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पराग
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पराग - संज्ञा, पु० (सं०) रज, फूल की धूलि, पुष्प रज, उपराग । स्फुट पराग परागत पंकजम् ", " नहिं पराग नहि मधुर मधु " — वि० ।
परागकेसर - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) फूलों के वे बारीक बारीक सूत जिनकी नोकों पर पराग होता है ।
परागति - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) गायत्री | परागना ० क्रि० दे० (सं० उपराग) अनुरक्त या मोहित होना । पराङ्मुख - वि० यौ० (सं० ) विमुख, विरुद्ध, उदासीन, जो ध्यान न दे । पराजय - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) हार पराभव वि०- पराजित - हारा हुआ । पराजिका संज्ञा स्त्री० (सं० ) परज नाम
की एक रागिनी (संगी० ) ।
पराजिता - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक लता, विष्णुकांता | वि० स्त्री० (सं०) हारी हुई। पराजेता - वि० (सं० ) पराजय करने वाला, विजयी |
पराठा - संज्ञा, पु० (दे० ) तवापर सेंकी हुई कम घी से बनी परतदार पूड़ी य रोटी | परेठा, परौठा (दे०) ।
परात - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० पात्र ) बड़ा प्याला, कोपर (प्रान्ती० ) " पानी परात को हाथ छुयो नहि नैननि के जलसों पग धोये " - नरो० ।
परातिक्ता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक श्रौषधि, लाल रंग का पुनर्नवा |
पराती - संज्ञा, स्त्री० (दे०) परात, थाल, संज्ञा, पु० (दे० ) प्रातः काल गाने के योग्य भजन, प्रभाती ।
परात्पर - वि० यौ० (सं० ) सर्व श्रेष्ठ, सबसे बढ़िया | संज्ञा, पु० (सं०) परमात्मा, विष्णु । परात्मा - संज्ञा, पु० (सं० ) परमात्मा । परादन - संज्ञा, पु० ( फा० ) फारस देश | का घोड़ा ।
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पराया, पराय
पराधीन- वि० (सं० ) परतंत्र, पर-वश, "पराधीन सुख सपनेहुँ नाहीं" - स्फुट० । पराधीनता - संज्ञा स्त्री० (सं० ) परतंत्रता, पर वश्यता । " पराधीनता दुख महा, सुख जग में स्वाधीन " - वृन्द० | परान-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्राण) प्राण, जीव, जान
पराना – प्र० क्रि० दे० (सं० पलायन ) भागना | संज्ञा, पु० (दे०) प्राण | परानी - संज्ञा, पु० दे० ( सं० प्राणी ) प्राणी, जीवधारी । अ० क्रि० स० भू० स्त्री० (दे०) भाग गई ।
परान्न - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) पराया अनाज, दूसरे का भोजन ! " परानं दुर्लभं लोके "
- स्फु० ।
पराभव
परापर - संज्ञा, पु० (सं०) फालसा । पराभव - संज्ञा, पु० (सं० ) हार, पराजय, विनाश, अपमान, तिरस्कार | " सो तेहि सभा पराभव पावा" - रामा० | भव भव विभव कारणि- -रामा० । पराभिक्ष- संज्ञा, पु० (सं० ) वानप्रस्थ जो थोड़ी सी भिक्षा से ही निर्वाह करते हैं । पराभूत - वि० (सं०) पराजित, हारा हुआ, नष्ट, ध्वस्त, अपमानित । स्त्री० पराभूता । परामर्श - संज्ञा, पु० (सं० ) खींचना एक
दना, विचार, विवेचन, युक्ति, सलाह । परामर्ष -संज्ञा, पु० (सं० ) - सहना, तितिक्षा, सलाह, निवृत्ति ।
परामोद - संज्ञा, पु० (सं०) फुसलावा, झाँसा, बहकावा !
परामृष्ट - वि० (सं० ) पकड़ कर खींचा हुआ पीड़िता, विचारा हुआ, निर्णीत । परायण - वि० ( सं०) गया हुआ, गत, तत्पर, प्रवृत्त, लगा हुथा, (दे० ) परायन । परायत्त - वि० (सं० ) परतंत्र, पराधीन,
परवश ।
पराया, पराय - वि० पु० दे० (सं० पर ) अन्य या दूसरे का, बिराना (दे० ) ( स्त्री० पराई ) |
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