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पछारि १०५५
पटकना साफ करने के लिये जोर से पटकना, फीचना | पछ्यावरि - संज्ञा, स्त्री० (दे०) दूध, दही (ग्रा.) छाँटना।
और शक्कर से बनी सिकरन, महा और पछावरि*-संज्ञा, स्त्री० (दे०) दूध, दही, | गुड़ से बना पदार्थ ।
और चीनी मिला पदार्थ मह, गुड़ की मूरन। पजरना* ---अ० कि० दे० (सं० प्रज्वलन ) " देखत हैहय राज को मास पछावरि कौरन जलना । खाय लियो रे"-राम।
पजारना*-स० कि० दे० (हि० पजरन ) पछाही- वि० दे० (हि० पछांह) पश्चिम का, जलाना। पछाह का, पछैहां (ग्रा.)।
पजावा-संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० पजावः ) ईटें पछियाना-पछियाना-स० क्रि० दे० (हि० । पकाने का भट्टा। पीछे + आना ) पीछे चलना, पीछा करना। पजोखा-संज्ञा, पु. (दे०) मातमपुरसी पछिताना-अ० कि० दे० (सं० पश्चाताप)
(फा०)। पश्चाताप करना, अफ़सोस करना ।।
एज- संज्ञा, पु० दे० (सं० पद्य) शूद, नीच । पछितानि- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पछिताना)
पज्झटिका-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पद्धटिका) पश्चाताप, अफसोस ।
१६ मात्राओं का एक छंद, पद्धटिका (पिं०)। पछिताव-पछितावा-संज्ञा, पु० दे० (हि.
पटवर* -- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० पाटम्बर) पछतावा ) पछतावा, पश्चाताप, अफसोस ।
कौषेय या रेशमी वस्त्र । "पैठे जात सिमिटि पछियाव-वि० दे० (हि० पच्छिम ) पश्चिमीय वायु, पछवा हवा ।
भवानी के पटंबर मैं "-रत्ना०। पछुवाँ-वि० दे० (हि. पच्छिम ) पश्चिम
| पट- संज्ञा, पु. (सं०) कपड़ा, वस्त्र, पर्दा, की वायु, पच्छिम की पवन ।
चिक, चित्रपट, कपास, छप्पर, पलक । संज्ञा, पछेला-पछेलवा - संज्ञा, पु० दे० (हि.
पु. (सं० पट्ट) किवाड़, केवार (प्रा.)। पीछे + एला, (एलवा-प्रत्य० ) एक गहना, किसी वस्तु के गिरने का शब्द । मुहा०जो हाथ में पहना जाता है।
पट उघरना या खुलना-दर्शन-हेतु पछली-पछेलिया--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. मंदिर का द्वार खुलना । सिंहासन, पल्ला, पीछे + एली, एलिया-प्रत्य० ) स्त्रियों के हाथ चौरस भूमि, औंधा (विलो०-चित्त)। मुहा० में पहनने का एक गहना। "प्रागे अगेलिया पट पड़ना-धीमा पड़ना, न चलना । पीछे पछेलिया पट्टा परे पनारिनदार"- क्रि० वि० (चट का अनु०) तुरंत । "धरती, भान्हा० ।
सरग जाँत-पट दोऊ"-पद० । यो०पछेवड़ा-संज्ञा, पु० दे० (हि. पिछौरा ) झटपट, चटपट, लटपट, सरपट । पिछोरा, चादर । "मन-मंदिर में पैस करि पटइन-पटइनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० पटवा) तानि पछेवड़ा सोइ "-कबीर० ।। पटवा की या पटवा जाति की स्त्री। पछोड़ना-पछोरना--स० क्रि० दे० (सं० पटकन, पटकनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. प्रक्षालन ) सूप से साफ करना, फटकना। पटकना ) पछाड़, चपत, तमाचा, छड़ी, पछौंत, पछौंतास-क्रि० वि० दे० (हि. पीछे । पटक।
+औंत ) पिठौंत, पीछे की ओर। पटकना-स० क्रि० दे० (सं० पतन+करण) पौडे-क्रि० वि० (७०) पीछे की ओर झोंका देकर नीचे गिराना, उठाकर जोर से " सौहै होत लोचन पछौहैं करि लेति हैं" नीचे गिराना, दे मारना । स० क्रि० (प्रे. -रसाल।
रूप ) पटकाना, पटकवाना । मुहा०
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