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परवरदिगार
१०८०
परस-पखान परवरदिगार - संज्ञा, पु० यौ० (फ़ा०) पर- परवीन* ----वि० दे० (सं० प्रवीण) निपुण, मेश्वर ।
चतुर दक्ष, कुशल । संज्ञा, स्त्री० (दे०) परवरिश - परवस्ती (दे०).-संज्ञा, स्त्री० परवीनता।
(फ़ा०) परवरी, पालन-पोषण, सहायता।। परवेख-संज्ञा, पु० दे० (सं० परिवेश) परवन--संज्ञा, पु० दे० स० पटोल) एकलता चन्द्रमा या सूर्य के चारों ओर हलके
या उसका फल जिकी तरकारी बनती है। बादल का घेरा या मंडल ।। परवश-परवश्यवि० यौ० (सं०) परतंत्र, परवंश-परवेस?--संज्ञा, पु० दे० (सं० पराधीन ।
प्रवेश) प्रवेश, पैठना, घुपना। परवश्यता ... संज्ञा, स्त्री. (सं.) परतंत्रता परश -- संज्ञा, पु० (सं.) पारस पत्थर । संज्ञा, पराधीनता. परवशता।
पु० दे० (सं० स्पर्श) परम, स्पर्श, छूना । परवा --- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रतिपदा) परशु-संज्ञा, पु० (सं०) कुठार, तवर, भलुवा परिवा परीवा, पड़वा, एकम : संज्ञा, स्त्री० । (अ०) फरसा । 'परशु श्रछत देखौं जियत, (फ़ा०) चिन्ता, आशंका, ध्यान, परवाह । वैरी भूप-किशोर"--रामा० । परवाई* --- संज्ञा, स्त्री० दे० (फ़ा० परवा) पर- एरशुराम ... संज्ञा, पु. यौ० (सं०) जमदग्नि, वाह, परवाही।
ऋषि के पुत्र परसुराम । परवाना--संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रमाण) | परश्व-अध्य० (सं.) परसों. पाने वाला प्रमाण, परमान, (दे०) सबूत, यथार्थ या तीसरा दिन । सत्य बात, सीमा, हद । वि० (सं०) परतंत्र, परमंग*... संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रसंग) प्रसंग पराधीन।
सम्बन्ध, लगाव, विषय का लगाव, अर्थ की परवानगी--संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) श्राज्ञ', हुक्म । संगति, पुरुष-स्त्री का संयोग. बात. विषय, अनुमति, मंजूरी
अवसर, कारण, प्रस्ताव, प्रकरण, विस्तार । परवानना* ... स० क्रि० दे० (सं० प्रमाण) परमसा*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रशंसा) ठीक समझना, मान लेना ।
प्रशंसा, बड़ाई स्तुति ।। परवाना--संज्ञा, पु० (फा०) श्राज्ञापत्र, परल--- संज्ञा, पु० दे० (सं० स्पर्श) स्पर्श, पतंग, पाँखी, पतिंगा। "मग को बाग में | छूना । यौ० दरस-परस । संज्ञा, पु० दे०
आने न दीजै । कि नाहक खून परवाने का (स० परस) पारस पत्थर । होगा"-स्फु० ।
परसन*--- संज्ञा, पु० दे० (सं० स्पर्शन) छूना परवाल*--संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रवाल) छूने का कार्य या भाव । यौ० दरसनप्रवाल, मूंगा ।
परसन । परवाय--संज्ञा, पु. (सं० वाह) ढक्कन, परसना* --.स. क्रि० दे० (सं० स्पर्शन) स्पर्श आच्छादन ।
करना, छूना, छुलाना । स० कि० दे० (सं० परवाह... संज्ञा, स्त्री० (फा०) चिन्ता, ध्यान, परिवेषण) परोसना । "परस्त पद पावन पासरा । संज्ञा, स्त्री. परवाही-संज्ञा, पु० लोक नसावन, प्रगट भई तप-पुञ्ज सही" दे० (सं० प्रवाह) पानी का स्रोता, बहाव, -रामा० धारा, काम जारी रहना, चलता हुआ क्रम, । परसन्न - वि० दे० (सं० पसन) प्रसन्न, खुश । सिलसिला।
परस-पखान-- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० स्पर्शपरवी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पर्व) पर्वकाल, | पाषाण) लोहे को सोना करने वाला पारस उत्सव-समय, स्यौहार का दिन ।
पत्थर।
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