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पुरीतत्
पुरस्तात् या इनाम मिला हो, आगे किया हुश्रा। पुगतल-संज्ञा, पु. ( सं० ) रसातल । "पुरस्कृता वर्मनि पार्थिवेन "- रघु०। पुरान-वि० दे० (सं० पुराण ) पुराना, पुरस्तात्-अव्य० (सं०) पूर्व दिशा, अतीत संज्ञा, पु० (दे०) पुराण । काल, प्रथम पहले, आगे, पूर्व, पूर्व में।
| पुराना - वि० दे० (सं० पुराण ) अतीत " पुरस्तात् अपवादानन्तरान् विधीन् वाधन्ते प्राचीन. बहुत दिनों या काल का, पुरातन नोत्तरान् ”-कौ० ।
जीर्ण, परिपक्व, बहुत दिनों तक के, अनुभव. पुरहूत --- संज्ञा, पु० दे० (सं० पुरुहूत )
वाला पुराण। "छुवतै टूट पिनाक पुराना"--. इन्द्र, पुरुहूत । "पुरहूत पुहुमी में प्रगट | रामा० । स्त्री० पुरानी। यौ०-पुरानप्रभाव है ''- ललि।
खुगेट-वृद्ध, बड़ा भालाक, अनुभवी । पुरा-अव्य. (सं० ) पुराना, प्राचीन या
पुराना-घाघ-बड़ा अनुभवी या चालाक, पुराने समय में । वि० पुराना, प्राचीन । संज्ञा,
पुराना-चावल जिसका चलन न हो,बहुत पु० दे० ( स० पुर ) गाँव, मुहल्ला । स्त्री० अगले समय का । स० क्रि० दे० (हि० पूरना का पूर्व दिशा, बस्ती, " पुरा प्रष्टवानुपायोनि
प्रे० रूप) पुजवाना, अनुसरण करना, भराना, विडोजा."- स्फु० ।
पुरा ( करना) कराना, पालन या अनुसरण पुराकल्प-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पूर्व या
कराना ( करना ) । " जो सखि कह्यो होइ पहला कल्प. प्राचीन काल, एक भाँति का
कछु तेरो अपनी साध पुराऊँ "--सूर० । अर्थ-वाद जिसमें पुराने इतिहास के श्राधार
पुरारि-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) पुर राक्षस पर कार्य करने का विधान किया जाता है।
के शत्रु, महादेव जी, शिव जी। " साइ पुराकृत-वि० ( सं०) पूर्व जन्म या समय
पुरारि को दंड कठोरा --रामा० । में किया हुआ | " यह संघट तब होय जब,
पुराल *- संज्ञा, पु० दे० ( सं० पलाल ) पुन्य पुराकृत भूरि "-रामा० ।
पयाल, पयार, पुपाल । पुराण-पुरान (दे०)-~-वि० (सं० ) पुराना,
पुगवृत्त-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) इतिहास, प्राचीन, पुरातन । संज्ञा, पु० (सं०) इतिहास,
प्राचीन या पुराना वृत्तांत या हाल । 'पुराजन-परम्परागत देवदान यादि के वृत्तान्त, हिन्दुओं के १८ धर्म-सम्बन्धी पाख्यान-ग्रंथ.
वृत्त तब संभु सुनावा"--- रामा० । जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति प्राचीन ऋषि-मुनियों |
| परि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पुरी, नगरी, शरीर, तथा प्रलयादि के वृत्तान्त हैं. १८ की संख्या,
नदी संज्ञा, पु० (सं० ) राजा, संन्यासियों शिव । “वेदपुरान करहिं सबनिंदा' --रामा।
का एक भेद। “ नाना पुराण निगमागम संमतं यद्"। पुरिखा-पुरिषा*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पुरुष) पुरातत्व-संज्ञा, पु० (सं०) प्राचीन समय
पूर्वपुरुष पूर्वज, पहले के लोग, बाप-दादा संबंधी विद्या, प्रन शास्त्र । यो पुरातत्या- आदि, पुरखा (दे०), स्त्री० पुरिखिन, न्वेषण-प्राचीन खोज।
पुरिषिन । पुरातत्ववेत्ता-संज्ञा, पु० (सं०) प्रत्न शास्त्र का पुरी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) जगन्नाथ पुरी,
ज्ञाता, प्राचीन काल संबंधी विद्या का ज्ञाता। छोटा शहर या नगर, नगरी,पुरुषोत्तम-धाम। पुरातन-वि० (सं० ) पुराना, प्राचीन, | "मम धामदा पुरी सुख रासी"--रामा० । पुराण । संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु, परमेश्वर, । (दे०) पूड़ी। पुराण पुरुष । " पुरुष पुरातन की प्रिया, पुरीतत्----संज्ञा, पु० (सं०) शाँत नाड़ी, वह क्यों न चंचला होय"-रही। । नाड़ी, जहाँ सोते समय मन स्थिर रहता है।
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