या संस्कार कराने वाला, याजक, उपरोहित, से फंसे । पिपिला । कर्मकांडी. प्रोहित (दे०)। स्री० पुरोहि- पुलपुलाना-स० क्रि० दे० (हि. अनु०) तानी । “अग्निमीड्ड पुरोहितम् "-ऋ०। नर्म चीज़ को दबाना। वि० पुलपुला। पुरोहिताई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पुरोहित+ पुलपुलाहट-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पुलआई-हि. प्रत्य० ) पुरोहित का कर्म।
पुलाना ) दवावट, दबनि । पुर्जा-संज्ञा, पु० दे० { फ़ा० पुरज़ा ) पुरजा ।
पुलस्य - संज्ञा, पु० (सं०) प्रजापतियों और पुर्तगाल-संज्ञा, पु० ( अं० पोर्ट गाल ) महा
सप्तर्षियों में से एक ऋषि, रावण के दादा, द्वीप यूरुप के दक्षिण पश्चिम में एक प्रदेश।
ब्रह्मा के मानस-पुत्र, शिव। "उत्तम कुल
पुलस्त्य के नाती"- रामा० । पुत्तगालो- वि० ( हि० पुर्तगाल ) पुर्तगाल का निवासी या संबंधी, पाचगीज़ (अं०) ।
पुलह-संज्ञा, पु० (सं०) ब्रह्मा के मानस पुत्र
और प्रजापति, सप्तर्षि में से एक ऋषि, शिव । पुर्तगीज-वि० ( अं० पोर्ट गीज़ ) पुर्तगाली।।
पुलहना*--अ. क्रि० दे० (सं० पल्लव) पु-िसंज्ञा, पु० दे० (सं० पुरुषमात्र) पुरुष की लंबाई भर, ४ हाथ की नाप । ।
पलुहना, पल्लवित या हरा-भरा होना । पुल- संज्ञा, पु० (फ़ा०) सेतु, नदी आदि के पुलाक-संज्ञा, पु० (सं०) अकरा नामक
आर-पार जाने का मार्ग। मुहा०—किसी अन्न, भात, माँद, पुलाव, पीच । बात का पुल बांधना-झड़ी लगाना, पुलाव-संज्ञा, पु० (सं० पुलाक, मि० फा० बहुत अधिकता कर देना । पुल टूटना- पुलाव ) मांस और चावल की खिचड़ी, अधिकता होना, जमघट लगना।
माँसोदन । पुलक-- संज्ञा, पु. (सं०) प्रेम, हर्षादि के पुलिद-संज्ञा, पु० (सं०) एक प्राचीन असभ्य उद्वेग से उत्पन्न रोमाँच, देह-श्रावेश, याकूत, | जाति, इस जाति का देश ( भारत )। एक रत्न ।' पुलक कंप तनु नयन सनीरा" पुलिदा- संज्ञा, पु० दे० (हि. पला) -रामा०।
काग़ज़ों, कपड़ों का मोटा बंडल, गड्डी। पुलकना-अ. क्रि० दे० ( सं० पुलक+ना | पुलिन-संज्ञा, पु० (सं०) पोनी से निकली हि०-प्रत्य० । पुलकित या गद्गद् होना, भूमि, किनारा, तट, चर। “ कलत्रभारैः हर्षावेश से प्रफुल्लित होना।
पुलिन नितम्विभिः "-- किरातः । पुलकाई-सज्ञा, स्त्री० दे० (हि. पुलकना) पुलिस-सज्ञा, स्त्री. (अ.) प्रजा-रक्षक पुलकना का भाव, गद्गद् होना। सिपाही या अफसर ।
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