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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - अन्य १०० अन्यादृश अन्य-वि० (सं०) दूसरा, और, भिन्न, प्रात्मविषयक मिथ्या ज्ञान ( दर्शन० ) गैर, पराया, पर, अपर, पृथक् ।। आत्मा का अयथार्थ ज्ञान । अन्यकृत-वि० ( सं० ) दूसरे का अन्यदेशी (अन्यदेशीय)--संज्ञा, पु० यौ० किया हुआ। (सं० ) पर देशीय, परदेशी, (दे० ) दूसरे अन्यगामी-संज्ञा, पु. ( सं० ) व्यभिचारी, देश का निवासी, परदेसी, (दे० )। परिवर्तन, लम्पट, परदारिक, परस्त्रीगामी।। अन्यपुरुष-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दूसरा अन्यचाली-संज्ञा, पु. ( सं०) स्वधर्म- श्रादमी, गैर, पुरुषवाची सर्वनाम का एक त्यागी, कुपथगामी, अन्याचारी। भेद-वह पुरुष-सूचक सर्वनाम, जिसके अन्यज-संज्ञा, पु. ( सं० ) कुयोनि, हीन विषय में कुछ कहा जाये, जैसे-वह, यह, जाति का, अन्यजात। कोई (व्याकरण)। स्त्री० अन्यजा, अन्यजाता। अन्यपुष्ट-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दूसरे के अन्यतः-क्रि० वि० (सं०) और जगह, हाथों से प्रतिपालित, अन्य से पोषित, कोकिल, पिक, दूसरे स्थान । परभृत, पर पालित, कोयल। अन्यत्र--वि० ( सं० ) और जगह, स्थानान्तर, | अन्यपूर्वा--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) परपूर्वा, दूसरे स्थान । विरूदा, जिस कन्या का एक बार विवाह अन्यथा-वि० (सं०) विपरीत, उलटा, हो जाने पर भी पति के मर जाने से विरुद्ध, असत्य, विपर्यय, झूठ, अव्य०- द्वितीय बार फिर व्याह होता है, दो बार नहीं तो। विवाही हुई। मु०-अन्यथा करना-उलटा करना, झूठ अन्यभृत--संज्ञा, पु० (सं० ) काक, परभृत बनाना । अन्यथा-होना-विपरीत होना, । कोकिल, परपालित, पिक ।। असत्य होना। अन्यमनस-अन्यमनस्क-वि० (सं०) जिम अन्यथाचार-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) झूठ ___ का चित्त न लगता हो, उदास, चितित, या विपरीत व्यवहार, दुष्टाचार, अनाचार । उनमन, अनमन, अनमना (दे०)। अन्यथाचारी-वि० यौ० (सं० ) मिथ्या (दे०) "चलतर्हि श्रादिहि ते अनमन होन चारी, अनाचारी। लाग्यो”-द्विजेश। स्त्री०-अन्यथाचारिणी। अन्यमनस्कता-संज्ञा, भा० स्त्री. (सं० ) अन्यथाचरण-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) उदासीनता, अनमनी, अनमनता, चित्त न लगना। विपरीत आचरण, दुराचरण, विपर्ययकरण । अन्य संभोग-दुःखिता-संज्ञा, स्त्री० यौ० अन्यथासिद्धि-संज्ञा, पु. यौ० (सं.)। (सं० )-वह नायिका जो अपने प्रिय नायक यथार्थ कारण न दिखा कर जब असत्य में अन्य स्त्री के साथ के संभोग-चिन्ह देख युक्तियों के द्वारा किसी बात को सिद्ध किया कर दुखी हो ( नायिका-भेद)। जाय, एक प्रकार का हेत्वाभास तर्क (non. अन्यसुरति-दुःखिता-संज्ञा, स्त्री० यौ० causa pro causa) (न्याय०)। (सं० ) अन्य-संभोग दुःखिता ( नायिकाअभावनीय कर्मों की उत्पत्ति । भेद)। अन्यथा-ख्याति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) अन्यादृश-वि. ( सं० ) अन्य प्रकार, अपकीर्ति, अख्याति, अपयश, अकीर्ति, विसदृश, भिन्न रूप । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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