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परबेस
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परमाणुवाद परबेम* ----संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रवेश ) परमगति--संज्ञा, पु० यौ० ( सं०) मुक्ति, पैठ. गति, विषय-ज्ञान ! यो०-दूसरे का मोक्ष, उत्तमगति । 'हरि-पद-विमुख परम वेश या रूप।
गति चाहा "... रामा० । परबोध- संज्ञा, पु. दे. (सं० प्रबोध) प्रबोध, परमतत्व - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परमात्मा, शिक्षा, समझौता, यथार्थ ज्ञान, ढाढ़स, ब्रह्म मूलतत्व । 'जोगिन परमतत्वमय, दिलासा, चितावनी, जगाना । " प्रभु पर भासा--रामा० । बोध कीन्ह विधि नाना''- रामा० पर-धर्म - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) अन्य पर शाधना*---स० क्रि० दे० सं० प्रबोधन ) धर्म। ' परधर्मो भयावह '--गी० । समझाना, सान्त्वना या शिक्षा देना, ज्ञानोप- परमधाम · संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) स्वर्ग, देश करना, जगाना, सचेत करना। पिता- वैकुंठ । “परमधाम सम धाम नहि. राम मातु गुरुजन परबोधत "..- सूबे। नाम सम नाम "---स्फु. । नुहा०-- परब्रह्म --- संज्ञा, पु. ( सं. ) परमात्मा,
परमधाम शना (ला )...मर जाना। भगवान, निर्गुण, परमेश्वर, पारब्रह्मा (दे०) परमपद-संज्ञा, पु. ( सं० ) मुक्ति मोर, परभा--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रभा ) प्रभा,
'भये परमपद के अधिकारी'.---रामा० । दीप्ति, प्रकाश, कांति, शोभा, उजेला।
परमपिता---संज्ञा, पु० यौ० सं०) परमात्मा। परभाइ, परभाउ --संज्ञा, पु. दे. (सं०
परापुरुष-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परमात्मा, प्रभाव ) प्रभाव, शक्ति, महिमा, परमाव,
परमेश्वर, ब्रह्म, विष्णु पुरुषोत्तम ।
परमफल-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मोक्ष । परमाय। परभात संज्ञा, पु० दे० ( स० प्रभात )
परमभट्टारक. ... संज्ञा, पु० (सं० ) एकप्रभात, सबेरा, तड़का। "बातहू न जानी
छन् राजाओं की एक पदवी । (स्त्री० परमा ज्यौं तरैया परभात की-- स्फु०। परभाती-- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रभाती )
| परमत--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दूसरे का सबेरे गाने का एक राग या गीत, प्रभाती।
__मत गा लिद्धान्त शन्ध वाम्मति ! परभाष- संज्ञा, पु० दे० सं० प्रभाव )
परमल -- संज्ञा, पु० दे० (सं० परिमल ) प्रभाव, शक्ति, महिमा, महात्म, पराउ,
ज्वार या गेहूँ का उबाल कर भूना दाना । परभाय । .' कछु परभाव देखावहु प्रापन
परमलाभ - संज्ञा, पु. यो. (सं०) मोक्ष, जोग जुगुति जो होई - स्फु.।
अतिशय या अत्यन्त या उत्कृष्ट लाभ । परभाग्यापजीवी--वि० यौ० ( सं० ) परा
परम लाभ सब कहँ, मम हानी।"-रामा० श्रित, दूसरे के द्वारा जीवन बिताने वाला :
परमहंग-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सन्यासी,
योगी, अवधूत, सन्यासियों की ज्ञानावस्था, परसुक्त-वि. पु. यो० (सं.) अन्य से
परमात्मा । संज्ञा, स्त्री० परमहंसता। भोगा हुअा। स्त्री० एभुक्ता-दूसरे की
परा --संज्ञा, स्त्री० (सं०) शोभा, सुन्दरता, भोगी हुई।
सौंदर्य । "होत पंच ते पदुम है, पावन परभृत-संज्ञा, पु० स्त्री० यौ० (सं०) कोकिल,
परमागेह" .... दीन। कोयल, कोइली। 'परभूत अपना तू. पररागा- संज्ञा, पु० सं०) किमी पदार्थ का गान है जो सुनाती स्फु० ।
ऐका छोटे से छोटे अंश जिसके फिर विभाग परम--वि. ( सं० ) अत्यंत, उत्कृष्ट, प्रधान न हो सकें. बहुत ही छोटा अणु । श्रेष्ठ, अग्रगण्य, मुख्य, केवल । | परमाणुवाद- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सृष्टि
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