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पाहि
विडिया
पाहि - स० कि० (सं०) बचानो, रक्षा करो। ण्डि-संज्ञा, पु० (सं०) ठोस, गोला, गोल
" पाहि पाहि अब मोहिं "- रामा०। । टुकड़ा, राशि ढेर, नक्षत्र, तारे. ग्रहादि, पाहुँचा--संज्ञा, स्त्री० (दे०) पहुँच (हि.)। शरीर आहार, श्राद्ध में पितरों के लिये खीर पाहुना, पाहुन- संज्ञा, पु० दे० ( सं० प्रघूर्ण) का गोला भोजन । महा०-- पिंड अतिथि, दामाद अभ्यागत,। स्त्री० । छोड़ना--साथ न लगा रहना. संबन्ध न पाहुनी। “पाहुन निसि दिन चारि रखना, तंग न करना। रहति सबही के दौलत" --गिर० । संज्ञा, | पिंडखजूर--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पिंड स्रो० (द०) पहुनाई, पहुनई।
खजूर ) मीठा खजूर । पाहुनी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० पाहुना ) पिंडज-संज्ञा, पु० (सं०) देह से उत्पन्न मनुष्य
खी अभ्यागत या अतिथि, पाहुनाई, आदि जीव जो देह-सहित पैदा होते हैं। पहुनाई, मेहमानदारी, आतिथ्य। पिंडदान · संज्ञा, पु. यौ० (सं०) श्राद्ध । पाहुरी-संज्ञा, पु० दे० ( सं० प्रभृत ) नज़र | पिडरी-पिडुरी, पिंडली-संज्ञा, स्त्री० दे०
या नज़राना, (फा०) सौगात, भेंट,। (हि. पिंडली ) टाँग का पिछला भाग। पिंग-वि० (सं०) पीला, पीत-श्वेत, श्वेत- पिंडरोग - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नरक रोग,
रक्त, तामड़ा, सुधनी के रंग का, भूरा, पिंगल। | कोढ़, देह में बसा रोग। सिंगल-वि० (सं.) पीत, पीला, | पिंडरोगी-संज्ञा, पु० (सं०) पिंड रोग वाला। भूरालाल या, पीत तामड़ा, सुँघनी | पिंडली-पिडुली-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० के रंग का। संज्ञा, पु. एक मुनि जो छंदः पिंड) टाँग का ऊपरी मांसल पिछला भाग । शास्त्र के प्रथम श्राचार्य थे, छंदः शास्त्र, पिंडवाही--संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक कपड़ा। एक संवत्सर ( ज्यो०), बन्दर, एक निधि, पिंडा-संज्ञा, पु० दे० । सं० पिंड ) ठोस उल्लू पदी, अग्नि, पीतल।
गोला, सूत का गोला, श्राद्ध में पितरों के . पिंगला-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मेरुदंड के बाम लिये तिल, मधु खीर का गोला, शरीर, मोर एक नाड़ी ( हठ योग ), लक्ष्मी का | देह । स्त्री० अल्पा० पिंडी । मुहा०नाम, शीशम का पेड़, गोरोचन, राजनीति, | पिंडा-पानी देना-पिंडा पारना, श्राद्धदक्षिण के दिग्गज की स्त्री, एक वेश्या, | तर्पण करना । एक रानी।
| पिंडारी- संज्ञा, पु. (दे०) दक्षिण की एक पिंजड़ा-पीजड़ा, पिंजरा-पीजरा- संज्ञा, | कृषक हिन्दू जाति, जो फिर मुसलमान हो पु० दे० (सं० पञ्जर ) तोता आदि पक्षियों लूटमार करती थी ( इति०)। के पालने का घर, देह । " दस द्वारे का पिंडालू-संज्ञा, पु. स्त्री० यौ० । सं० पिंड पीजरा"-कबी।
+ अालू एक तरह का शकरकंद. पिंडिया, पितर-वि० (सं०) पीला, पीत वर्ण का. एक तरह का शफ़तालू या रतालू । भूरा लाल । संज्ञा, पु० दे० ( सं० पंजर ) | चिंडिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पिंडी, छोटा पिंजड़ा. पिंजरा. हड्डियों का ठट्टर, पाँजर. पिंडा वेदी पिंडली, देव-मति की पिंडी। पंजर, भूरे लाल रंग का घोड़ा, सोना पिडिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पिडिका ) सत्तू पिंजरापोल-संज्ञा, पु० यौ० (हि. पिंजरा+ आदि की लंबी गोलाकार लडुइया, गुड़ की पोल-फाटक ) गोशाला, पशुशाला।।
लम्बी सी भेली, लपेटे हुये सूत या रस्सी पिंजल-वि० (सं०) व्याकुल । संज्ञा, पु० | आदि का लम्बा गोला. लच्छा, मुट्ठी, सरयू(सं०) हरतान, कुश-पत्र ।
। पारीण ब्राह्मणों का एक भेद ।
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