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पारस्परिक ११२०
पार्घट पारस्परिक-वि० (सं०) श्रापस का, से प्राप्त नन्दन वन का एक देवतरु, पारिपरस्पर, एक दूसरे का।
भद्र, हरचंदन, हरसिंगार, कचनार, कोविदार। पारस्य -- संज्ञा, पु० (सं०) पारस या फारस! | पारिणाम- संज्ञा, पु० (सं०) संबंध, पारा-संज्ञा, पु. द० (सं० पारद ) बंधन, घर या गृहस्थी का उपकरण । चाँदी से सफेद, चमकदार एक द्रव धातु पारितथ्या--संज्ञा, स्त्री० (सं०) सधवा स्त्रियों जो साधारण शीत-ताप में द्रव ही के धारण करने योग्य वस्तु, बेदी, टिकुली। रहती है, मुक्ति, प्राधान्य, प्रतिलोय, पारितोषिक-संज्ञा, पु० (सं०) परितुष्टि भृशार्थ, विक्रम, अंहकार, अनादर, शब्द या प्रसन्नता से दिया धन, इनाम, पुरस्कार। का श्रादि स्वरूप । वि० -सब से बड़ा, सब पारिन्द्र-परीन्द्र-वि० (सं०) सिंह, शेर। से ऊपर । मुहा० ---पारा पिलाना-अति । पारिपंथिक संज्ञा, पु. (सं०) चोर, डाकू । भारी करना । संज्ञा, पु० दे० (सं० पारि = | पारिपात्र--संज्ञा. १० (सं०) विन्ध्याचल के प्याला) परई, पार, तट । "तुमहि अछत को | सात पर्वतों में से एक। बरनै पारा --रामा० । संज्ञा, पु० दे० पारिपार्श्व-संज्ञा, पु० (सं०) अनुचर, दास, (फा० पारः ) टुकड़ा, केवल पत्थरों से बनी | पारिषद् । छोटी दीवाल।
पारिपाश्चिक-संज्ञा, पु. (सं०) सेवक, पारायण-संज्ञा, पु० (सं०) समय नियत
दाप, पारिषद्, सूत्रधार ( स्थापक ) का करके किसी धर्म-पुस्तक का श्राद्योपांत पाठ
सहायक, (अनुचर) नट ( नाट्य० )। समाप्ति, पूरा करना, पुराण-पाठ ।
पारिभद्र-- संज्ञा, पु. (सं०) देवदारु, देववृक्ष, पारायणिक--वि० संज्ञा, पु० (सं०) पारायण साखु . निंब, फरहद। कत्ता, पाठक, छात्र।
पारिभाव्य--संज्ञा, पु. ( सं०) प्रतिभू, पारावत-संज्ञा, पु० (सं०) कबूतर, पंडुकी, | ज़मानत ।। कपोत, बन्दर, पर्वत । “कूजत कहुँ कल हंस पारिभाषिक --वि० । सं०) सांकेति कार्थ, कहूँ मन्नत पारावत''-भा० हरिः। जिसका अर्थ केवल परिभाषा-द्वारा हो सके । पारावार-संज्ञा, पु० (सं.) दोनों ओर के पारिमाण्डल्य संज्ञा, पु० (सं० परमाणु ।
तट, सीमा, समुद्र, वार-पार, धार-पार । पारिरक्षक-संज्ञा, पु. (सं०) तपस्वी, साधु । पाराशर- संज्ञा, पु० (सं०) पराशर के पुत्र | पारिश--संज्ञा, पु० (दे०) परात ।
या वंशज, व्यास जी । वि० पराशर-संबंधी। पारिशील-संज्ञा, पु० (सं०) एक प्रकार का पाराशर्य्य -संज्ञा, पु० (सं०) पराशर के पुत्र मालपुत्रा ( भोजन )। या वंशज, व्यास जी। "पाराशर्य वच पारिषद-संज्ञा, पु० सं०) सभ्य, सभासद, सरोजममलम् "-गी० माहा० ।
अनुचर, दास, साथी गण । पारि-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० पार ) सीमा, पारी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० वार, वारी) भोर, दिशा, देश, तट।
__ वारी, श्रोसरी (प्रान्ती.), अवसर-क्रम । पारिख*-संज्ञा, पु० दे० ( सं० परीक्षक ) पारीण-वि० (सं०) पारगामी, पार जाने परख, परखनेवाला परीक्षक, परखैया, वाला। जाँचना, परखना । ' पारिख पाये खोलिये, पारुष्य-संज्ञा, पु. (सं०) कठोरता कड़ापन, कुंजी बचन रसाल"-कबी०।
इन्द्र का वन, परुषता। पारिजात--संज्ञा, पु० (सं० ) सिंधु-मंथन पार्घट- संज्ञा, पु० (दे०) भस्म, राख ।
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