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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - न्यस्त १०४२ न्हाना न्यस्त-वि० (सं०) धरोहर, अमानत, त्यक्त, स्त्रो० न्यारी। " न्यारो न होत बफारो छोड़ा हुशा। ज्यों धृमसों',-देव। न्याउ-न्याव--संज्ञा, पु० दे० (सं० न्याय ) न्यारिया-संज्ञा, पु० दे० (हि. न्यारा) न्याय, नियाव (ग्रा०)। " यह बात सब सुनारों के कूड़े से सोने-चाँदी का अलग कोउ कहै, राजा करै सो न्याउ"-०। करने वाला। न्यात-संज्ञा, पु० (ग्रा०) डौल, मौका, घात। न्यारे-न्यारी-कि० वि० दे० (हि. न्यारा ) न्याति-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० ज्ञाति) जाति। अलग, भिन्न, दूर। न्याय-संज्ञा, पु. (सं०) प्रमाणों के द्वारा न्याव-संज्ञा, पु० दे० (सं० न्याय ) न्याय, अर्थ का सिद्ध करना, इन्साफ, उचित तर्क, ठीक या उचित बात । निपटारा, व्यवहार । " इत देखी तो आगे न्यास --- संज्ञा, पु. ( सं०) धरोहर, थाती, मधुकर मत्त न्याय सतरात "- भ्र० । त्याग, रखना । (वि. न्यस्त)। सम्बन्ध, लौकिक कहावत, जैसे-तक्र-कौडि न्यून- वि० सं०) अल्प, कम, थोड़ा, घट कर। न्यन्याय, वलीवर्दन्याय । “प्रमाणैरर्थ-प्रति न्यूनता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) कमी, अल्पता, पादनम-न्यायः "। तर्क-शास्त्र का गौतम ऋषि-प्रणीत एक महान ग्रंथ । । न्योछावर-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. निछावर) न्यायकर्ता-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) न्याय, निछावर, उतार । इन्साफ या निबटारा करने वाला शासक, न्योजी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) लीची फल, न्याय-शास्त्र के बनाने वाले गोतम ऋषि । चिलगोजा। वि० न्यायकारी, न्यायकारक। न्योतना-न्यौतना--स० कि० दे० (हि० न्योता न्यायतः-- क्रि० वि० (सं०) न्याय-द्वारा, न्याय +ना--प्रत्य०) किसी उत्सव में सम्मिलित से, ठीक ठीक, ईमान-धर्म से। होने के लिये किसी को बुलाना, निमंत्रण न्यायपरता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) न्याय-पराय देना, निमंत्रित करना । प्रे० रूप न्यौताना, णता, न्यायशीलता,न्यायी होने का भाव । न्योतवाना। न्यायवान-संज्ञा, पु० (सं० न्यायवत्) न्यायो, न्योतहारी-यनैतिहारी-संज्ञा, पु० दे० (हि. न्याय रखने वाला । स्त्री. न्यायवती। । न्योता) न्योते में सम्मिलित या निमंत्रित पुरुष। न्यायाधीश-संज्ञा, पु. यौ० ( सं०) न्याय | | न्योता-न्यौता-संज्ञा, पु० दे० (सं० निमंत्रण) करने वाला, न्याय-कर्ता, मुकदमों का निमंत्रण, बुलावा, दावत, न्यउता, नेउत फैसला करने वाला शासक या अधिकारी। निउता (ग्रा.)। न्यायालय-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) अदालत, कचहरी न्यायभवन ।। | न्योला-न्यौला--संज्ञा, पु० दे० (सं० नकुल ) न्यायी-मंज्ञा, पु. (सं० न्यायिन् ) नीति या, नेवला, नेउरा (ग्रा.), नकुल । न्याय पर चलाने या चलने वाला। वि. न्योली-न्यौली-संज्ञा, स्त्री. (सं० नली ) (सं०) न्याय करने वाला। हठ योगी के पेट के नलों को पानी से शुद्ध न्याय्य -वि. ( सं० ) न्यायानुसार, ठीक करने की एक क्रिया (हठयोग)। ठीक, उचित । न्हान-संज्ञा, पु० (दे०)स्नान (सं०) अन्हान। न्यारा-वि० दे० ( सं० निर्निकट) दूर, पृथक, न्हाना*-अ० क्रि० दे० (सं० स्नान ) न्यारो (व०), भिन्न, निराला, अनोखा। नहाना, अन्हाना । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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