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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुषार। नीलाथोथा १०३४ नुकाना नीलाथोथा-संज्ञा, पु० दे० (सं० नील तुल्य) | नीवा--संज्ञा, पु० (दे०) मंदता। तूतिया, ताँबे का क्षार ।। नीधार - संज्ञा, पु. ( सं०) पसही धान । नीलाम-संज्ञा, पु० दे० (पुत्त लीलाम) " नीवार पाकादिकहंगरीयः "-रघु०। बोली बुलाकर माल बेंचना । लिल्जाम नीवी, निवि- संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) कटिबंध, फुफुदी, नारा, साड़ी या धोती, लहँगा। नीलात-संज्ञा, पु. (सं०) प्रियावासा, पिया- नीशार-संज्ञा, पु. (सं०) तंबू । वाँसा (औष०)। नीसक-वि. ( दे० ) निर्बल, कमज़ोर । नीलावती-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नीलवती) । नीशानी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक छंद (पिं०) चावल का एक भेद । उपमान । नीलिका-संज्ञा, स्त्री. (सं०) नीलवरी,नीमारना-स० कि. (दे०) निकालना, काली निर्गुण्डी, नील सँभालू का पेड़, नेत्र- निकासना बाहर करना, निसारना। रोग, मुख पर का एक रोग। नीहार-संज्ञा, पु. (सं०) कुहरा, पाला, नीलिमा-~संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नीलिमन ) | श्यामता, स्याही, नीलापन ।। | नीहारिका संज्ञा, स्त्री. (सं० ) कुहरा, नीलीघोड़ी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि.) लिल्जी घोड़ी (दे०)-डफालियों की कुहासा (दे०) नीहारिका-बाद का सिद्धान्त भीख माँगने वाली कागज की घोड़ी। ( न्याय०)। नीलोत्पल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नील नुकता-संज्ञा, पु० दे० (अ० नुकतः) बिंदी, कमल । " नीलोत्पल-दल श्यामम् " बिंदु । संज्ञा, पु. (अ.) चुटकुला, फबती, मल्लि। ऐव। नीलोपल-संज्ञा, पुल्यौ० (सं०) नीलमणि, | नुकता-चीनी - संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) दोष या नीलम। ऐब निकालने का काम । नीलोफर-संज्ञा, पु० दे० (सं० नीलोत्पल ) नुकती-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० नखुही) बेसन नील कवल । की बारीक बुंदियाँ, एक तरह की मिठाई । नीव-जीव--संज्ञा, स्त्री०सं० दे० (सं० नेमि प्रा. नुकरा-संज्ञा, पु. (अ.) चाँदी, घोड़ों का नेह ) किसी मकान या इमारत की बुनियाद | सुफ़ेद रंग । वि. सफेद रंग का। सुनद रग। या जड़ । मुहा०-नीव देना-गढ़ा खोद नुकना-अ० क्रि० (दे०) छिपना, लुकना। कर दीवार की जड़ जमाना । किसी बात नुकसान- संज्ञा, पु. (अ.) घाटा, घटी, की नोधैं देना- हेतु. कारण या श्राधार हानि, ह्रास, क्षति, छीज । मुहा०-नुकतैयार या खड़ा करना, जड़ जमाना, प्रारंभ सान उठाना - घटी या हानि सहना । करना । मुहा०-नीव जमाना डालना, नुकसान पहुँचाना (करना)- हानि या देना, (जमना पड़ना) दीवाल की पहुँचाना । नुकसान भरना (देना)-घटी बुनियाद या जड़ जमाना। किसी बात या हानि पूरी करना। दोष विकार, अवगुण । की नींव जमाना या डालना- किसी को नुकसान करना-दोष उपउस बात की बुनियाद दृढ़, स्थिर या जाना, तंदुरुस्ती या स्वास्थ्य के विरुद्ध प्रभाव जाना, तंदुरुस्त स्थापित करना । किसी चीज या बात की करना । वि० नुकसानदेह-हानिकारक । नीव पडना-उसका प्रारंभ या सूत्र-पात | नुकाना-स० क्रि० अ० ( दे० ) छिपाना । होना, बुनियाद पड़ना। जड़, मुल, आधार प्रे० रूप-नुकवाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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